Published - 26 Aug 2020 by Tractor Junction
कोविड-19 महामारी का असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पड़ा है। इस बीमारी ने विकसित देशों तक की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया। भारत में कोरोना के फैलाव को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने लोगों को घरों में कैद कर दिया और इसका असर हमारी अर्थव्यवस्था भी पड़ा। इधर लोगों के रोजगार में कमी आई। वहीं कृषि क्षेत्र पर भी इसका व्यापक असर देखने को मिला। कविड-19 महामारी के चलते देश को हुए आर्थिक नुकसान से उबारने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत के तहत कई योजनाओं की घोषणा की गई थी।
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जिसमें से किसानों के लिए एक लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना की है। मुख्यमंत्रियों व राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक बैठक में विस्तृत चर्चा की। इस दौरान श्री तोमर ने कहा कि एक लाख करोड़ रुपए के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से देश के 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे व मझौले किसानों तक पूरा फायदा पहुंचना जरूरी है।
कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड की योजना अवधि वित्तीय वर्ष 2020 से वित्तीय वर्ष 2029 (10 वर्ष) तक होगी। यह स्कीम किसानों, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पाद संगठन, कृषि उद्यमियों आदि को सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों और फसलोपरांत कृषि मूलभूत संरचना के निर्माण में सहायता प्रदान करेगी। इसके तहत 2 करोड़ रुपए तक के ऋण के लिए सीजीटीएमएसई योजना के तहत क्रेडिट गारंटी कवरेज और 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से की ब्याज छूट के साथ ऋण के रूप में बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा 1 लाख करोड़ रुपए दिए जाएंगे।
योजना के दिशा-निर्देश जारी हो चुके हैं। एक पोर्टल भी खोला गया है। इसमें अधिकतम दो करोड़ रुपये की ऋण राशि के प्रकरण में वार्षिक ब्याज दर में 3 प्रतिशत की छूट रहेगी। यह छूट अधिकतम 7 साल के लिए होगी। क्रेडिट गारंटी के अंतर्गत अधिकतम 2 करोड़ की ऋण राशि पर प्रति प्रकरण क्रेडिट गारंटी शुल्क आवश्यक राशि का भुगतान सरकार करेगी। योजना में प्राथमिक कृषि साख समितियों, किसान उत्पादक समूहों, स्वसहायता समूहों, कृषि उद्यामियों, स्टार्टअप और बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों के साथ ही केन्द्रीय/राज्य एजेंसियां या सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी) परियोजना को पात्र माना गया है। सम्मिलित प्रयासों से भारत को विश्व की फूड मार्केट बनाने का प्रयास है।
कृषि क्षेत्र के लिए बनाए गए एक लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की स्थापना है। इसमें से मध्यप्रदेश के लिए कृषि अधोसंरचना कोष में 7 हजार करोड़ का लक्ष्य निर्धारित है। योजना के तहत कृषि विभाग की तरफ से राज्यस्तरीय निगरानी समिति और जिलास्तरीय निगरानी समितियों के गठन, कृषक उत्पादक समूह (एफपीओ) को आंदोलन के रूप में विस्तारित करने का लक्ष्य है। निर्धारित मापदंडों के मुताबिक 263 जिलास्तरीय प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों (पैक्स) और 54 विपणन समितियों को चिन्हित कर लिया गया है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि मध्यप्रदेश में उन्नत सीडग्रेंडिंग प्लांट, वेक्यूम व्हीट पैकिंग यूनिट, वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज की श्रृंखला विकसित होगी। मध्यप्रदेश में एक जिला एक पहचान के अंतर्गत विभिन्न जिलों में सब्जियों और फलों के उत्पादन की अधिकता का लाभ लेते हुए प्रोसेसिंग यूनिट विकसित होगी। वर्तमान में उत्पादन अधिक हो जाने से उत्पाद की कीमत कम हो जाने की स्थिति में किसान लाभान्वित नहीं हो पाता। उद्यानिकी विभाग की ओर से पैकहाउस, कोल्डरूम, इंटेग्रेटेड हाउस, इंटेग्रेटेड कोल्ड चेन सप्लाई, मोबाइल प्रोसेसिंग यूनिट, सॉर्टिंग एंड ग्रेडिंग के प्रकरण तैयार किए जा रहे हैं।
बिहार में एग्री इंफ्रा फंड के तहत 4 हजार करोड़ रुपए दिए जाएंगे। इसके अंतर्गत भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 1 लाख करोड़ के कृषि आधारभूत संरचना कोष से बिहार के लिए 3,980 करोड़ रुपए की राशि का आवंटन किया जाएगा। इसमें सरकार द्वारा अभी तक चयनित 32 पैक्सों के लिए 71 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है।
राज्य के मुख्यमंत्री श्री मनोहरलाल खट्टर ने कहा कि एक लाख करोड़ रुपये के फंड में से हरियाणा के लिए छह हजार करोड़ रुपए का प्रावधान है, जिसके प्रोजेक्ट्स बना लिए हैं। राज्य में मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल से किसानों को मदद मिल रही है। राज्य में 500 एफपीओ हैं, जिन्हें एक हजार करने का लक्ष्य है। 17 लाख किसानों को जागरूक करने के लिए 17 हजार किसान मित्र बना रहे हैं। नए अध्यादेशों पर सरकार किसानों को सतत् जागरूक कर रही हैं।
एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड में एक लाख करोड़ रुपए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा प्राइमरी एग्री क्रेडिट सोसाइटीज, फार्मर गु्रप्स, फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशंस, एग्री-उद्यमियों, स्टार्टअप्स और एग्री-टेक से जुड़े लोगों को लोन के रूप में उपलब्ध करवाए जाएंगे। लोन चार वर्षों में वितरित किए जाएंगे। मौजूदा वित्त वर्ष में 10,000 करोड़ और अगले तीन वित्त वर्षों के दौरान प्रत्येक में 30,000 करोड़ रुपए का लोन वितरित होगा।
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