प्रकाशित - 01 Oct 2023
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
कपास की खेती (cotton cultivation) करने वाले किसानों के लिए एक खुशखबरी आई है। अब राज्य सरकार कपास किसानों की फसलों को बारिश व रोग से हुए नुकसान की भरपाई करेगी। इसके तहत किसानों को 12,500 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा दिए जाने का निर्णय लिया गया है। किसानों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से राज्य में ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल (E-Compensation Portal) को 1 से 3 अक्टूबर तक के लिए दुबारा से खोला जा रहा है ताकि किसान अपनी कपास की फसल में हुए नुकसान की जानकारी इसमें दर्ज कर सके। इसलिए राज्य के किसानों को चाहिए कि वे जल्द से जल्द कपास में बारिश व रोग से हुए नुकसान की जानकारी बिना किसी देरी के पोर्टल पर दें ताकि उन्हें मुआवजा मिल सकें। बता दें कि राज्य में कपास की फसल (Cotton crop) को बारिश व गुलाबी सुड़ी कीट (pink sooty bug) के कारण काफी नुकसान हुआ है जिससे उत्पादन प्रभावित हुआ है। अनुमान है कि इस बार पिछले साल की तुलना में कम मात्रा में कपास का उत्पादन हो सकता है। बता दें कि इस साल खासकर राजस्थान और हरियाणा के कई जिलों में कपास की फसल को गुलाबी सुंडी कीट के प्रकोप से काफी नुकसान हुआ है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने किसानों के नुकसान की भरपाई अधिकारियों को नुकसान के आंकलन के निर्देश दे दिए हैं। ऐसे में राज्य में तीन दिन के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल (E-Compensation Portal) को खोला गया है जिसमें किसान अपनी कपास की फसल के नुकसान की जानकारी दर्ज करवा कर मुआवजा (compensation) प्राप्त कर सकते हैं।
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जय प्रकाश दलाल ने कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल (E-Compensation Portal) को एक अक्टूबर से खोलने के निर्देश दिए हैं ताकि किसान अपनी कपास की फसल में हुए नुकसान की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करा सकें। यह निर्देश हाल ही में कृषि मंत्री ने कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ हुई समीक्षा बैठक में दिए हैं।
कृषि मंत्री ने कृषि विभाग के अधिकारियों को कपास में हुए नुकसान का आकलन करके उसकी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं जिससे राजस्व विभाग द्वारा रिपोर्ट के आधार पर फसल में हुए नुकसान पर वित्तीय सहायता किसानों को दी जा सके। उन्होंने अधिकारियों को कपास में गुलाबी सुड़ी के प्रकोप से हुए नुकसान की भरपाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत हर गांव में कपास की फसल की कटाई प्रयोगों को दुगुना करते हुए 4 से 8 करने के भी निर्देश दिए गए है जिससे नुकसान का सटीक आंकलन किया जा सके। उन्होंने प्रयोगों की वीडियोग्राफी करने के भी निर्देश दिए ताकि फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर कपास की फसल में हुए नुकसान पर किसानों को मुआवजा राशि प्रदान की जा सके।
इसी के साथ ही हरियाणा राज्य सरकार ने मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल (my crop my details portal) को भी तुरंत प्रभाव से तीन दिन के लिए खोलने का निर्णय लिया है ताकि किसान अपना पंजीयन करा सकें। जिन किसानों ने अभी तक अपनी फसलों का ब्यौरा इस पोर्टल पर दर्ज नहीं किया है, वे किसान अपनी फसल का ब्यौरा पंजीकृत करवाकर फसल को आसानी से बेच सकते हैं।
जो किसान ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल (E-Compensation Portal) पर फसल नुकसान की जानकारी ऑनलाइन देना चाहते हैं, वे नीचे दिए गए स्टेप्स का पालन करके आसानी से फसल नुकसान की जानकारी पोर्टल पर दर्ज कर सकते हैं, क्षतिपूर्ति पोर्टल पर जानकारी दर्ज कराने का तरीका इस प्रकार से हैं
यदि आपने अभी तक मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है तो आपको सबसे पहले इसमें रजिस्ट्रेशन कराना होगा उसके बाद ही आप ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर फसल नुकसान की जानकारी दर्ज कर सकेंगे। मेरी फसल मेरा ब्यौरा में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन (Online registration in Meri Fasal Mera Byora) का तरीका इस प्रकार से हैं
मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना में पंजीकरण के लिए किसानों को कुछ दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना के तहत जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, वे इस प्रकार से हैं-
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