प्रकाशित - 14 Feb 2023
सामान्यत: सरसों की फसल फरवरी और मार्च महीने में पककर तैयार हो जाती है। इसके बाद इसकी कटाई का काम शुरू हो जाता है। सरसों की कटाई यदि पारंपरिक तरीके से न करते हुए आधुनिक मशीनों की सहायता से की जाए तो इसकी कटाई कुछ ही समय में की जा सकती है। इससे समय और श्रम की बचत होती है साथ ही खेती की लागत में भी कमी आती है। आज बाजार में फसल कटाई के बहुत से आधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध हैं जिसका प्रयोग करके किसान फसल कटाई का काम आसानी से कर सकते हैं। इसी कड़ी में आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में आपको सरसों की कटाई में काम आने वाले 3 टॉप कृषि यंत्रों की जानकारी दे रहे हैं।
सरसों की कटाई में कंबाइन मशीन काफी उपयोगी मानी जाती है। यह एक उच्च क्षमता वाली मशीन होती है। इसके प्रयोग से बहुत ही कम समय में सरसों की कटाई और मढ़ाई का काम किया जा सकता है। इस किस्म की छोटी मशीन से प्रति घंटे करीब 5 एकड़ क्षेत्र तक फसल की कटाई की जा सकती है। वहीं बड़ी मशीन की सहायता से प्रति घंटा करीब 10 एकड़ क्षेत्र तक फसल की कटाई की जा सकती है। यह मशीन पेट्रोल अथवा डीजल से चलाई जाती हैं। बाजार में दो प्रकार की कंबाइन मशीनें आ रही हैं जिनसे सरसों की कटाई का काम किया जा सकता है। बाजार में कंबाइन हार्वेस्टर काफी लोकप्रिय हो रहे हैं जिनसे बड़े क्षेत्रों में फसल कटाई का काम आसानी से किया जा सकता है।
कंबाइन हार्वेस्टर एक ऐसी मशीन है जिससे कम लागत और समय में किसान सरसों की कटाई कर सकते हैं। इस मशीन का उपयोग करने से कटाई के समय फसल की बार्बदी कम होती है और जल्दी काम पूरा हो जाता है। इसके अलावा फसल कटाई के बाद शीघ्र ही खेत नई फसल की बुवाई के लिए तैयार हो जाता है। इतना ही नहीं कंबाइन की खूबी ये हैं कि ये फसल को काटने के साथ ही इसे छानकर ट्राली में भर देता है। आज बाजार में कई कंपनियों के कंबाइन हार्वेस्टर (Combine Harvester) आ रहे हैं जिनकी कीमत करीब 10 लाख रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक है। किसान अपनी जरूरत के हिसाब से इसका चुनाव कर इसे खरीद सकते हैं।
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रीपर मशीन की सहायता से भी सरसों की कटाई का काम आसानी से किया जा सकता है। बाजार में कई प्रकार की रीपर मशीनें उपलब्ध हैं। इनमें हाथ से चलने वाली रीपर मशीन और दूसरी स्वचालित रीपर मशीन आती हैं। इसे ट्रैक्टर या डीजल के साथ चलाया जाता है। रीपर मशीन हार्वेस्टर (Harvester) मशीन से सस्ती आती है और छोटे क्षेत्रों में फसल कटाई के लिए उपयोगी हैं।
ऑटोमेटिक रीपर मशीन की सहायता से आप सरसों की कटाई का काम आसानी से कर सकते हैं। इसके अलावा आप इससे गेहूं, चना आदि की कटाई कर सकते हैं। यह मशीन खेत में तैयार फसल को उसकी जड़ एक पास से एक से दो इंच की ऊंचाई पर फसल को काटती है। जिन राज्यों में हरे चारे के लिए फसल काटनी हाती है, वहां कंबाइन अधिकतर किसान कंबाइन हार्वेस्टर के स्थान पर रीपर का प्रयोग करते हैं। बाजार में कई प्रकार की रीपर मशीनें आती हैं जिनमें एक ऑटोमेटिक रीपर मशीन भी है। यह मशीन बैटरी से चलती है। बाजार में ऑटोमेटिक रीपर मशीन की अनुमानित कीमत 1.5 लाख रुपए से लेकर 2 लाख रुपए तक है।
स्ट्रॉ रीपर एक कृषि उपकरण है, जिससे आप अनाज के डंठल को काट, थ्रेस और साफ कर सकते है। खेत में कंबाइन हार्वेस्टर चलाने के बाद गेहूं के डंठल रह जाते हैं। इसलिए उन्हें काटने, थ्रेसिंग और साफ करने के लिए स्ट्रॉ रीपर मशीन का इस्तेमाल किया जाता हैं। इस मशीन से उत्पादित भूसा बेचा जा सकता है और भूसा का उपयोग पशु फीडर और कम्पोस्ट खाद के लिए किया जाता है।
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कटर मशीन एक बहुत ही सस्ती मशीन होती है। इससे सरसों सहित अन्य फसलों की कटाई का काम आसानी से किया जा सकता है। ये मशीन उन किसानों के लिए काफी उपयोगी है जो कम क्षेत्रफल में खेती करते हैं। इस का रखरखाव भी आसान होता है। इसके अलावा इस मशीन को कोई भी व्यक्ति आसानी से चला सकता है।
इस मशीन की सहायता से पशुओं के खाने के लिए चारा तैयार किया जा सकता है। ये चारा मशीनें कई प्रकार की आती है जिनमें हाथ चलाने वाली चारा मशीन, विद्युत मोटर चलित चारा मशीन और ट्रैक्टर चालित चारा मशीन।
हाथ चलित चारा मशीन को हाथ से घुमाकर चलाया जाता है ये काफी सस्ती होती है। इस मशीन से प्रति घंटा 200 से 300 किलोग्राम तक हरा चारा काटा जा सकता है। इसकी कीमत 2 से 8 हजार रुपए के बीच होती है। अब दूसरी चारा मशीन, विद्युत मोटर की सहायता से चलाई जाती है। इस मशीन को चलाने के लिए सामान्यत: इस मशीन में 2 एचपी मोटर का प्रयोग किया जाता है। इससे हरा व सूखा चारा दोनों आसानी से काटा जा सकता है। इस मशीन की बाजार में कीमत 15 से 25 हजार रुपए तक है। तीसरी चारा मशीन जो है वह ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चलाई जाती है। ये मशीन सूखा और हरा चारा बहुत ही अच्छी क्षमता के साथ काटती है। ट्रैक्टर से चलने वाली इस मशीन की कीमत करीब 30 हजार से शुरू होकर 2 लाख रुपए तक होती है।
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सरकार की ओर से किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। अलग-अलग राज्य सरकारें अपने यहां तय नियमों के अनुसार अलग-अलग कृषि यंत्रों पर अलग-अलग सब्सिडी का लाभ देती है। मध्यप्रदेश मे सामान्यत: कृषि यंत्रों पर लागत का 40 से 50 प्रतिशत तक किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। वहीं बिहार सरकार किसानों को 40 से लेकर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है। इसी प्रकार यूपी में भी किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। हरियाणा में फसल कटाई यंत्रों पर किसानों को सब्सिडी दी जा रही है। कृषि यंत्रों पर सब्सिडी से संबंधित अधिक जानकारी के लिए किसान अपने जिले के कृषि विभाग से संपर्क करके इसकी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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