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विश्व मात्स्यिकी दिवस : अब मछुआरों को भी मिलेगी किसानों की तरह सुविधाएं

Share Product Published - 23 Nov 2020 by Tractor Junction

विश्व मात्स्यिकी दिवस : अब मछुआरों को भी मिलेगी किसानों की तरह सुविधाएं

ब्याज मुक्त ऋण व बिजली दरों में मिलेगी छूट, मछुआरों को चेक व प्रशिस्त पत्र देकर किया सम्मानित

सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं संचालित कर रही है। लॉकडाउन के बाद से अब तक सरकार ने किसानों के लिए कई घोषणाएं भी की और कई सुविधाएं भी किसानों को दी गई जैसे ब्याज मुक्त ऋण व बिजली दरों में छूट आदि। अब सरकार मछुआरों को भी किसानों की तरह सुविधाएं प्रदान कर उनकी आय बढ़ाने का प्रयास कर रही है। हाल ही में विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत मछुआरों को अनुदान दिए गए। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ में मछली पालन को खेती का दर्जा देने की पहल करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि खेती-किसानी की तरह मछली पालन के लिए कोऑपरेटिव बैंक से ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराने और किसानों को दी जाने वाली बिजली दरों में छूट की भांति मछली पालन करने वाले निषाद, केंवट और ढीमर समाज के लोगों को भी छूट दी जाएगी। कार्यक्रम के दौरान मछुआरों को मोटरसाइकिल सह आईस बाक्स का वितरण किया गया। 

 

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मछुआरों को मोटरसाइकिल व अनुदान चेक का किया वितरण

विश्व मात्स्यिकी दिवस के मौके पर 21 नवंबर को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में 11 बजे से मछुआ सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 15 मछुआरों को मोटरसाइकिल सह आईस बॉक्स तथा 2 मछुआरों को ऑटो सह आईस बॉक्स का वितरण किया। साथ ही इस मौके पर 10 मछुआ हितग्राहियों को मछुआ आवास योजना के अंतर्गत प्रथम किस्त की अनुदान राशि का चेक भी प्रदान किया गया। 

 


मत्स्य पालन के क्षेत्र के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए किया सम्मानित

मत्स्य पालन क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर भारत शासन द्वारा ए.पी. सिम्पोजियम हॉल, पूसा कैंपस नई दिल्ली में समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान, मत्स्य पालन क्षेत्र में पहली बार, भारत सरकार ने 2019-20 के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों ओडिशा (समुद्री राज्यों के बीच), उत्तर प्रदेश (अंतर्देशीय राज्यों के बीच) और असम (पहाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच) से सम्मानित किया गया । इसमें छत्तीसगढ़ राज्य के मेसर्स एम.एम.फिश सीड कल्टीवेशन प्राइवेट लिमिटेड, माना, जिला रायपुर को बेस्ट फिशरीज इन्टरप्राइज़ेस के तहत दो लाख रुपए का नकद पुरस्कार तथा प्रशस्ति पत्र एवं मेसर्स एम.आई.के कम्पनी, सिहावा, जिला धमतरी को बेस्ट प्रोप्राईटरी फर्म संवर्ग के तहत एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। 


मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा किए गए प्रयास

मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा है कि छत्तीसगढ़ राज्य में मछली पालन के क्षेत्र में प्रदेश के मत्स्य कृषक नवीनतम तकनीक को अपनाते हुए सफलता अर्जित कर रहे हैं। मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में प्रदेश आत्मनिर्भर हैं। विगत दो वर्षो में प्रदेश में 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मत्स्य बीज उत्पादन 251 करोड़ स्टैण्डर्ड फ्राई से 267 करोड़ स्टैण्डर्ड फ्राई का उत्पादन में किया हैं। देश में राज्य का मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में छठवां स्थान हैं। राज्य के मत्स्य कृषक प्रदेश में आवश्यक मत्स्य बीज प्रदाय करने के अतिरिक्त मध्यप्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आध्रप्रदेश एवं बिहार प्रदेशों को भी निजी क्षेत्र द्वारा मत्स्य बीज की आपूर्ति कर रहे हैं। यह छत्तीसगढ़ के लिए गौरव की बात है।

  • संचालक मछली पालन ने बताया कि आधुनिक तकनीक का उपयोग कर राज्य के मत्स्य कृषक 6-7 मेट्रिक टन तक मत्स्य उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं। विगत दो वर्षो में प्रदेश में 9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मत्स्य उत्पादन 4.89 लाख मिटरिक टन से 5.31 लाख मिटरिक टन का उत्पादन हुआ हैं। देश में राज्य का मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में भी छठवां स्थान हैं।
  • राज्य में विगत दो वर्षो में मत्स्य कृषकों द्वारा स्वयं की भूमि पर 1000 तालाबों का निर्माण कर पंगेशियस प्रजाति का उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश के प्रगतिशील मत्स्य कृषक एवं जिला कांकेर के कृषकों द्वारा समूह में तालाबों का निर्माण कर विशेषकर पंगेशियस मत्स्य प्रजाति का नवीनतम तकनीक के साथ-साथ पूरक आहार का उपयोग कर 60-70 मेट्रिक टन प्रति हेक्टेयर तक मत्स्य उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं जिससे प्रदेश वासियों को स्वस्थ्य प्रोटीन युक्त ताजा आहार उपलब्ध हो रहा हैं।
  • राज्य में मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हेतु तीव्र बढ़वार वाली मत्स्य ‘‘तिलापिया‘ का उत्पादन प्रारंभ हो चुका है। निजी क्षेत्र में एक तिलापिया बीज उत्पादन हेतु हैचरी रायपुर में स्थापित की गई हैं प्रदेश में प्रति दिवस लगभग 20 टन तिलाबिया की मांग है। तिलापिया मत्स्य का निर्यात अन्य राज्यों जैसे केरल, उत्तर प्रदेश, मघ्य प्रदेश को किया जा रहा है। प्रदेश में इस वर्ष 3.00 करोड़ तिलापिया मत्स्य बीज निजी क्षेत्र में उत्पादित किया गया है।
  • राज्य के मध्यम एंव बड़ेे जलाशयों में मत्स्य की शत-प्रतिशत प्राप्ति सुनिश्चित करती है केज कल्चर तकनीक। इस तकनीक में जलाशयों में 6x4x4 मीटर के केज बनाकर तीव्र बढ़वार वाली मत्स्य जैसे कि ‘पंगेशियस‘ एवं ‘तेलापिया‘ का पालन किया जाता है। प्रति केज 3000-5000 किलो मत्स्य उत्पादित की जाती है। अब तक प्रदेश के 11 जिलों में 1400 केज स्थापित हो चुके है।
  • प्रदेश के सबसे बड़े जलाशय हसदेव बांगो, कोरबा में 1000 केज की परियोजना स्वीकृत की गई है। इन्हें स्थापित कर प्रति हितग्राही 05-05 केज की इकाई एक-एक हितग्राही को मत्स्य पालन हेतु आबंटित की जावेगी। उक्त केज स्थानीय अनुजनजाति के मत्स्य पालकों को प्रदाय कर शासन की ओर से 40 से 60 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इसमें डुबान क्षेत्र में आने वाले व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • प्रदेशवासी मछलीपालन के क्षेत्र में क्रियान्वित नवीनतम तकनीक जैसे एकीकृत मत्स्य पालन, सघन मत्स्य पालन, पंगास पालन, रिसर्कलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आर.ए.एस.) तकनीक के माध्यम से कम क्षेत्र एवं कम जलक्षेत्र में पानी को निरन्तर परिशुद्धि कर मत्स्य पालन अपनाकर सफलता अर्जित कर रहे हैं, जिससे प्रदेश का मत्स्य उत्पादन निरंतर बढ़ रहा है। प्रदेश की आर.एस.ए. तकनीक का अन्य प्रदेश से मछलीपालन अधिकारी एवं प्रगतिशील मत्स्य कृषक यहां प्रयोग की नई तकनिकों का अध्ययन एवं परीक्षण कर प्रेरणा प्राप्त कर रहे हैं।
  • प्रदेश में नवीनतम तकनीक से कम क्षेत्र में छोटी-छोटी टंकिया स्थापित कर कम जलक्षेत्र में परिपूरक आहार का उपयोग कर मछली पालन कर अधिक उत्पादन लेने हेतु बायोफ्लॉक तकनीक संचालित किये जाने हेतु शासन द्वारा इस वर्ष से मत्स्य कृषकों को प्रोत्साहन करने हेतु योजना स्वीकृत की गई है। जिसके तहत् प्रदेश वासियों को राशि 7.50 लाख रूपए लागत की इकाई स्थापना पर लागत राशि पर 40 प्रतिशत आर्थिक सहायता दिया जाने का प्रावधान रखा गया है। 


इधर कानपुर में मछलियों के अति दोहन पर जताई चिंता

इधर कानपुर में में विश्व मात्स्यिकी दिवस के अवसर पर विकास भवन परिसर के गांधी सभागार में मुख्य अतिथि मुख्य विकास अधिकारी सौम्या पांडेय की उपस्थिति में आयोजित कार्यक्रम में मछलियों के अतिदोहन पर चिंता जताई गई और मछलियों की कई प्रजातियों के नष्ट होने का खतरा बताया गया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि मछलियों अति दोहन न किया जाय क्योंकि इससे मत्स्य प्रजातियों के नष्ट होने का खतरा है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना एक महत्वाकांक्षी योजना है। इससे पूरे देशभर में 55 लाख लोगों को रोजगार मिला है। मत्स्य पालन लाभदायक व्यवसाय है। कार्यक्रम में मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य पालक विकास अभिकरण अधिकारी डॉ. रणजीत सिंह ने अवगत कराया कि विश्व मात्स्यिकीय दिवस के अवसर पर विभागीय योजनाओं, वैज्ञानिक विधि से मत्स्य पालन, उत्पादन, एवं अन्य तकनीकी जानकारियों से अवगत कराया गया।

इसके अलावा यह भी अवगत कराया गया कि 1.00 हेक्टेयर जलक्षेत्र में छह कार्प प्रजातियों के मछली पालन से 50 कुन्तल मछली का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है तथा उक्त मत्स्य उत्पाद के विक्रय से छह लाख रुपए का लाभ एक वर्ष में होता है। मुख्य विकास अधिकारी द्वारा मत्स्य पालन में आ रही समस्याओं के समाधान हेतु मत्स्य विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया गया। इस अवसर पर जनपद में मत्स्य पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले अनूप कुमार कटियार एवं प्रमोद कुमार को प्रशस्ति पत्र व शाल देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा विकास खंड राजपुर से तुलाराम, विकास खंड मैथा से महेश कश्यप, श्याम प्रकाश बाथम को शाल देकर सम्मानित किया गया।  

 

 

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