प्रकाशित - 03 Jan 2025 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
Subsidy on DAP: केंद्र सरकार ने नए साल पर किसानों को राहत देते हुए डीएपी पर सब्सिडी (Subsidy on DAP) की अवधि को बढ़ा दिया है जिससे किसानों को किफायती कीमत पर खाद व उर्वरक उपलब्ध हो सकेगा। केंद्र सरकार ने डाई–अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) खाद पर विशेष पैकेज को बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया है। सरकार के इस फैसले के तहत डीएपी पर प्रति टन 3,500 रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी। यह पहले से लागू पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) के अतिरिक्त होगी। यह योजना 1 जनवरी 2025 से अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी। इस योजना का उद्देश्य किसानों को डीएपी (DAP) खाद सस्ती और किफायती कीमत पर उपलब्ध कराना है जिससे खेती की लागत कम हो ताकि किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सके। यह योजना मुख्य रूप से रबी व खरीफ फसल सीजन के दौरान खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करेगी।
नई योजना के तहत डीएपी (DAP) पर 3500 रुपए प्रति टन की अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी जिसे उर्वरक निर्माताओं और आयातकों के जरिये किसानों तक पहुंचाया जाएगा। योजना को लागू करने में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी कृषि सीजन में किसानों को खाद समय पर उपलब्ध हो। बता दें कि एनबीएस योजना के तहत 28 प्रकार के फॉस्फेट और पोटाश (पीएंडके) आधारित उर्वरक किसानों को सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जाते हैं। यह योजना 1 अप्रैल 2010 से लागू है और फसल उत्पादन बढ़ाने में सहायक है।
किसानों को पहले की तरह उचित मूल्य पर डीएपी (DAP) मिलता रहेगा। फिलहाल डीएपी की 50 किलोग्राम की एक बोरी की कीमत (Price of a 50 kg bag of DAP) 1350 रुपए है। सरकार के नए ऐलान से इसकी कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा और किसानों को इसी कीमत पर डीएपी खाद उपलब्ध कराया जाएगा। बता दें कि वैश्चिक बाजार में अस्थिरता और भू–राजनीतिक तनाव के कारण खाद की कीमतों में उतार–चढ़ाव बना हुआ है। 2024 में भी सरकार ने डीएपी खाद की कीमतों को स्थिर रखने का प्रयास किया था, जबकि वैश्विक बाजार की अस्थिरता और भू–राजनीतिक चुनौतियों के कारण उर्वरकों की लागत में बढ़ोतरी हुई थी। जुलाई 2024 में सरकार ने डीएपी पर विशेष पैकेज की शुरुआत की थी जिसमें 1 अप्रैल 2024 तक के लिए 3500 रुपए प्रति टन अतिरिक्त सब्सिडी दी गई थी। इस योजना पर करीब 2625 करोड़ का वित्तीय प्रावधान किया गया था।
डीएपी खाद (DAP) भारतीय खेती में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से रबी फसल सीजन (Rabi Crop Season) और खरीफ फसल सीजन (Kharif Crop Season) में किया जाता है। डीएपी का पूरा नाम डाई-अमोनियम फॉस्फेट है। यह फसलों के लिए जरूरी होता है क्योंकि इसमें नाइट्रोजन और फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व होते हैं। डीएपी में 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है। नाइट्रोजन पौधों के विकास और उसे हरा-भरा रखने में सहायता करता है। वहीं फॉस्फोरस पौधों की जड़ों में बढ़ोतरी मजबूत करने और बालियों की संख्या बढ़ाने में सहायता करता है। डीएपी खाद को फसल की बुवाई के समय खेत में डाला जाता है। इसके अलावा हर 15 दिन में इसकी थोड़ी–थोड़ी मात्रा खेत में डाली जा सकती है। लेकिन अधिक मात्रा में डीएपी के इस्तेमाल से मिट्टी के पोषक तत्व कम होने लगते हैं जिससे उसकी उर्वरा शक्ति कम हो सकती है। ऐसे में किसानों को मिट्टी की सेहत को ध्यान में रखते हुए सही मात्रा में डीएपी का इस्तेमाल करना चाहिए।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सरकार देश के कुछ जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में डीबीटी के माध्यम से खाद सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) देने का काम शुरू कर सकती है ताकि खाद सब्सिडी का पैसा सीधा किसानों के खाते में ट्रांसफर हो जिससे किसान उस पैसे का सही इस्तेमाल कर सकेंगे और भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी। खाद सब्सिडी को लेकर सरकार एक मॉड्यूल तैयार कर रही है। लेकिन सरकार की ओर से इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि अभी सरकार की इस पूरी प्लानिंग पर सरकार को खाद इंडस्ट्री के साथ चर्चा करनी है उसके बाद ही इसे व्यवहार में लाया जा सकेगा। बता दें कि अभी भी पूरे देश में डीबीटी के माध्यम से खाद सब्सिडी दी जा रही है, लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं देकर खाद कंपनियों को दिया जा रहा है। जिस कंपनी की खाद, डीलरों के यहां पीओएस मशीनों के माध्यम से बिकती है, उसी आधार पर सरकार कंपनियों को सब्सिडी देती है। यदि खाद सब्सिडी (Fertilizer Subsidy) सीधे किसानों के खाते में दी जाए तो इसमें खर्च और लागत में कमी आ सकती है और किसानों को इसका पूरा लाभ मिल सकता है।
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