सरसों की इन टॉप 5 किस्मों से होगी बंपर कमाई, जानें, पूरी जानकारी

Share Product प्रकाशित - 28 Nov 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

सरसों की इन टॉप 5 किस्मों से होगी बंपर कमाई, जानें, पूरी जानकारी

सरसों का अधिक उत्पादन देने वाली इन 5 किस्मों की जानकारी

इस समय देश में रबी फसलों की बुवाई जोरों पर चल रही है। किसान अपने खेतों में मुख्य रूप गेहूं और सरसों की बुवाई में लगे हुए है। ये दोनों ही फसलें रबी सीजन में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसलें हैं। ऐसे में किसानों को इन फसलों की बुवाई करने से पहले इनकी ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों की जानकारी होना बेहद जरूरी है। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों के लिए लाएं हैं सरसों की टॉप 5 ऐसी किस्मों की जानकारी जो किसानों को ज्यादा पैदावार देने के साथ ही अच्छा मुनाफा भी देगी। तो आइए जानते हैं इन टॉप 5 सरसों की किस्मों के बारे में पूरी जानकारी।

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1. सरसों की आरएलएम 619 किस्म

सरसों की इस किस्म से किसान औसतन 1340-1900 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त कर सकते हैँ। इसमें तेल की मात्रा सबसे अधिक होती है। इसमें करीब 42 प्रतिशत तक तेल की मात्रा प्राप्त होती है। ये किस्म मात्र 140 से 145 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की सरसों की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, गुजरात और जम्मू व कश्मीर राज्यों में की जाती है।  

2. सरसों की क्रान्ति किस्म

सरसों की इस किस्म से तेल की अच्छी मात्रा प्राप्त की जा सकती है। इस किस्म में भी करीब 42 प्रतिशत तक तेल की मात्रा होती है। ये किस्म मुख्य रूप से राजस्थान, हरियाणा, उत्तरप्रदेश में उगाई जाती है। ये किस्म 125 से लेकर 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से औसतन 1100 से 2135 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है।

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3. सरसों की पूसा बोल्ड किस्म

सरसों की इस किस्म की खेती राजस्थान, गुजरात, दिल्ली, महाराष्ट्र में अधिक की जाती है। ये सरसों की जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में से एक है। ये किस्म मात्र 110 से लेकर 140 दिन के दौरान पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म में तेल की 40 प्रतिशत मात्रा होती है। इस किस्म से औसत 2000 से लेकर 2500 किलोग्राम तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

4. सरसों की पूसा जयकिसान - बायो 902 किस्म

सरसों की इस किस्म की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र राज्यों में की जाती है। इस किस्म से औसतन 2500-3500 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसमें तेल की मात्रा 40 प्रतिशत प्राप्त होती है। ये किस्म 155 से लेकर 165 दिन में पककर तैयार हो जाती है।

5. राज विजय सरसों-2 किस्म

सरसों की यह किस्म मुख्य रूप से मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में उगाई जाती है। इसकी फसल 120 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। इसमें तेल की मात्रा 40 प्रतिशत तक होती है। इस किस्म से करीब 2000 से लेकर 2500 किलोग्राम तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

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सरसों की खेती में काम आने वाली खास बातें

1. सरसों की खेती के लिए 25 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान होना आवश्यक है।
2. इसकी खेती के लिए दोमट भूमि सबसे अच्छी रहती है।
3. खेत में जल निकास की उत्तम व्यवस्था होना जरूरी है, ताकि खेत में पानी इक्ट्‌ठा न हो।
4. सिंचित क्षेत्रों में सरसों की बुवाई के लिए 5 से 6 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए।
5. सरसों की फसल को बीज जनित रोगों से बचाव के लिए 2 से 5 ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करके बोना चाहिए।
6. सरसों की बुवाई देशी हल के पीछे 5 से 6 सेंटीमीटर गहरे कूडो में 45 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी चाहिए।
7. सरसों की फसल में पहली सिंचाई फूल आने के समय तथा दूसरी सिंचाई फलियां में दाने भरने की अवस्था में करनी चाहिए।
8. यदि सर्दी में बारिश हो जाती है, तो दूसरी सिंचाई नहीं भी करें तो उपज अच्छी प्राप्त हो जाती है।
9. सरसों की खेती के लिए 60 क्विंटल गोबर की सड़ी हुई खाद बुवाई से पूर्व अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देनी चाहिए तथा सिंचित दशा में 120 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 60 किलोग्राम पोटाश तत्व के रूप में प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। वहीं नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई से पहले, अंतिम जुताई के समय खेत में मिला देना चाहिए। शेष आधी नाइट्रोजन की मात्रा बुवाई के 25 से 30 दिन बाद टापड़ेसिग रूप में प्रयोग करना चाहिए।
10. सरसों की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई के 15 से 20 दिन बाद घने पौधों को निकाल कर उनकी आपसी दूरी 15 सेन्टीमीटर कर देनी चाहिए। वहीं खरपतवार नष्ट करने के लिए एक निराई-गुड़ाई, सिंचाई के पहले और दूसरी सिंचाई के बाद करनी चाहिए।

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