प्रकाशित - 19 Apr 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
इन दिनों गर्मी का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। इसका असर इंसानों के साथ ही पशुओं पर भी देखा जा रहा है। बढ़ते तापमान का प्रभाव पशुओं की दूध (MiLk) देने की क्षमता पर भी पड़ता है। इसके कारण पशुपालक किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। यदि किसान गर्मी के मौसम में कुछ बातों का ध्यान रखें तो गर्मी में भी पशुओं के दूध की मात्रा को संतुलित रखा जा सकता है। इसके लिए पशुपालक किसानों को गर्मी के मौसम में पशुओं की विशेष देखभाल करनी चाहिए और साथ ही उनके खानपान का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि उनकी दूध देने की क्षमता हर मौसम में एक जैसी बनी रहे, जिससे दूध से मिलने वाले मुनाफे में अंतर न आए और पशु की सेहत भी ठीक रहे। आज हम आपको इसी विषय पर जानकारी दे रहे हैं कि आप कैसे अपने दुधारू पशु के दूध की मात्रा में बढ़ोतरी कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं इसके बारे में।
सबसे पहले पशुपालकों को यह जानना जरूरी है कि पशु की दूध देने की क्षमता गर्मियों में ही क्यों कम होती है। दरअसल, गर्मी के मौसम में तापमान में बढ़ोतरी के कारण पशु तनाव में जल्दी आ जाते हैं, जिसे हीट स्ट्रेस (Heat Stress) कहा जाता है। ऐसे में पशु शरीर के तापमान को नियंत्रित करने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करते हैं, जिससे उनकी भूख कम होने लगती है। इस कारण उनका दूध उत्पादन कम हो जाता है। ऐसे में पशुपालक किसानों को चाहिए कि इस मौसम में पशु को संतुलित और ऐसी खुराक दें, जिससे दूध की मात्रा प्रभावित न हो।
गर्मी के मौसम में पशुपालकों को पशु के आहार में भी उचित बदलाव करना चाहिए। इस मौसम में पशुओं को हल्की, सुपाच्य और शीतलता देने वाली वस्तुएं खिलानी चाहिए। ऐसे में पशुपालकों को उनके आहार में हरा चारा, गीला भूसा, खली आदि शामिल करना चाहिए। इस समय हरे चारे की मात्रा बढ़ा देनी चाहिए। हरे चारे के रूप में किसान लोबिया, रिजका (लूसर्न), नेपियर घास तथा अन्य अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का का हरा चारा इस्तेमाल कर सकते हैं, यह पशुओं के लिए काफी अच्छा रहता है। वहीं, खनिज मिश्रण यानी मिनरल मिक्स और विटामिन्स को भी आहार में शामिल किया जाना चाहिए।
पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और शरीर को ठंडा रखने के लिए नीम, तुलसी या पुदीने का अर्क भी पानी में मिलाकर पिलाना चाहिए। इससे पशु गर्मियों में जल्द बीमार नहीं पड़ेंगे। इसके अलावा, पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए दिन में कई बार ताजा और ठंडा पानी पिलाना चाहिए, क्योंकि पानी की कमी का सीधा प्रभाव पशु की दूध देने की क्षमता पर पड़ता है। ऐसे में पशु को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए उन्हें पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं।
पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए उन्हें छायादार, साफ–सुथरी और हवादार जगह पर बांधना चाहिए। वहीं, पशुबाड़े में सुबह–शाम पानी का छिड़काव भी किया जा सकता है। यदि संभव हो तो पंखा या कूलर लगाना चाहिए ताकि उन्हें लू व गर्मी से बचाया जा सके। इसके अलावा, पशु को दिन में एक या दो बार ठंडे पानी से नहलाना चाहिए ताकि उनके शरीर का तापमान नियंत्रित रहे। पशुपालकों को चाहिए कि समय–समय पर अपने पशु की जांच पशु चिकित्सक से कराएं ताकि समस्या का शुरुआत में ही निदान किया जा सके। यदि सही तरीके से पशुओं की देखभाल व पोषक आहार दिया जाए तो गर्मी में भी पशुओं से भरपूर दूध प्राप्त किया जा सकता है। उपरोक्त उपाय अपनाकर किसान गर्मी के मौसम में भी अपने डेयरी व्यवसाय को लाभकारी बना सकते हैं।
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