गौशाला योजना : गौशाला निर्माण के लिए मिलेगा 10 लाख का अनुदान

Share Product Published - 07 Sep 2021 by Tractor Junction

गौशाला योजना : गौशाला निर्माण के लिए मिलेगा 10 लाख का अनुदान

गोशाला योजना : जानें, कहां और कैसे करना है आवेदन और क्या हैं शर्तें

गौवंश संर्वधन और इनका संरक्षण करने के उद्देश्य से राजस्थान सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर नंदीग्राम योजना और गोशाला योजना संचालित की जा रही हैं। इस योजना के माध्यम से आवारा घूमते पशुओं पर नियंत्रण पाने के साथ ही किसानों को भी फायदा होगा। कई बार देखने में आता है कि आवारा पशुओं के खेत में घुसने से फसल को नुकसान होता है और  कभी-कभी तो ये पशु कर देते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए राजस्थान सरकार की ओर से गौशालाओं के विकास और इसके अंतर्गत निर्माण कार्य हेतु सहायता प्रदान की जा रही है। इसमें गौशाला निर्माण हेतु 10 लाख रुपए तक की मदद दी जा रही है। बता दें कि राजस्थान सरकार नंदीशाला योजना एवं गौशाला योजना चला रही है। इस योजना के तहत पशुओं को गौशाला में रखने पर सरकार अनुदान उपलब्ध करा रही है। इसके साथ ही गौशाला के निर्माण के लिए अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही राज्य सरकार एक राज्य में एक नंदीशाला के निर्माण पर 1 करोड़ 57 लाख रुपए खर्च करने जा रही है। वहीं नंदी शाला के लिए सरकार लागत का 90 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है। इन योजनाओं के तहत नई गौशाला खोलने के लिए राज्य सरकार 328 करोड़ रुपए अनुदान के रूप में खर्च करेगी।

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गौशाला निर्माण के तहत इन कामों के लिए मिलेगा अनुदान

राजस्थान में गौशाला को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार कई प्रकार की सुविधा प्रदान कर रही है। नई गौशाला के निर्माण के लिए अब 10 लाख रुपए का अनुदान दिया जा रहा है। यह पैसा गौशाला में निम्नलिखित निर्माण कार्यों के लिए प्रदान किया जाएगा।

  • कैटल शड निर्माण के लिए अनुदान का लाभ प्रदान किया जाएगा।
  • गौशाला में पशुओं के लिए पीने के पानी की व्यवस्था हेतु पानी टंकी का निर्माण कराने के लिए सहायता राशि प्रदान की जाएगी।
  • पशुओं को धूप, बारिश और सर्दी से बचाने के लिए टीन शैड निर्माण हेतु राशि प्रदान की जाएगी।
  • गौशाला की चार दिवारी निर्माण के कार्य करवाने के लिए भी इस राशि का उपयोग किया जा सकता है।


गौशाला में प्रति पशु कितना मिलेगा अनुदान

राजस्थान सरकार गौशाला में पशुओं को रखने के लिए कई प्रकार के अनुदान दे रही हैं। इसमें सबसे बड़ा अनुदान पशुओं के रखने पर होने वाले खर्चों को शामिल किया गया है। राजस्थान सरकार द्वारा छोटे पशु के लिए 16 से 20 रुपए एवं बड़े पशु के लिए 32 से 40 रुपए अनुदान स्वीकृत किया गया है।


गौशाला खोलने के लिए नियमों में ये हुए हैं बदलाव

राजस्थान में गौशाला शुरू करने के लिए नियम में काफी बदलाव किए गए हैं। जहां पहले 200 गायों पर गौशाला की शुरुआत की जाती थी। वहीं अब 100 गायों के साथ ही गौशाला का निर्माण किया जा सकता है। इसके अलावा पहले गायों को गौशाला में रखने के लिए 6 माह तक अनुदान दिया जाता था। वहीं अब यह अनुदान 9 माह तक दिया जाएगा। 


पशु चिकित्सा के लिए मिलेगी एम्बुलेंस सुविधा

नंदीशाला योजना के तहत गायों को गौशाला में रखने के लिए कई प्रकार की सुविधा दी जा रही है। गौशाला में बीमार मवेशियों के लिए एंबुलेंस की सुविधा दी जा रही है। यह एंबुलेंस की सुविधा तहसील स्तर पर दी जा रही है। किसी भी गौशाला के बीमार पशुओं के ईलाज के लिए एंबुलेंस सुविधा दी जाएगी। जरुरत पडऩे पर 102 डायल करने पर गोशाला में एंबुलेंस पहुंच जाएगी।


गौशाला विकास योजना के लिए पात्रता / शर्तें और लाभ 

राजस्थान सरकार द्वारा गोपालन विभाग के तहत गौशाला विकास योजना चलाई जा रही हैं। जिसके तहत गौशाला के स्थायी आधारभूत परिसम्पतियों के निर्माण हेतु सहायता राशि दी जाती हैं। सरकार की यह योजना गौशालाओं के लिए लाभकारी योजना में से एक हैं। इस योजना का लाभ उठाने के लिए कुछ पात्रता/शर्तें भी है जो इस प्रकार से हैं-

  • गौशाला की स्थाई आधारभूत संरचना निर्माण के लिए सहायता राशि दी जाएगी।
  • 90 प्रतिशत राशि का वहन विभाग द्वारा व 10 प्रतिशत राशि वहन स्वंय गौशालाओं को करना होगा।
  • राजस्थान के सभी गौशाला योजना के आवेदन की पात्र होगी।
  • गौशाला में चारा, गोपालक आवास गृह, पानी की खेली आदि बनवाई जाएगी।
  • स्वयं के स्वामित्व वाली भूमि पर गौशाला व न्यूनतम 20 वर्ष के लिए लीज पर गौशाला वाले ही योजना के पात्र।
  • वित्तीय अनियमितता व गबन प्रकरण वाली गौशाला को योजना का लाभ देय नहीं होगा।
  • राजस्थान गौशाला अधिनियम के तहत पंजीकृत गौशाला।
  • निर्माण कार्य करने वाली गौशाला ही योजना की पात्र मानी जाएगी।


गौशाला योजना का लाभ उठाने के लिए कैसे करें आवेदन ( Gaushala Yojana )

गौशाला योजना के तहत दिए जाने वाले अनुदान लाभ प्राप्त करने के लिए जन सूचना पोर्टल राजस्थान की आधिकारी वेबसाइट के अंतर्गत गोपालन विभाग योजना से फॉर्म प्राप्त कर लें। फॉर्म को पूर्ण रुप से भर आवश्यक डॉक्यूमेंट लगा विभाग में जमा करा दें। इस संंबंध में और अधिक जानकारी के लिए अपने निकटतम पशुपालन विभाग से भी संपर्क किया जा सकता है। इस योजना के संबंध में अधिक जानकारी के लिए गोपालन निदेशालय की वेबसाइट  https://gopalan.rajasthan.gov.in/goshalareg.htm पर जाकर प्राप्त की जा सकती है।

 


गोपालन निदेशालय के बारे में

गाय और उसकी संतान के माध्यम से राजस्थान राज्य की अर्थव्यवस्था में योगदान करने के लिए और शुद्ध नस्ल देशी गाय के प्रजनन, नस्ल सुधार, देशी गाय की नस्लों के संरक्षण और गाय उत्पादों के मूल्य संवर्धन के संबंध में जैव विविधता के संरक्षण के लिए। माननीय मुख्यमंत्री, राजस्थान ने बजट घोषणा 2013-14 दिनांक 12/03/2013 में एक अलग गौसेवा निदेशालय खोलने की घोषणा की। यह 22/07/2013 को कार्य कर रहा था। 13.03.2014 को अलग गोपालन विभाग बनाया गया है दिनांक 19 दिसंबर 2014 से गौसेवा निदेशालय, राजस्थान का नाम बदलकर निदेशालय गोपालन राजस्थान कर दिया गया है। 

 

राजस्थान में कितना पशुधन

राजस्थान राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 3,42,239 वर्ग किलोमीटर है जो देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का 10.45 प्रतिशत है। 2012 की पशुधन गणना के अनुसार राज्य की कुल पशुधन आबादी 577.32 लाख है। राज्य में कुल मवेशियों की आबादी 133.24 लाख है जिसमें राजस्थान में क्रॉस ब्रीड मवेशी 17.35 लाख और देशी मवेशी 115.89 लाख हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आय, रोजगार पैदा करने और गरीबी कम करने में पशुधन क्षेत्र का महत्वपूर्ण प्रभाव है।


देशी गाय के उत्पाद से होने वाले लाभ

देशी गाय और उसके उत्पादों का महत्व और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उनका काफी योगदान है। दूध और दुग्ध उत्पादों के रूप में संतुलित आहार के लिए आवश्यक सभी तत्वों से युक्त एक पौष्टिक और पौष्टिक आहार देने के अलावा, खेतों की जुताई और परिवहन के लिए, गाय का गोबर और मूत्र भी एक अमूल्य स्रोत साबित हो सकता है। जैविक खाद के साथ-साथ कई बीमारियों को ठीक करने वाली दवाओं के लिए भी इसके उत्पादों का प्रयोग किया जाने लगा है। गोबर को ईंधन के रूप में भी जलाया जाता है और ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युतीकरण और खाना पकाने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत के रूप में बायो-गैस संयंत्रों में उपयोग किया जाता है। बायो-गैस संयंत्रों का घोल भी खाद के रूप में प्रयोग करने योग्य है, क्योंकि यह नाइट्रोजन का एक समृद्ध स्रोत है। आयुर्वेद में कई रोगों के उपचार के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली एक महान दवा पंचगव्य है जिसमें गाय के दूध, घी, दही के पांच उत्पाद शामिल हैं। इसके गौमूत्र और गाय का गोबर भी उपयोगी माना गया है। गौमूत्र को प्राचीन काल से कई रोगों को ठीक करने के लिए प्रयोग किया जाता रहा है।

 

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