प्रकाशित - 18 Apr 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
गन्ना की खेती (Sugarcane cultivation) करने वाले किसानों के लिए खुशखबर है। सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। किसानों को अनेक योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है, जैसे– पीएम किसान सम्मान निधि योजना, ड्रिप इरिगेशन योजना, कृषि यंत्र अनुदान योजना आदि। इसके अलावा भी कई तरह से किसानों को फायदा पहुंचाकर उनकी आय बढ़ाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में राज्य सरकार की ओर से गन्ना किसानों के लिए एक बहुत ही अच्छा मास्टरप्लान तैयार किया गया है जिससे उन्हें करोड़ों रुपए की अतिरिक्त आय हो रही है। इससे भविष्य में भी किसानों को लाभ होने की उम्मीद है। इस योजना के तहत अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे प्रदेश के किसानों को करोड़ों रुपए की अतिरिक्त आय हो सकती है। आइए जानते हैं, क्या है राज्य सरकार का प्लान और इससे कैसे किसानों की आय में होगा इजाफा, जानें, पूरी जानकारी।
दरअसल यूपी सरकार ने गन्ने के उप–उत्पादों के बेहतर इस्तेमाल तथा चीनी मिलों की कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिए एक नया मास्टर प्लान तैयार किया है। इसके तहत इथेनॉल उत्पादन, गन्ने से जैविक खाद, बिजली उत्पादन व अन्य बायो–प्रोडक्ट्स तैयार करने के काम को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस काम से एक तरफ चीनी मिलों को लाभ होगा, वहीं दूसरी ओर किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। राज्य सरकार का यह नया प्लान गन्ना किसानों की आमदनी बढ़ाने और चीनी उद्योग को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए तो यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभा सकता है।
राज्य सरकार के इस मास्टर प्लान का लाभ राज्य के लाखों किसानों को मिल रहा है और आगे इससे और अधिक लाभ मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। किसान चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति के साथ ही अब गन्ने के बायो–प्रोडक्ट्स से भी आय प्राप्त कर सकेंगे। चीनी मिलों में इथेनाॅल उत्पादन में तेजी आने से चीनी मिलों को फायदा होगा जिससे किसानों को समय पर भुगतान व बोनस मिल सकेगा। वहीं नई तकनीकों और प्रशिक्षण के माध्यम से गन्ना उत्पादन में लागत कम होगी जिससे किसानों की आय बढ़ेगी। यूपी सरकार के इस प्लान से बायोगैस, बायोफर्टिलाइजर और ग्रीन एनर्जी के उपयोग से किसानों को आय के नए अवसर मिलेंगे।
यूपी में 45 जिलों में 122 चीनी मिलें संचालित हैं। इनमें से 96 निजी क्षेत्र की मिलें है और 13 सहकारी व 3 निगम क्षेत्र की मिलें हैं। इसके साथ ही 285 खांडसारी इकाइयां व 65 कोजन इकाइयां भी काम रही हैं। इसमें से यूपी की योगी सरकार ने 52 मिलों के आधुनिकीकरण का कार्य किया है। इसके अलावा इन मिलों में करीब 8 हजार किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता के साथ इथेनॉल उत्पादन किया जा रहा है। इस तरह चीनी उद्याेग के माध्यम से करीब 8 लाख 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है।
पिछली सरकार के कार्यकाल साल 2016–17 की तुलना में योगी सरकार के कार्यकाल में गन्ना क्षेत्रफल में 43 प्रतिशत बढ़ाेतरी हुई। इसके साथ ही गन्ने की उत्पादकता में 16 प्रतिशत और गन्ना उत्पादन में 68 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई। देश के कुल गन्ना क्षेत्रफल का 49 प्रतिशत, गन्ना उत्पादन का 49 प्रतिशत तथा चीनी उत्पादन का 33 प्रतिशत अब यूपी में होता है। राज्य में गन्ना उत्पादन में टॉप स्थान प्राप्त करने वाले गन्ना किसानों को करीब 1200 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय भी योगी सरकार में सुनिश्चित की गई है।
वर्तमान की योगी सरकार की ओर से अब तक कुल 2.80 करोड़ से अधिक का गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। इसके साथ ही 2024–25 में 1.09 लाख करोड़ का जीवीए का भी योगदान दर्ज किया गया है। योगी सरकार के दिशा–निर्देश के अनुसार प्रदेश की 158 सहकारी गन्ना समितियों, 27 सहकारी चीनी मिल समितियों और 152 गन्ना विकास परिषदों के जरिये गन्ना किसानों को लगातार लाभ पहुंचाया जा रहा है। वहीं किसानों के बकाया राशि के भुगतान के लिए प्रदेश सरकार की ओर से चीनी मिलों पर सख्ती की जा रही है। इस तरह यूपी सरकार गन्ना किसानों की समस्याओं को दूर करने का निरंतर प्रयास कर रही है।
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