प्रकाशित - 23 May 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
मानसून आने के साथ ही खरीफ सीजन की शुरुआत हो जाएगी। किसान खरीफ की मुख्य फसल धान की बुवाई भी शुरू करेंगे। खरीफ सीजन में बंपर पैदावार प्राप्त करने के लिए मिट्टी की सेहत को सुधारना भी बेहद जरूरी है। इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को मिट्टी जांच कराने की सुविधा के साथ ही मिट्टी के पोषक तत्वों की जानकारी भी दी जा रही है।
खास बात यह है कि राज्य सरकार की ओर से मिट्टी के लिए महत्वपूर्ण खनिज ‘जिप्सम’ पर किसानों को सब्सिडी दी जा रही है ताकि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी को दूर करके फसलों की उत्पादकता बढ़ाई जा सके। इस संंबंध में उत्तरप्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने जानकारी दी कि सरकार की ओर से ‘कृषि योजना’ के तहत 2 हैक्टेयर तक के खेतों में किसानों को 3 क्विंटल प्रति हैक्टेयर की दर से जिप्सम खरीदने की सुविधा दी जा रही है। इसके लिए लाभार्थी को पोर्टल पर पंजीकरण कराना जरूरी है।
जिप्सम में 23% कैल्शियम और 18.6% सल्फर पाया जाता है। ये दोनों तत्व फसलों की बढ़वार और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके इस्तेमाल से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है, जल धारण क्षमता बढ़ती है और खासकर क्षारीय व लवणीय भूमि में यह सोडियम को विस्थापित करके पीएच संतुलन बनाए रखता है। जिप्सम के प्रयोग से धान की फसल की जड़ें मजबूत होती हैं, जिससे पौधे ज्यादा पोषक तत्व अवशोषित कर पाते हैं। इसका असर सीधे दानों की गुणवत्ता पर पड़ता है, दाने मोटे, चमकदार और उत्पादन अधिक होता है।
जिप्सम का प्रयोग केवल धान तक सीमित नहीं है। इसका लाभ दलहनी व तिलहनी फसलों पर भी दिखाई देता है। दलहनी फसलों में यह राइजोबियम जीवाणुओं की सक्रियता बढ़ाकर प्रोटीन की मात्रा में बढ़ोतरी करता है, जबकि तिलहनी फसलों में तेल की मात्रा और पौधों के विकास को बेहतर करता है। जिप्सम के प्रयोग से फसलोत्पादन में अनुमानतः 10 से 15 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी देखी गई है। जिप्सम के फायदे को देखते हुए कृषि मंत्री ने प्रदेश के सभी किसानों से अपील की है कि वे राजकीय बीज गोदाम से जिप्सम प्राप्त करें और धान की बुवाई से पहले इसका प्रयोग करें। इससे वे न केवल मिट्टी की सेहत सुधारेंगे, बल्कि सरकारी सब्सिडी का लाभ भी उठा सकेंगे और अपनी आमदनी को बढ़ा सकेंगे।
धान की बुवाई से पहले मिट्टी में जिप्सम की मात्रा का प्रयोग भूमि की प्रकृति और राज्य सरकार की सिफारिशों के अनुरूप करना चाहिए है। आमतौर पर राज्य के कृषि विभागों और ICAR द्वारा दी गई सिफारिशें इस प्रकार हैं–
भूमि प्रकार | प्रति हेक्टेयर मात्रा | प्रयोग के लिए निर्देश |
सामान्य क्षारीय या लवणीय भूमि | 3 क्विंटल (300 किलो) | एक बार प्रयोग पर्याप्त |
अत्यधिक क्षारीय/ऊसर भूमि | 4 से 6 क्विंटल (400–600 किलो) | मिट्टी जांच के आधार पर |
हल्की अम्लीय या संतुलित भूमि | आवश्यक नहीं या बहुत कम मात्रा (1-2 क्विंटल) | केवल सल्फर की पूर्ति हेतु |
जिप्सम को धान की बुवाई से 15–20 दिन पहले मिट्टी में मिला देना चाहिए, ताकि यह अच्छी तरह घुलकर असर कर सके। जिप्सम को मिट्टी में जुताई के समय मिला दें या टॉप ड्रेसिंग करें और हल्की सिंचाई कर दें। जिप्सम के प्रयोग से पहले मृदा स्वास्थ्य कार्ड या स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र से जांच कराना बेहतर होता है। जिप्सम का इस्तेमाल करने से पहले अपने निकट के कृषि विभाग से संपर्क कर इसके बारे में पूरी जानकारी ले और मिट्टी की जांच के बाद मृदा स्वास्थ्य कार्ड पर दिए गए निर्देशानुसार उसकी मात्रा का प्रयोग करें।
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