Published - 21 May 2022 by Tractor Junction
सरकार की ओर से खेतीबाड़ी और बागवानी के साथ ही पशुपालन और मछलीपालन को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार की ओर से किसानों की तरह ही पशुपालक व मछलीपालकों को क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी जा रही है। इसी क्रम में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से मछली पालकों को क्रेडिट कार्ड प्रदान किए जा रहे ताकि उन्हें बैंक से आसानी से ऋण उपलब्ध हो सके। राज्य में अब तक एक लाख 5 हजार मछलीपालकों के क्रेडिट कार्ड बनाए गए हैं। बता दें कि किसान क्रेडिट कार्ड से मछलीपालक और पशुपालकों को 1.60 लाख रुपए तक का लोन बिना गारंटी के मिलता है तथा वे इस कार्ड के माध्यम से 2 लाख रुपए तक की राशि का बैंक लोन ले सकते हैं।
मध्यप्रदेश में अब तक 443 मछुआरों को क्रेडिट कार्ड के लिए स्वीकृति पत्र जारी किए गए है। इस योजना की सबसे खास बात ये हैं कि इस योजना के तहत किसानों को प्रथम बार में 7 प्रतिशत की दर से ऋण प्रदान किया जाता है। यदि किसान निर्धारित समय पर ऋण चुका देता है उसे 4 प्रतिशत की दर से लोन मिल जाता है। इस तरह किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये किसानों, पशुपालकों और मछलीपालकों को सस्ता लोन बैंक के माध्यम से मुहैया कराया जाता है।
बीते दिनों मध्यप्रदेश में मछुआ सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पर हुआ जिसमें सीएम ने कहा कि प्रदेश के मछुआरों के आर्थिक विकास के लिए स्थानीय निकायों में स्मार्ट फिश पार्लर स्थापित किए जाएंगे। इससे हमारे मछुआरे भाई-बहनों को संगठित रोजगार मुहैया कराने के साथ ही उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार की स्वच्छ और ताजी मछलियों की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो सकेगी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मत्स्य विकास योजना शुरू कर मत्स्य-बीज उत्पादन एवं झींगा-सह-मछली पालन के लिए सहायता दिलवाई जाएगी। मछुआरों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर भी किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवाए जाएंगे। उन्होंने 400 लाभार्थियों को मत्स्याखेट किट और 50 को मत्स्य-विक्रय और परिवहन के लिए मोटरसाइकिल का वितरण किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मछुआरों को पहले पैदल और बस से यात्रा करने में परेशानी होती थी, वे अपना सामान ठीक से एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जा पाते थे। अब शासन की ओर से मछुआरों को मोटरसाइकिल प्रदान की जा रही है, इससे उन्हें लाभ होगा। योजना में अभी तक 50 लोगों को लाभान्वित किया गया है। इसके अलावा मछुआरों को मत्स्याखेट किट भी दी जा रही है जिसमें जाल, कांटा आदि शामिल है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि मछुआरों को मत्स्य बीज, मछली, झींगा उत्पादन बढ़ाने और मार्केटिंग-ब्राडिंग की सुविधा देने की रणनीति बनाई गई है। तालाब हैचरी, मछली आहार संयंत्र, नाव और जाल आदि उपलब्ध करवाने में भी सहायता की जाएगी। केवट समाज में कई अच्छे तैराक और नाव एवं डोंगा चालक हैं, इन्हें प्रोत्साहित करने के लिए नर्मदा नदी में डोंगा चालन प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।
राज्य सरकार की ओर से दावा किया जा रहा है कि राज्य में मछली पालन की रफ्तार राष्ट्रीय वार्षिक वृद्धि दर से दोगुनी है। प्रदेश में करीब 4.5 लाख हेक्टेयर जल क्षेत्र में से 99 प्रतिशत क्षेत्र में मछलीपालन किया जा रहा है। इसमें बालाघाट जिले को प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के क्रियान्वयन मेें देश के सर्वश्रेष्ठ जिले का पुरस्कार मिल चुका है। प्रदेश मे पौने दो लाख से अधिक मछुआरों को दुर्घटना बीमा योजना का लाभ मिल रह है।
मत्स्य पालन विभाग की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 3.56 लाख हेक्टयर जलक्षेत्र जलाशय, पोखर और तालाब के रूप में उपलब्ध है, जिसमें 2.94 लाख हेक्टयर जलक्षेत्र जलाशय का तथा 0.62 लाख हेक्टयर जलक्षेत्र ग्रामीण तालाब एवं पोखर का सम्मिलित है, इसमें से 3.49 लाख हेक्टयर जलक्षेत्र मछली पालन अन्तर्गत लाया जा चुका है, जिसमें 2.92 लाख हेक्टयर जलाशय का तथा 0.576 लाख हेक्टयर ग्रामीण तालाबों एवं पोखरों का है। उपरोक्त जलक्षेत्र में 1.72 लाख हेक्टेयर के 12 जलाशय मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ तथा 0.134 लाख हेक्टेयर के 45 जलाशय विभागाधीन एवं 1000 हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र तक के 0.91 लाख हेक्टेयर औसत जलक्षेत्र के 2,640 सिंचाई जलाशय पंचायत राज संस्थाओं को मध्यप्रदेश शासन, मछली पालन विभाग, मंत्रालय भोपाल के आदेश से हस्तांतरित किए गए है ।
मध्यप्रदेश में मछलीपालकों के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसका लाभ उन्हें प्रदान किया जा रहा है, ये योजनाएं इस प्रकार से हैं-
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