किसानों को सोयाबीन पर मिलेगा 1000 रुपए प्रति क्विंटल का अनुदान - जानें पूरी जानकारी

Share Product प्रकाशित - 01 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

किसानों को सोयाबीन पर मिलेगा 1000 रुपए प्रति क्विंटल का अनुदान - जानें पूरी जानकारी

सरकार का बड़ा फैसला, सोयाबीन बीज प्रीमियम राशि दोगुनी की

राजस्थान सरकार की ओर से सोयाबीन किसानों के पक्ष में एक बड़ा फैसला लिया गया है। राज्य सरकार की ओर से सोयाबीन बीज उत्पादन पर अब किसानों को 500 रुपए की जगह 1000 रुपए की प्रीमियम राशि सरकार की ओर से प्रति क्विंटल के हिसाब से दी जाएगी। राज्य सरकार के इस निर्णय से सोयाबीन किसानों को राहत मिली है। बता दें कि सरकार किसानों को गुणवत्तापूर्ण प्रमाणिक बीज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बीज उत्पादन कार्यक्रम चला रही है। इसके तहत विभिन्न फसलों के गुणवत्तापूर्ण प्रमाणिक बीज उत्पादन पर सरकार की ओर से किसानों को प्रोत्साहन राशि या अनुदान दिया जाता है। 

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इसी क्रम में राजस्थान सरकार की ओर से सोयाबीन बीज उत्पादन कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत अभी तक किसानों को 500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से प्रोत्साहन राशि या अनुदान किसानों को दिया जाता था, लेकिन अब इस अनुदान को दुगुना कर दिया गया। अब सोयाबीन बीज उत्पादन पर किसानों को एक हजार रुपए प्रति क्विंटल अनुदान दिया जाएगा। यानि एमएसपी पर एक हजार रुपए बढ़ाकर किसानों को भुगतान किया जाएगा। यानि अब सोयाबीन उत्पादकों को एम.एस.पी.पर 1,000 रुपए प्रति क्विंटल अतिरिक्त मिलेंगे। 

इन्हें दिए जाएंगे बीज विक्रय के लिए लाइसेन्स

राजस्थान स्टेट सीड्स कॉरपोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष धीरज गुर्जर ने मीडिया को दी गई जानकारी में बताया कि देश एवं राज्य के किसानों को आसानी से बीज उपलब्ध कराने के लिए गांव और ढाणी में स्थित केवीएसएस तथा जीएसएस को बीज लाइसेंस दिलवाकर बीज निगम के अधिकृत डीलर बनाने का अभियान शुरू किया गया है। साथ ही निजी क्षेत्र के बीज विक्रेताओं को भी बीज निगम के अधिकृत विक्रेता बनाए जाने की प्रक्रिया चल रही है। 

राज्य के बाहर की संस्थाओं को भी बेचा जाएगा बीज

गुर्जर ने बताया कि निगम द्वारा पहली बार अनुबंध आधारित नीति के तहत राज्य एवं राज्य से बाहर की संस्थाओं के लिए भी बीजोत्पादन कर बीज विक्रय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पहली बार राज्य के किसानों के साथ ही राज्य के बाहर की बीजोत्पादक संस्थाओं के साथ एम.ओ.यू.के आधार पर सोयाबीन फसल का प्रमाणित बीज उत्पादन का काम शुरू किया जा रहा है। इसके तहत सोयाबीन के 30 हजार क्विंटल प्रमाणित बीज उत्पादन किया जाएगा।

किसानों को एक ही स्थान पर मिलेगी फसल बेचने और बीज खरीदने की सुविधा

बीज विपणन को बढ़ावा देने हेतु निजी क्षेत्र के बीज विक्रेताओं को निगम का अधिकृत विक्रेता बनाया जा रहा है। इसके लिए व्यापार के आधार पर स्लेब आधारित व्यापारिक छूट की नीति लागू की जाएगी, जिसके अन्तर्गत जो डीलर अधिक बीज बेचेगा उसे अधिक प्रोत्साहन राशि मिलेगी। बीज विपणन के सुदृढीकरण हेतु राज्य की कृषि उपज मंडियों में 144 भू-खंडों पर निगम के रिटेल आउटलेट चरणबद्ध रूप से निर्मित किए जाएंगे। इससे किसान एक ही स्थान पर अपनी फसलों के बेचने के साथ ही अपने लिए उत्तम गुणवत्ता के बीज खरीद सकेंगे। 

बीजों की गुणवत्ता का किया जाएगा परीक्षण

बीजों की गुणवत्ता को उच्चतम स्तर पर बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। प्रमाणित बीजों की आनुवांशिक शुद्धता परीक्षण करने के लिए निगम द्वारा स्वयं के स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए खरीफ एवं रबी फसलों के बीजों में जी.ओ.टी. परीक्षण किया जा रहा है।

क्या है सोयाबीन का एमएसपी 2022-23

तिलहनों में सोयाबीन का एमएसपी पिछले साल के 3,950 रुपए से बढ़ाकर 4,300 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है, जबकि सूरजमुखी के बीज के लिए समर्थन मूल्य 6,015 रुपए से बढ़ाकर 6,400 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। मूंगफली का समर्थन मूल्य पिछले साल के 5,550 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,850 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

राजस्थान के किन जिलों में होती है सोयाबीन की खेती

भारत में सोयाबीन एक खरीफ की फसल के रूप में जाना जाता है। इसकी बुआई जून-जुलाई के महीनों के मध्य की जाती है और कटाई सितंबर-अक्टूबर के महीनों में कर ली जाती है। भारत में सोयाबीन की खेती विशेष रूप से महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटका, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में होता है। मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के बाद राजस्थान में सोयाबीन का उत्पादन होता है। राजस्थान के कोटा, बारां, बूंदी, झालावाड़ जिलों में सोयाबीन की खेती होती है। इसमें कोटा और बारां में इसकी खेती सबसे ज्यादा की जाती है। सोयाबीन में बहुत से पोषक तत्व पाए जाते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा होते है। सोयाबीन में 33 प्रतिशत प्रोटीन, 22 प्रतिशत वसा, 21 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 12 प्रतिशत नमी तथा 5 प्रतिशत भस्म होती है।

बीज उत्पादन के लिए सोयाबीन की उन्नत प्रजातियां

सोयाबीन की कुछ विशेष प्रजातियां हैं जिनमें जे.एस. 335, डी.एस. 1712, पी.के. 1012, पी.के. 1042। इनमें से जे.एस. 335 सन 1994 में, जे.एन.के.वी. जबलपुर द्वारा विकसित किया गया है। यह प्रजाति 90-100 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसका उत्पादन करीब 25-30 कुंतल है। जबकि डी.एस. 9712 आई.ए.आर.आई. नई दिल्ली द्वारा विकसित किया है। जबकि पी.के. 1042 सन 1997 में जी.बी.पी.यू.ए.टी. पंतनगर द्वारा विकसित किया गया है। ये तीनों विशेषकर भारत सोयाबीन की खेती के लिए मुख्य रूप से उपयोग में लाई जाने वाली उन्नत किस्में हैं। सोयाबीन में 38-45 प्रतिशत प्रोटीन तथा इसके साथ-साथ 20 प्रतिशत तेल भी प्राप्त होता है। इतने अधिक प्रतिशत प्रोटीन और तेल एक ही फसल में मिलने के कारण सोयाबीन को दलहनी एवं तिलहनी, दोनों श्रेणी में रखा जाता है। 

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