मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम : अब साल में तीन फसल उगा पाएंगे किसान

Share Product Published - 17 Dec 2020 by Tractor Junction

मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम : अब साल में तीन फसल उगा पाएंगे किसान

जल जीवन हरियाली योजना का हिस्सा होगा मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम

बिहार में नीतिश कुमार के सत्ता संभालने के बाद किसानों, युवाओं, व्यापारियों, बेरोजगारों, श्रमिकों व कर्मचारियों के पक्ष में लगातार नीतिगत निर्णय लिए जा रहे हैं। नीतिश सरकार ने किसानों पर ध्यान केंद्रित करते हुए मौसम के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने का फैसला किया है। इसके तहत बिहार के किसान सालभर में तीन फसल उगा पाएंगे।  बिहार की नीतिश सरकार का लक्ष्य है कि किसानों की लागत पूंजी को कम करते हुए फसलों का उत्पादन बढ़ाया जाए। बिहार सरकार ने अब राज्य के सभी जिलों में मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम चलाने का फैसला किया है, जिसके बाद अब राज्य में तीन तरह की फसलों की खेती पर बात हो रही है। 

 

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जानें क्या है बिहार सरकार का मौसम अनुकूल कृषि कार्यक्रम

बिहार में मौसम अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत किसान साल में 3 बार फसल ले पाएंगे। सरकार इस कार्यक्रम को अब तक प्रायोगिक तौर पर 8 जिलों में संचालित कर रही थी, जहां से अच्छे परिणाम आने के बाद इसे संपूर्ण राज्य में संचालित करने का निर्णय लिया गया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अनुसार मौसमी फसलों को बढ़ावा देने के साथ ही ये नया कार्यक्रम जल-जीवन-हरियाली अभियान का हिस्सा होगा। बिहार सरकार के ताजा आंकड़ों पर गौर किया जाए तो 2008 के कृषि रोडमैप को पूरा किया जा चुका है और अब उस दिशा में तीसरे चरण पर काम हो रहा है।

 


जानें कैसे होगा मौसम के अनुकूल खेती कार्यक्रम का संचालन

बिहार में मौसम के अनुकूल खेती कार्यक्रम का संचालन के लिए 30 जिलों के पांच-पांच गावों का चयन किया गया है। यहां सरकार मौसम के अनुकूल खेती को प्रोत्साहित करेगी। इस कार्यक्रम के तहत जहां किसानों को सरकारी मदद मिल सकेगी, वहीं उनकी लागत भी कम आएगी। बिहार सरकार का मानना है कि किसानों की लागत को कम करते हुए फसलों का उत्पादन बढ़ाया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम में किन-किन फसलों को शामिल किया गया है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं आई है।

 

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किसानों को प्रशिक्षित करेंगे कृषि वैज्ञानिक

नीतिश सरकार के इस कार्यक्रम के माध्यम से साल २०२१ में डेढ़ लाख से अधिक किसानों को मौसम अनुकूल कृषि कार्यक्रम के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए बकायदा कृषि वैज्ञानिकों को नियुक्त किया जाएगा, जो गांवों में जाकर किसानों को मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम का महत्व बताएंगे और किसानों की आय में इजाफा करने का प्रयास करेंगे। 


योजना में किसानों का वर्गीकरण और सरकारी सहायता

मौसम के अनुकूल खेती कार्यक्रम बिहार सरकार की प्रमुख योजना जल-जीवन-हरियाली अभियान का हिस्सा होगा। इस कार्यक्रम में सरकार किसानों की मदद किस प्रकार करेगी, इसकी रूपरेखा अभी सामने नहीं आई है। लेकिन अनुमान है कि किसानों को दो श्रेणी व्यक्तिगत और सामूहिक में बांटा जा सकता है। व्यक्तिगत श्रेणी में उन किसानों को शामिल किया जा सकता है जो कम से कम एक एकड़ भूमि में सिंचाई कर रहे हैं, जबकि सामूहिक श्रेणी में एक एकड़ से छोटी जोत वाले किसानों को शामिल किया जा सकता है। अगर राज्य के किसान मौसमी फसलों की खेती करते हैं, तो जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत उन्हें सब्सिडी मिल सकती है। इसमें किसानों को कम से कम एक एकड़ खेती के लिए सिंचाई पर सब्सिडी मिलना तय है।

 

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जल-जीवन-हरियाली योजना को धरातल पर उतारने के लिए अलर्ट

बिहार में जल जीवन हरियाली योजना को शत प्रतिशत धरातल पर उतारने को लेकर शासन व प्रशासन लगातार काम कर रहा है। अफसरों ने पटना से ही जल जीवन हरियाली के तहत संचालित योजनाओं को विभाग के पोर्टल पर अपलोड करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, मनरेगा, माइनर एरिगेशन एवं अन्य विभागों के टेक्निकल कर्मियों को ट्रेनिंग दी। डीडीसी कुमार गौरव ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता में चल रही जल जीवन हरियाली योजना के क्रियान्वयन में संबंधित विभाग के अफसरों व कर्मियों द्वारा किसी तरह की कोताही बर्दास्त नहीं की जाएगी।


सूबे के 190 गांव होंगे विकसित

बिहार में 76  प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है। बाढ़, सुखाड़ की स्थिति निरंतर राज्य में बनी रहती है। मौसम के अनुकूल फसल चक्र अपनाने से किसानों को काफी लाभ होगा। बिहार के कृषि सचिव डा. एन सरवण कुमार ने कहा कि परियोजना के तहत 190 गांवों को पूरी तरह इस नई पद्धति के लिए विकसित किया जाएगा। वहां वैज्ञानिक खुद हर मौसम के अनुसार खेती करेंगे। वैज्ञानिक पांच साल तक खुद खेती करेंगे, जिसे बिहार के लाखों किसानों को दिखाया और सिखाया जाएगा। इस वैज्ञानिक खेती को बोरलॉग इंस्टिट्यूट ऑफ साउथ एशिया, राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय (पूसा), कृषि विश्वविद्यालय (सबौर, भागलपुर) के वैज्ञानिक सफल बनाएंगे। 

 

 

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