Published - 07 Jul 2021 by Tractor Junction
भारत में गेहूं के बाद जो खाद्यान्न फसल सबसे अधिक उगाई जाती है, वह है धान। हमारा देश धान उत्पादन के मामले में पूरे विश्व में दूसरा स्थान रखता है। देश के कुल फसली क्षेत्र में लगभग 34 प्रतिशत धान उगाया जाता है। धान के उत्पादन में देश में समग्र खाद्य फसल उत्पादन का 42 प्रतिशत शामिल है। इसके बावजूद आज किसान के लिए धान की खेती करना काफी मुश्किल हो गया है। एक तो इसकी रोपाई के लिए काफी श्रमिकों की आवश्यकता होती है और दूसरा इस पर खर्च भी अधिक आता है। धान उत्पादन को लेकर किसान की इन दोनों समस्याओं का समाधान पैडी ट्रांसप्लांटर कर सकता है। पैडी ट्रांसप्लाटर से धान की रोपाई करने पर श्रम तो बचेगा ही साथ ही धन की बचत भी होगी। साथ ही समय की बचत होगी वह अलग। इस तरह से पैडी ट्रांसप्लाटर की मदद से किसान आसानी से खेत में धान की रोपाई करके उत्पादन और आय को बढ़ा सकता है। जैसा की इस समय कई जगहों पर धान की रोपाई का काम शुरू हो गया है। ऐसे में किसानों के लिए ये मशीन काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। आइए जानते हैं इस पैडी ट्रांसप्लाटर के बारे में पूरी जानकारी और इससे कैसे हमारे किसान भाइयों को फायदा हो सकता है।
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पैडी ट्रांसप्लांटर की सहायता से धान की पौध की रोपाई की जाती है। इससे करीब 2 घंटे में एक एकड़ तक धान की रोपाई की जा सकती है। इस मशीन के कई मॉडल आते हैं जिनमें 4, 6,8 कतारों में धान की रोपाई करते हैं। इस मशीन से रोपाई करने पर समय की बचत होती है साथ ही पौधों की निश्चित दूरी होती है जिससे पौध सीधा और कतार में खड़ी रहती है। की मदद से कम समय एवं कम खर्च में धान की रोपाई आसानी से की जा सकती है।
पैडी ट्रांसप्लांटर मशीनें दो प्रकार की बाजार में आती है। पहली हाथ से चलने वाली धान रोपाई मशीन और दूसरी ऑटोमेटिक राइस ट्रांसप्लांटर मशीन।
इस मशीन के तीन प्रमुख भाग होते हैं जिनमें सीडलिंग ट्रे, पीक-उप असेंबली, सीडलिंग ट्रे शिफ्टर है।
यह डीजल चलित इंजन आठ पंक्ति वाली धान प्रत्यारोपण मशीन है। इसमें चटाईनुमा नर्सरी का उपयोग किया जाता है। यह मशीन चालक द्वारा उस पर बैठकर चलाई जाती है। खेत पर लोहे और सडक़ पर रब के एक पहिए पर चलती है। मशीन में प्रत्येक ढेर पर पौधों की संख्या, रोपाई की गहराई और पौधे से पौधे की दूरी के समायोजन का प्रावधान होता है। रोपाई की गहराई लगातार मशीन द्वारा स्वचालित रूप से बनाई रखी जाती है। यह मशीन चटाईनुमा नर्सरी को रखने के लिए ट्रे होती है। यह ट्रे एक छोर से दूसरे छोर तक निरंतर खिसकती रहती है। उंगलीनुमा रोपाई तंत्र द्वारा ट्रे पर रखी चटाईनुमा नर्सरी से धान के पौधे लेकर खेत में रोपाई होती है। चटाई की चौड़ाई 220 मिमी होती है रोपाई की गहराई 15 से 60 मिमी तक बदली जा सकती है। हर ढेर पर पौधों की संख्या तीन से आठ होती है। यह चटाई में पौधों की घनत्वता पर निर्भर करती है। इस मशीन की मदद से रोजाना चार एकड़ तक धन प्रत्यारोपण किया जा सकता है।
नर्सरी तैयार करने की विधि बहुत ही सरल है सबसे पहले मेट टाईप नर्सरी तैयार करना होता है। पोलीथिन के ऊपर फ्रेम की सहायता से गीली मिट्टी डालकर बराबर मात्रा में अंकुरित धान को छिडक़ा जाता है इसके लिए प्रति एकड़ लगभग 7 से 8 किलो ग्राम धान के बीज की आवश्यकता होती है। नर्सरी 15 से 18 दिन में मशीन से रोपाई हेतु तैयार हो जाती है। मशीन रोपाई हेतु खेत की उथली मताई रोपा के 4 से 5 दिन पहले करनी होती है, 1 एकड़ धान की मशीन से रोपाई हेतु मात्र 2 से 3 घंटे का समय लगता है एवं मजदूर मात्र 3 से 4 की आवश्यकता होती है। जबकि परंपरागत विधि से धान रोपाई में 15 से 20 मजदूर लगते हैं एवं लागत भी ज्यादा होती है।
मप्र सरकार ने पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन की अनुमानित कीमत ढाई लाख से पौने तीन लाख रुपए है। इसमें राज्य सरकार 40 फीसदी अनुदान देती है। इधर छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की नवीन फसल प्रदर्शन योजना के तहत पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से बुवाई करने पर सरकार की ओर से किसानों को प्रति एकड़ 3 हजार रुपए अनुदान दिए जाने का प्रावधान है। किसान अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से पैडी ट्रांसप्लांटर से बुआई के विषय में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। कृषि अभियांत्रिकी एवं कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को उपयुक्त मार्गदर्शन भी प्राप्त हो सकेगा।
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