Published - 29 Dec 2021
किसानों को उर्वरक, बीज तथा कई अन्य कृषि से संबंधित कामों के लिए रुपए की आवश्यकता होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार की ओर से किसानों को सस्ती दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है। इसके तहत सहकारी समितियों और सरकारी बैंकों के माध्यम से किसानों को ऋण प्रदान किया जाता है। राज्य सरकार अपने स्तर पर किसानों को इसमें ऋण माफी या छूट का लाभ समय-समय पर प्रदान करते हैं, जैसे- प्राकृतिक आपदा के कारण फसल नुकसान होने पर इन ऋणों में राहत प्रदान की जाती है। इसी क्रम में राजस्थान सरकार ने राज्य के किसानों को फसल ऋण का लक्ष्य बढ़ा दिया है। अब राज्य सरकार की ओर से 23 हजार 500 करोड़ रुपए के ऋण किसानों को दिए जाएंगे। बता दें कि कुछ राज्य सरकारों के की ओर से किसानों को बिना किसी ब्याज के फसली ऋण सहकारी समितियों के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना के तहत राजस्थान सरकार ने अधिक से अधिक किसानों को इस योजना का लाभ मिल सके इसके लिए फसली ऋण के वितरण का लक्ष्य बढ़ा दिया है।
राजस्थान सरकार राज्य के किसानों को अल्पकालीन फसली ऋण बिना किसी ब्याज के सहकारी बैंकों के माध्यम से देती है। राज्य सरकार ने इस वर्ष किसानों को ऋण देने के लिए लक्ष्य तय कर दिया है साथ ही इस वर्ष सरकार 3 लाख नए किसानों को फसली ऋण देने वाली है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सहकारिता मंत्री श्री उदय लाल आंजना ने कहा कि राज्य के अधिक से अधिक किसानों को सहकारी फसली ऋण के दायरे में लाने के लिए फसली ऋण का लक्ष्य 23 हजार 500 करोड़ रुपए करने का प्रयास किया जाएगा। इस वर्ष फसली ऋण वितरण का लक्ष्य 16 हजार करोड से बढ़ाकर 18 हजार 500 करोड़ रुपए किया गया है, और अब तक 13 हजार 878 करोड़ रुपए का ऋण वितरित हो चुका है। उन्होंने निर्देश दिए कि 31 जनवरी, 2022 तक अधिकतम ऋण वितरण हो जाना चाहिए।
सहकारिता रजिस्ट्रार श्री मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि प्रशासन गांव के संग अभियान में 2 लाख नए किसानों के लक्ष्य के विरूद्ध 2.57 लाख किसानों को फसली ऋण से जोड़ा गया है। 117 नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों बनी है, जिससे करीब 1.75 लाख लोगों को जोड़ा है। डिफाल्टर किसानों को 224 करोड़ का ऋण वितरण किया गया है।
प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता श्री दिनेश कुमार ने कहा कि मछली पालन करने वालो को भी केसीसी लोन दिया जाएगा ताकि ऐसे परिवारों की इस कार्य के लिए जरूरतें पूरी करे सकें। उन्होंने निर्देश दिए कि नए किसानों को समय पर लोन वितरण किया जाए ताकि खेती किसानी में परेशानी नहीं हो। उन्होंने निर्देश दिए कि ऋण वितरण के ऑनलाइन पंजीयन के पोर्टल पर किसानों का भूमि विवरण को भी अपलोड किया जाए तथा कस्टम हायरिंग का कार्य करने वाली जीएसएस को एप पर जोड़ा जाए।
छोटी अवधि के लिए लिया गया लोन अल्पकालीन फसली ऋण कहलाता हैं। फसल ऋण को अल्पावधि ऋण भी कहा जाता हैं। इस तरह से किसान जरूरत पढऩे पर जैसे जुताई, बुवाई, निराई, प्रत्यारोपण, बीजों, उर्वरकों, कीटनाशकों आदि से खेत में पैदावार बढ़ाने के लिए छोटी अवधि का लोन लेता है। इन्हें ही अल्पावधि ऋण या अल्पकालीन फसली ऋण कहा जाता हैं।
भारत में भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आईडीबीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, आंध्रा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक, ऐक्सिस बैंक, इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कॉर्पोरेशन बैंक किसानों को अल्पकालीन फसली ऋण प्रदान करते हैं जिनकी ब्याज दरें भी सस्ती होती है। इसके अलावा देश के शीर्ष सात बैंक ऐसे हैं जो किसानों को फसली के अलावा विभिन्न उद्देश्यों के लिए कृषि ऋण भी प्रदान करते हैं। इनमें देना बैंक, भारतीय बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, विजय बंक, सिंडीकेट बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया हैं।
भारतीय स्टेट बैंक, देश का सबसे बड़ा ऋण दाता एसीसी या केसीसी के रूप में फसल उत्पादन के लिए ऋण प्रदान करता है। एबीआई लोन में निम्नलिखित बातें शामिल हैं - फसल उत्पादन खर्च, फसल कटाई के बाद के खर्च और आकस्मिकता, आदि। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) को इलेक्ट्रॉनिक रूपे कार्ड के रूप में दिया जाता है, जिसके माध्यम से किसान एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं, पीओएस जैसे उर्वरक खरीद सकते हैं।
फसल ऋण के लिए आवेदन करने के लिए आप अपने नजदीकी बैंक शाखा में जाएं और बैंक के अधिकारी से मिलें और उसे बताएं कि आप फसल ऋण के लिए आवेदन करना चाहते हैं। बैंक अधिकारी आपको एक फॉर्म देगा और पूरी प्रक्रिया समझाएगा। इसके बाद आप फार्म को सावधानीपूर्वक अच्छे से पढ़ें और इसमें मांगी गई सूचना सही-सही भरकर बैंक में जमा करा दें। यदि आपका बैंक से लोन स्वीकार हो जाता है तो आपको बैंक की ओर से मैसेज भेज दिया जाता है।
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