प्रकाशित - 21 Sep 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसान तरह तरह की फसलों की खेती करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर रहे हैं और सरकार भी चाहती है कि किसान अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की खेती करके अपनी आय बढ़ाएं। ऐसे में अफीम की खेती (opium cultivation) किसानों के लिए काफी मुनाफा देने वाली साबित हो सकती है, लेकिन अफीम की खेती भारत सरकार की अनुमति के बिना नहीं की जा सकती है। इसके लिए भारत सरकार लाइसेंस जारी करती है, उसी के बाद किसान अफीम की खेती (opium cultivation) कर सकते हैं। इस बार सरकार ने एक लाख से अधिक किसानों को अफीम की खेती के लिए लाइसेंस (License for opium cultivation) देने की घोषणा की है। यह घोषणा नई अफीम नीति (new opium policy) के तहत दी गई है। इससे अब पहले से अधिक किसान अफीम की खेती करके अपनी आय में इजाफा कर पाएंगे। वहीं अफीम की खेती से सरकार को भी लाभ होगा, सरकार इसका निर्यात कर विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकेंगी जो देश के विकास में काम आएगी। इस तरह अफीम की खेती से किसान और सरकार दोनों को फायदा हो रहा है। हालांकि अफीम की खेती के लिए सरकार की ओर से सीमित संख्या में ही लाइसेंस जारी किए जाते हैं क्योंकि अफीम का गलत इस्तेमाल भी लोग करते हैं। लोग इसे नशे के रूप में इसका इस्तेमाल करते हैं जो गलत है। जबकि अफीम का इस्तेमाल (use of opium) खास तौर पर कैंसर की दर्द निवारक दवा बनाने और खांसी सिरप जैसी दवाईयां बनाने के लिए किया जाता है। सरकार भी इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए देश में अफीम की खेती के लिए लाइसेंस (License for opium cultivation) जारी करती है ताकि किसान की इनकम बढ़ने के साथ ही चिकित्सा के क्षेत्र में इसका औषधीय प्रयोग किया जा सके। बता दें कि भारत में मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान इसकी खेती करते हैं। ऐसे में इन राज्यों के किसानों के लिए यह खबर काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।
कोई भी किसान अफीम की खेती बिना लाइसेंस के नहीं कर सकता है। इसके बढ़ते दुरुपयोग को देखते हुए सरकार ने अफीम की खेती के लिए लाइसेंस (License for opium cultivation) लेना अनिवार्य कर दिया है। अफीम के लिए सरकार अफीम नीति के तहत लाइसेंस जारी करती है ताकि सरकार की नजर में रहे कि कौनसे किसान अफीम की खेती कर रहे हैं। साथ ही अफीम की सरकारी खरीद की जाती है जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शारीरिक दर्द कम करने संबंधी देखभाल और अन्य चिकित्सा उद्देश्यों के लिए औषधी (फार्मास्युटिकल) तैयारियों की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। साथ भी यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि अल्केलॉइड उत्पादन घरेलू मांग के साथ-साथ भारतीय निर्यात उद्योग की जरूरतों को भी पूरा कर सके।
नई अफीम नीति के तहत किए गए प्रावधानों के मुताबिक इस बार जिन किसानों को अफीम की खेती के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे, उनके लिए शर्तें इस प्रकार से हैं
सरकार ने अफीम के लिए प्रोसेसिंग यूनिट बनाने का निर्णय लिया है ताकि इसके निर्यात को बढ़ाया जा सके। बता दें कि अफीम की घरेलू मांग के साथ ही इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है, इसे देखते हुए सरकार अफीम की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर काम करेगी ताकि किसानों के साथ ही सरकार को भी अफीम की खेती से लाभ हो प्राप्त हो सके। केंद्र सरकार ने कंसेंट्रेटेड पॉपी स्ट्रॉ के लिए पीपीपी मोड पर 100 मीट्रिक टन क्षमता की एक प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने का निर्णय लिया है।
अफीम की खेती करने के लिए वित्त मंत्रालय लाइसेंस जारी करता है। अफीम की खेती कहां और कितने क्षेत्रफल में की जाएगी, यह सरकार निर्धारित करती है। इसीलिए भारत में कुछ जगहों पर ही इसकी खेती की जाती है जिसमें मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तरप्रदेश शामिल हैं।
वित्त मंत्रालय की जारी अधिसूचना के मुताबिक किसी भी किसान को तब तक लाइसेंस मंजूर नहीं किया जाएगा, जब तक वह निर्धारित की गई शर्तों व नियमों को पूरा नहीं करता है, अफीम की खेती के लिए लाइसेंस से संबंधित प्रमुख शर्तें व नियम (Terms and conditions for license for opium cultivation) इस प्रकार से हैं
सभी पात्र निविदा किसानों को अधिकतम 0.10 हैक्टेयर में अफीम की खेती करने के लिए लाइसेंस दिया जाता है। यदि किसान चाहे तो उन्हें लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र बनाने के लिए दूसरों की भूमि पट्टे पर लेने की अनुमति दी जाती है। वहीं यदि खेती का वास्तविक क्षेत्र लाइसेंसशुदा क्षेत्र से 5 प्रतिशत तक अधिक है तो ऐसा अधिक क्षेत्र क्षम्य हो सकता है यानी इसे क्षमा किया जा सकता है, लेकिन इससे अधिक क्षेत्र होने पर कार्रवाई हो सकती है। इसलिए किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित किए गए क्षेत्र में ही इसकी खेती करनी चाहिए।
वित्त मंत्रालय की ओर से समय-समय पर अफीम नीति घोषित की जाती है। इसके लिए सरकारी निविदा निकाली जाती है। आप निविदा के अनुसार आवेदन प्रस्तुत करके वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग) से इसका लाइसेंस (License) प्राप्त कर सकते हैं। बता दें अफीम की खेती सरकारी अनुमति से की जाती है, बिना अनुमति के इसकी खेती करना अवैध माना गया है। इसलिए किसान इसकी खेती करने से पहले सरकार से लाइसेंस अवश्य प्राप्त कर लें और इसके बाद ही इसकी खेती करें।
अफीम की खेती रबी सीजन में की जाती है। आमतौर पर अफीम की खेती के लिए बुवाई अक्टूबर-नवंबर में की जाती है। इसकी बुवाई के लिए प्रति हैक्टेयर करीब 7 से 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। इसकी खेती करने से पहले खेत की जमीन की अच्छे से जुताई करनी चाहिए। वहीं इसकी खेती में गोबर की खाद और वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करना चाहिए ताकि बेहतर पैदावार प्राप्त की जा सके। हर साल अप्रैल माह में नार्कोटिक्स विभाग किसानों से अफीम की फसल खरीदता है।
यदि एक बार आपको अफीम की खेती का लाइसेंस मिल जाता है तो आप नारकोटिक्स विभाग के इंस्टीट्यूटस से अफीम का बीज (poppy seed) प्राप्त कर सकते हैं और इसकी खेती कर सकते हैं। अफीम की खेती के लाइसेंस के संबंध में और अधिक जानकारी आप केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो (Central Narcotics Bureau) की आधिकारिक वेबसाइट http://www.cbn.nic.in/hi/home/ पर प्राप्त कर सकते हैं।
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