एग्रीकल्चर मशीनरी : ये टॉप 5 कृषि यंत्र अपनाएं, श्रम और लागत घटाएं, मुनाफा बढ़ाएं

Share Product Published - 05 Mar 2021 by Tractor Junction

एग्रीकल्चर मशीनरी : ये टॉप 5 कृषि यंत्र अपनाएं, श्रम और लागत घटाएं, मुनाफा बढ़ाएं

आधुनिक कृषि यंत्र : जानें, इन पांच आधुनिक मशीनों के कार्य और लाभ?

वर्तमान समय में खेती के कार्य में निरंतर परिवर्तन आता जा रहा है। पहले किसान खेती के काम में परंपरागत कृषि यंत्रों का उपयोग करता था जिससे श्रम व समय के साथ ही लागत भी अधिक आती थी। लेकिन आज खेती के काम के लिए कई मशीनें आ गई हैं जिससे खेती का काम आसान हो गया है।

 

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मशीनों के प्रयोग से श्रम व समय की बचत

इन आधुनिक यंत्रों या मशीनों के प्रयोग से जहां कम श्रम व समय लगता है वहीं लागत में भी कमी आती है जिससे किसान को अधिक मुनाफा होता है। हालांकि आजकल अधिकतर किसान इन आधुनिक यंत्रों व मशीनों का प्रयोग खेती में करने लगे हैं। वहीं कुछ किसान अब भी ऐसे है जो जानकारी के अभाव में इन कृषि यंत्रों/मशीनों के उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। आज हम आपको खेती के टॉप 5 प्रमुख कृषि यंत्रों के बारे में जानकारी देंगे जिससे आपको खेती करना बहुत आसान हो जाएगा। तो आइए जानते हैं इन पांच टॉप कृषि यंत्रों के उपयोग और लाभ।

 


1. ट्रैक्टर

इन पांच कृषि यंत्रों की सूची में सबसे पहले ट्रैक्टर आता है। ट्रैक्टर खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण कृषि यंत्र है। यह एक ऐसी गाड़ी है जो कम चाल पर अधिक कर्षण बल (ट्रैक्टिव इफर्ट) प्रदान करने के लिए डिजाइन की गई होती है। यह अपने पीछे जुड़ी हुई कृषि उपकरण, सामान लदी ट्रैलर, ट्राली आदि खींचने का कार्य भी करता है। इसके ऊपर कुछ ऐसे कृषि उपकरण भी लगाए जाते हैं जिन्हें ट्रैक्टर से प्राप्त शक्ति से चलाया जाता है। ट्रैक्टर की सहायता से खेत की जुताई, बुवाई, सिंचाई, फसल की कटाई, ढुलाई आदि कार्य आसान हो जाते हैं, साथ ही कम समय किए जा सकते हैं। इसके साथ अन्य कृषि यंत्रों जैसे कल्टीवेटर, रोटावेटर, थ्रेसर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल आदि को जोडक़र खेती के काम किए जा सकते हैं।


ट्रैक्टर के उपयोग से होने वाले लाभ

  • इससे कठिन कार्य लगातार किया जा सकता है।
  • प्रतिकूल जलवायु का इस पर प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • यह विभिन्न गतियों से कार्य कर सकता है।
  • जब इसका व्यवहार नहीं होता तब इस पर कम ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

 

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2. हैपी सीडर

हैप्पी सीडर कृषि यंत्र हैप्पी सीडर, पराली संभालने वाला रोटर व जीरो टिल ड्रिल का मिश्रण है। इसमें रोटर धान की पराली को दबाने का काम करता है वहीं जीरो टिल ड्रिल बुवाई का काम करती है। इस यंत्र में दो टैंक (बॉक्स) होते हैं, जिसमें खाद और बीज अलग-अलग भरा जाता है। हैप्पी सीडर यंत्र के अगले हिस्से में कटर होता है, जो धान के अवशेष को काटकर मिट्टी में दबा देता है। जिससे अवशेष में फंसा बीज भूमि में गिर जाता है। धान फसल अवशेष मिट्टी में मिलकर कम्पोस्ट बन जाता है। जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति में बढ़ोतरी होती है। खेत की नमी बरकरार होने से अंकुरण बेहतर होता है। यह मशीन 45 हॉर्स पॉवर या इससे ज्यादा शक्ति के ट्रेक्टर के साथ चलाया जा सकता है, इस यंत्र से एक दिन में लगभग 6 से 8 एकड़ में बिजाई की जा सकती है।

 

हैप्पी सीडर के उपयोग से होने वाले लाभ

  • रबी फसल जैसे गेहूं की परंपरागत तरीके से बुआई के बजाए हैप्पी सीडर से बुआई में लागत कम आती है।
  • परंपरागत बुआई के तरीके में खेत को ट्रैक्टर से दो बार जुताई के बाद एक बार रोटावेटर चलाना पड़ता है।
  • हैप्पी सीडर यंत्र के उपयोग से खरीफ फसल की कटाई के उपरांत भूमि की नमी का उपयोग करते हुए एक ही बार में खेत की जुताई के बाद बीज की बुआई एवं खाद/उर्वरक का उपयोग होता है।
  • गेंहू की बुआई के लिए ट्रेक्टर से जुताई एवं रोटावेटर का उपयोग न करने से लगभग 5 हजार रुपए की बचत प्रति एकड़ के मान से हो जाती है।
  • हैप्पी सीडर यंत्र के उपयोग से बीज एवं खाद की भी बचत होती है।


3. रोटावेटर

इस तरह रोटावेटर मिट्टी की तैयारी के लिए उपयोगी मशीन है। यह एक शक्तिशाली बागवानी उपकरण हैं जो ट्रैक्टर के साथ कार्य करता है। रोटावेटर्स खेत की मिट्टी को तोडऩे के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। रोटावेटर्स मशीनें घूर्णन ब्लेड के एक सेट से सुसज्जित हैं जो उनके रोटेशन के दौरान मिट्टी के ढेलों को तोडऩे के काम आते हैं। इससे मिट्टी भुरभुरी होकर खेती के तैयार हो जाती है। रोटवेटर का उपयोग मुख्य रूप से खेतों में उपयोग बीज की बुआई के समय किया जाता है। इसके अलावा ये मक्का, गेहूं, गन्ना आदि के अवशेष को हटाने के साथ ही इसके मिश्रण करने के काम आता है। रोटावेटर के उपयोग से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार भी आता है।


रोटावेटर के उपयोग से होने वाले लाभ

रोटावेटर को किसी भी प्रकार की मिट्टी की जुताई में प्रयोग किया जा सकता है। इसका उपयोग 125 मिमी-1500 मिमी की गहराई तक की मिट्टी के जुताई के लिए किया जा सकता है। यह मिट्टी को तुरंत तैयार कर देता है जिससे पिछली फसल की मिट्टी की नमी का पूर्णतया उपयोग हो जाता है।

  • यह सूखे और गीले दोनों क्षेत्रों में कुशलता से कार्य कर सकता है।
  • इससे बीज की बुआई में जल्दी होती है। जिससे समय की बचत होती है।
  • इसका उपयोग फसलों के अवशेषों को हटाने में भी किया जा सकता है।
  • रॉटावेटर की सबसे बड़ी विशेषता यह है की इससे जुताई करने के बाद खेतों में पाटा लगाने की जरुरत नहीं पड़ती है।
  • रोटावेटर के उपयोग में अन्य यंत्रों की अपेक्षा 15 से 35 प्रतिशत तक ईंधन की बचत होती है।

 

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4. पावर टिलर

पावर टिलर एक ऐसी मशीन है जिससे जिससे खेती-बाड़ी के अनेक छोटे-बड़े कार्य कर सकते है। इसकी सहायता से खेत की जुताई से लेकर फसल की कटाई तक बहुत काम मे आने वाला यंत्र है। इससे खेत की जुताई, थ्रेसर, रीपर, कल्टीवेटर, बीज ड्रिल मशीन, पंप सेट, निराई, सिंचाई, मड़ाई और ढुलाई आदि का कार्य किए जा सकते हैं। इस मशीन की सहायता से फसल की निराई, सिंचाई, मड़ाई और ढुलाई करना बहुत आसान हो जाता है। इस मशीन को चलाना भी बहुत आसान है।

 

पावर टिलर के उपयोग से होने वाले लाभ

  • पावर टिलर की सहायता से जुताई, थ्रेसर, रीपर, कल्टीवेटर, बीज ड्रिल मशीन, पंप सेट, निराई, सिंचाई, मड़ाई और ढुलाई आदि का कार्य काफी आसानी से किए जा सकते हैं।
  • इस मशीन से एक सीध पर बुवाई होती है जिससे निराई-गुड़ाई के कार्य में आसानी होती है।
  • इसके उपयोग से मजदूरी, श्रम व पैसों की बचत होती है।
  • यह टिकाऊ होने के साथ ही लंबे समय तक चलता है।
  • इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना आसान होता है।


5. रोटो सीड ड्रिल मशीन

इस मशीन के गियर काफी मजबूत और शक्तिशाली होते हैं। इसका उपयोग मुख्य रूप से कटाई के बाद बुवाई के लिए किया जाता है। इसके साथ ही मलबे को कुचलने और मिश्रण के काम भी आती है। खेत जोतने के बाद सीड ड्रिल मशीन में खाद बीज रख कर ट्रैक्टर से बोआई की जाती है। रोटो सीड ड्रिल मशीन के प्रयोग से खाद और बीज दोनों की खपत कम होती है। पारंपरिक खेती में जहां एक बीघा में 20 किलो बीज व 20 से 25 किलो खाद की खपत होती है वहीं सीड ड्रिल से 15 किलो बीज व 16 किलो खाद की जरूरत होती है।


रोटो सीड ड्रिल के उपयोग से होने वाले लाभ

  • रोटो सीड ड्रिल मशीन से बुवाई करने पर 15-20 फीसद बीज की बचत की जा सकती है।
  • इस मशीन की सहायता से कतारबद्ध बुवाई होने से फसल पर आंधी व बारिश का असर कम पड़ता है।
  • सीड ड्रिल मशीन से बुवाई करने से फसल के नुकसान की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है।
  • सीड ड्रिल मशीन से बुवाई करने पर उत्पादन में भी 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी प्राप्त की जा सकती है।
  • इस मशीन के उपयोग से ईंधन की बचत होती है। इसके अलावा मिट्टी में नमी को संरक्षित करती है, साथ ही बीज और उर्वरक का प्रसार होता है।
  • सीड ड्रिल मशीन का उपयोग कर प्रति हैक्टेयर 1800 रुपए तक की बचत की जा सकती है।


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