प्रकाशित - 26 Sep 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
केंद्र सरकार की ओर से फसल अवशेष यानि पराली जलाने से किसानों को रोकने के लिए उन्हें राज्यों को पराली के प्रबंधन के लिए 2 लाख कृषि मशीनें उपलब्ध कराई हैं। पराली की समस्या से निपटने के लिए सरकार की ओर से प्रयास तेजी से जारी हैं। इस संंबंध में पिछले दिनों केंद्रीय कृषि और कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पंजाब, हरियाणा उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की राज्य सरकारों से निकट भविष्य में पराली जलाने पर पूरी तरह अंकुश लगाने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने इस महत्वपूर्ण मिशन के लिए केंद्र की तरफ से हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
श्री तोमर ने कहा कि राज्यों को चालू वित्त वर्ष में 600 करोड़ रुपए पहले ही दिए जा चुके हैं और उसमें से 300 करोड़ रुपए खर्च नहीं हो पाए हैं। इसका उचित उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा दो लाख मशीनें राज्यों को उपलब्ध कराई गई हैं। मंत्री ने कहा कि केंद्र और संबंधित राज्यों को संयुक्त रूप से एक दीर्घकालिक योजना तैयार करनी चाहिए और एक समय-सीमा के भीतर पराली जलने के शून्य मामले के लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहु-आयामी गतिविधियां करनी चाहिए। मंत्री तोमर 2022 के सीजन के दौरान पराली प्रबंधन को लेकर राज्य सरकारों के उठाए गए कदमों/ प्रस्तावित कार्य वाइयों पर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकारों के अधिकारियों, कृषि और किसान कल्याण विभाग एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक कर रहे थे।
यह बताया गया कि 2022-23 के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में 700 करोड़ रुपए परिव्यय के साथ कृषि एवं किसान कल्याण विभाग फसल अवशेषों के उसी स्थान पर प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देते हुए केंद्रीय क्षेत्र की योजना का कार्यान्वयन जारी रखे हुए हैं। अब तक 240 करोड़, 191.53 करोड़, 154.29 करोड़ और 14.18 करोड़ रुपए पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और आईसीएआर को पहली किस्त के रूप में जारी किए जा चुके हैं। चालू वित्त वर्ष के दौरान, इन राज्यों में बड़े पैमाने पर बायो-डीकंपोजर (जैव-अपघटक) तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के प्रावधान भी किए गए हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से विकसित पूसा डीकंपोजर को धान की पुआल को उसी स्थान पर तेजी से गलाने में प्रभावी पाया गया है। यह कैप्सूल रूप में भी उपलब्ध है। साल 2021 के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में लगभग 5.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में डीकंपोजर का इस्तेमाल किया गया, जो लगभग 35 लाख टन पराली का प्रबंधन करने के बराबर है। सैटलाइट इमेजिंग और निगरानी के जरिए पाया गया कि 92 प्रतिशत क्षेत्र में डीकंपोजर के जरिए पराली का निपटारा किया गया जबकि केवल 8 फीसदी हिस्से में पराली जलाई गई।
पराली प्रबंधन के लिए 2018-19 से 2021-22 की अवधि के दौरान 2440.07 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं जिसमें हरियाणा को 693.25 करोड़ रुपए, उत्तर प्रदेश- 533.67 करोड़ रुपए, दिल्ली को 4.52 करोड़ रुपए, आईसीएआर और अन्य केंद्रीय एजेंसियों को 61.01 करोड़ रुपए और सबसे बड़ा हिस्सा पंजाब राज्य को 1147.62 करोड़ रुपए दिया गया।
केंद्र से मिली धनराशियों में से पिछले 4 वर्षों के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की राज्य सरकारों ने छोटे और सीमांत किसानों को किराये पर मशीनें और उपकरण उपलब्ध कराने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी के 38422 से ज्यादा कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित किए हैं। इसमें पंजाब में 24201, हरियाणा में 6775 और उत्तर प्रदेश- 7446 कस्टम हायरिंंग सेंटर बनाए गए हैं। इन सीएचसी और चार राज्यों के किसानों को व्यक्तिगत रूप से कुल 2.07 लाख से ज्यादा फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की आपूर्ति की गई है जिसमें पंजाब को 89151, हरियाणा को 59107, यूपी को 58708 और दिल्ली-247 कृषि मशीने उपलब्ध कराई गई। इसमें 3243 से अधिक बेलर्स एवं रेक भी शामिल हैं।
केंद्र सरकार फसल अवशेष को जलाने से होने वाले नुकसान एवं पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन कर ही है। इसके तहत कृषि विज्ञान केन्द्रों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों, राज्य कृषि संस्थाओं, कृषि विश्वविद्यालयों आदि को शामिल करके किसानों के लिए कृषि मशीनरी उपलब्धता के साथ ही उन्हें जागरूक करने के लिए समय-समय पर अभियान चलाया जाता है। सीएचसी, निजी उद्यमियों और किसान संगठनों के माध्यम से कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देकर भी किसानों, विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को लाभान्वित किया जाता हैं। किसानों को व्यक्तिगत रूप से भी फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जाता हैं।
हरियाणा सरकार की ओर से अभी से ही धान अवशेष प्रबंधन की दिशा में कार्य किया जा रहा है। इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले कृषि यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। यह सब्सिडी किसान समूह को दी जाती है। यदि किसान समूह कस्टम हायरिंग सेंटर खोलता है तो उसे कृषि यंत्रों पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। इसमें पंजीकृत किसान समिति, एफपीओ, किसानों की सहकारी समितियां एवं पंचायतें कस्टम हायरिग सेंटर के लिए आवेदन कर सकती वहीं किसान व्यक्तिगत रूप से इसके लिए आवेदन करता है तो उसे कृषि मशीन के लागत मूल्य का 50 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा। एक किसान अधिकतम विभिन्न प्रकार की तीन मशीनें ले सकता है।
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