गन्ना किसानों को जल्द मिलेगा बकाया भुगतान, मंत्री ने अधिकारियों को दिए चीनी मिलों पर सख्ती के निर्देश

Share Product प्रकाशित - 20 Jun 2025 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

गन्ना किसानों को जल्द मिलेगा बकाया भुगतान, मंत्री ने अधिकारियों को दिए चीनी मिलों पर सख्ती के निर्देश

राज्य सरकार ने भुगतान में देरी पर नाराजगी जताई, मिलों को तय समय में रकम चुकाने के निर्देश

देश के अलग-अलग राज्यों में गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। बिहार, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को बकाया राशि समय पर न मिलने से नाराजगी का माहौल है, वहीं सरकारें और विभागीय अधिकारी अब इस पर सख्त रवैया अपना रहे हैं।

बिहार के गन्ना उद्योग मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने पटना में हुई उच्चस्तरीय बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि किसानों के बकाया भुगतान में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वहीं हरियाणा में किसानों ने कृषि मंत्री को ज्ञापन सौंपकर तुरंत भुगतान की मांग की है और मुरादाबाद में गन्ना समिति ने चेतावनी दी है कि तय समय में भुगतान न होने पर चीनी मिलों के क्षेत्र में कटौती की जाएगी।

बिहार में समीक्षा बैठक, भुगतान को लेकर स्पष्ट निर्देश

बिहार के विकास भवन, पटना में हाल ही में गन्ना उद्योग विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक हुई। गन्ना मंत्री कृष्णनंदन पासवान ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान, गन्ना सर्वेक्षण और उद्योग के विकास से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि किसानों का हित सर्वोपरि है और किसी भी स्तर पर देरी या लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बैठक में जानकारी दी गई कि अब तक 99.80 प्रतिशत गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। शेष राशि के भुगतान के लिए चीनी मिलों को समयसीमा तय कर दी गई है। साथ ही गन्ना सर्वेक्षण कार्य को समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से पूरा करने का निर्देश भी दिया गया है, ताकि किसानों को सही सहायता मिल सके।

CSR और गन्ना योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन पर जोर

बैठक में चीनी मिलों से CSR (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी) के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में योगदान देने की बात कही गई। मंत्री पासवान ने कहा कि मिलें केवल मुनाफा कमाने की जगह सामाजिक दायित्व भी निभाएं। साथ ही मुख्यमंत्री गन्ना विकास योजना, गन्ना यंत्रीकरण योजना और गुड़ प्रोत्साहन योजना की प्रगति की समीक्षा की गई। इन्हें और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए ठोस रणनीति तैयार करने और क्रियान्वयन तेज करने का निर्देश दिया गया।

आधुनिक तकनीक अपनाने का दिया सुझाव 

विभागीय सचिव कार्तिकेय धनजी ने कहा कि गन्ना उद्योग की रीढ़ अनुसंधान और नवाचार है। उन्होंने टिश्यू कल्चर लैब जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने का सुझाव दिया, जिससे गन्ना उत्पादन की क्वालिटी और मात्रा दोनों में सुधार संभव हो सकेगा। धनजी ने बताया कि विभाग किसानों और मिलों के लिए नई प्रोत्साहन योजनाएं भी जल्द लागू करेगा। बैठक में गन्ना आयुक्त, संयुक्त आयुक्त, बिहार व यूपी की मिलों के प्रतिनिधि और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

हरियाणा में किसानों का ज्ञापन, 22 करोड़ बकाया भुगतान की मांग

हरियाणा में गन्ना भुगतान को लेकर किसानों ने मोर्चा खोल दिया है। भारतीय किसान संघ का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा से मिला और उन्हें ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि प्रदेश में किसानों का गन्ने का करीब 22 करोड़ रुपए शुगर मिलों पर बकाया है। यमुनानगर शुगर मिल पर सबसे अधिक करीब 6 करोड़ रुपए का बकाया है। किसानों ने बताया कि भुगतान न होने से उन्हें अगली फसल के लिए संसाधन जुटाने में भारी परेशानी हो रही है। कृषि मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि एक हफ्ते के भीतर गन्ना भुगतान करा दिया जाएगा और उन्होंने चंडीगढ़ के उच्च अधिकारियों से बात कर मिलों को आदेश भी जारी कर दिए हैं।

यूपी के मुरादाबाद में भुगतान में देरी पर चीनी मिल का क्षेत्र कम करने की चेतावनी

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में गन्ना समिति के संचालक बोर्ड की बैठक में करीमगंज और बिलारी चीनी मिलों द्वारा भुगतान और तोल पर्चियों में देरी को लेकर नाराजगी जाहिर की गई। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यदि जुलाई 2025 तक बकाया भुगतान नहीं हुआ तो अगस्त की आम बैठक में किसानों की राय लेकर मिल के गन्ना क्षेत्र में कटौती का प्रस्ताव पारित किया जाएगा। बैठक में यह भी चर्चा हुई कि करीमगंज मिल पेराई सत्र के दौरान समय पर इंडेंट नहीं भेजती, जिससे किसानों को तोल पर्ची मिलने में परेशानी होती है। गन्ना समिति के सभापति चौधरी विजयपाल सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में सभी संचालकों ने मिलों की लापरवाही पर सख्त रुख अपनाने की मांग की। बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों में गन्ना किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिलना एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। हालांकि राज्य सरकारें और विभागीय अधिकारी अब इस पर सख्त कदम उठाने के मूड में हैं। बिहार में उच्चस्तरीय समीक्षा से लेकर हरियाणा और यूपी में किसान आंदोलनों तक, यह साफ हो गया है कि आने वाले दिनों में चीनी मिलों को जवाबदेह बनना ही पड़ेगा। किसानों को उनकी मेहनत का पूरा मूल्य समय पर मिले, अब यही सबकी प्राथमिकता बन चुकी है।

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