छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से गोधन न्याय योजना के तहत किसानों से गोबर की खरीद कर उनकी आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य की भूपेश बघेल सरकार की गोधन न्याय योजना से किसानों को अतिरिक्त आय हो रही है। वहीं गोबर से खाद बनाकर किसानों को मुहैया कराई जा रही है जिससे प्राकृतिक खाद का उपयोग किसान कर रहे हैं। इसी कड़ी में अब राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने गोबर से पेंट निर्माण करने का फैसला लिया है ताकि किसान पशुपालकों से अधिक से अधिक गोबर की खरीद की जा सके ताकि उन्हें ज्यादा पैसा मिल सके।
मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार राज्य में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए सरकार ने 21 नवंबर को कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नई दिल्ली और छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के बीच गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण की तकनीकी हस्तांतरण के लिए विधिवत हस्ताक्षर किया गया। इस एमओयू के बाद अब छत्तीसगढ़ राज्य गोबर से पेंट बनाकर इसका विक्रय कर सकेगा। इस मौके पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष डॉ. महंत रामसुंदर दास सहित सभी सदस्यगणों तथा कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नयी दिल्ली के पदाधिकारियों को बधाई और शुभकामनाएं दी।
गोबर से प्राकृतिक पेंट निर्माण को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से किए गए एमओयू के बाद राज्य में प्राकृतिक पेंट का निर्माण किया जाएगा। इससे राज्य सरकार को करीब 45 करोड़ रुपए की आय होगी। इस संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अब गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट भी बनाया जाएगा। इससे गौठानों को हर साल 45 करोड़ रुपए की आय होने का अनुमान है। इस काम की शुरुआत 75 गौठानों से की जा रही है। वर्तमान में 25 गौठानों में पेंट निर्माण ईकाई तथा 50 गौठानों में सीएमसी ईकाई स्थापित की जाएगी। चयनित किए गए गौठानों में कार्बाक्सी मिथाइल सेल्यूलोज (सीएमसी) निर्माण ईकाई एवं पेंट निर्माण ईकाई के लिए पहल शुरु कर दी गई है। इन ईकाइयों से प्रतिदिन 500 लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होगा। पहले चरण में प्रतिवर्ष 37.50 लाख लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन होने की संभावना है।
इस समय प्राकृतिक पेंट की कीमत जीएसटी को छोडक़र 120 रुपए प्रति लीटर है। जीएसटी को जोडक़र इसकी कीमत करीब 150 रुपए प्रति लीटर के आसपास बैठती है। यह पेंट दो वेरियंट में डिस्टेंपर और इमल्शन में उपलब्ध होगा। इनकी कीतम क्रमश: 120 और 225 रुपए है। इसमें जीएसटी को नहीं जोड़ा गया है।
किसानों को प्राकृतिक पेंट से मिलने वाला लाभ किसान या पशुपालक गाय के गोबर को बेचकर रोजाना 100 रुपए से 125 रुपए तक की कमाई कर सकता हैं। साथ ही महीने के तीन हजार से चार हजार रुपए गाय के गोबर को बेचकर किसान कमा सकता है। इस पेंट के लिए गाय का गोबर बेचने वाले किसानों, गौ पालकों को 30,000 रुपए की सालाना आमदनी हो सकती है।
प्राकृतिक पेंट के निर्माण का मुख्य घटक कार्बक्सी मिथाईल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है। इसमें प्राकृतिक पिगमेंट और मिलाकर रंग बनाने की प्रक्रिया से इसे तैयार किया जाता हैं। ऑर्गेनिक वाइंडर का उपयोग कर इसकी बंधन प्रक्रिया को मजबूत किया जाता है। इसमें आवश्यकतानुसार अलग-अलग रंग मिलाया जाता हैं। 100 किलो गोबर से 35-40 किलो पेंट तैयार किया जा सकता हैं। इस तरह से तैयार प्राकृतिक पेंट का उपयोग रंगाई-पुताई के काम में किया जाएगा।
12 जनवरी, 2021 को राजस्थान के शहर जयपुर में पहली बार खादी ग्रामोद्योग आयोग की ओर से गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाकर लांच किया गया था। इस नई तकनीकी से अधिक से अधिक लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए केवीआईसी ने इस परियोजना को प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) के तहत शामिल किया है, जो रोजगार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार की एक प्रमुख योजना है। यह पेंट दो किस्मों- डिस्टेंपर और इमल्शन में उपलब्ध होगा। अभी इसकी पैकिंग 2 से लेकर 30 लीटर तक की तैयार की गई हैं। बता दें कि संस्थान की ओर से तैयार किया गया यह पेंट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भी हैं। बता दें कि संस्थान की ओर से इस पेंट की थिकनेस, स्मूथनेस और ब्रश पर चलने जैसे तमाम मापदंडों के लिए राष्ट्रीय स्तर की सरकारी व प्रतिष्ठि निजी लैब में इसका परीक्षण हो चुका है।
खादी ग्रामोद्योग आयोग के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इसकी सेल काफी बेहतर है। अब खादी ग्रामोद्योग ने इसकी ऑनलाइन बिक्री भी शुरू कर दी है। जिसके बाद से देशभर में कहीं से भी लोग ऑर्डर करके इस पेंट को मंगवा सकते हैं।
गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से प्रदेश में बिजली बनाने का काम किया जा रहा है। राज्य में 2 अक्टूबर 2021 से गोठानों में गोबर से बिजली बनाने का कार्य शुरू किया जा चुका है। बेमेतरा, दुर्ग और रायपुर जिले के तीन गोठानों में सफलता के साथ बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। अब गोबर से बिजली और जैविक खाद दोनों एक साथ बन रहे हैं। प्रदेश के अन्य गोठानों में भी बिजली उत्पादन की तैयारी की जा रही है। गौठानों में तैयार हो रही सस्ती बिजली से गौठानों में रोशनी होगी साथ ही मशीनें भी चलाई जाएंगी। इसके आलवा आस-पास के घरों को भी बिजली दी जाएगी। समूहों द्वारा यह बिजली सरकार को भी बेची जा सकेगी।
छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना की शुरुआत 20 जुलाई 2020 को हरेली त्योहार के दिन से की गई थी। इस योजना के तहत किसान पशुपालकों से 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीद की जाती है। इसके लिए राज्य के गांवों में गौठान बनाए गए हैं जहां किसानों से गोबर की खरीद की जाती है। इस योजना की शुरुआत करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह योजना हमारे लिए वरदान साबित होगी। हम इस योजना के माध्यम से एक साथ बहुत सारे लक्ष्य हासिल करेंगे। बहुत थोड़े से समय में ही मेरी वह बात सच साबित हो चुकी है। आज गोधन न्याय योजना हमारे गांवों की ताकत बन चुकी है।
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