राज्य में गन्ने की खेती (Sugarcane Cultivation) करने वाले लाखों किसानों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। हाल ही में यूपी सरकार ने गन्ना किसानों के हित में एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत यदि चीनी मिले किसानों को समय पर भुगतान नहीं करती है तो उन पर प्रशासन सख्ती दिखाएगा और ऐसी चीनी मिलों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि अब चीनी मिलों को गन्ना खरीद के लिए आवंटित कमांड एरिया उनके द्वारा किसानों को किए जा रहे समयबद्ध भुगतान के आधार पर तय किया जाएगा। इससे मिलों की कार्यक्षमता और किसानों के प्रति उनकी जिम्मेदारी का मूल्यांकन होगा। इससे किसानों व चीनी मिलों में एक अच्छा समन्वय स्थापित होगा जिसका फायदा दोनों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग की समीक्षा बैठक में निर्देश देते हुए कहा कि जो चीनी मिलें किसानों को समय पर भुगतान नहीं करेंगी, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कदम किसानों के हितों की रक्षा और गन्ना मूल्य भुगतान की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए उठाया गया है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि भुगतान प्रक्रिया को और अधिक तेज और पारदर्शी बनाया जाए ताकि सभी किसानों को समय पर और पूरा भुगतान मिल सके।
बैठक में बताया गया कि साल 2017 से अब तक सरकार ने 2,85,994 करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य भुगतान किया है, जो कि 1995 से 2017 तक के 2,13,520 करोड़ रुपए की तुलना में 72,474 करोड़ रुपए अधिक है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में निर्धारित 34,466.22 करोड़ रुपए में से 2 मई तक 28,873.55 करोड़ (83.8%) रुपए का भुगतान पहले ही किया जा चुका है।
बैठक में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार राज्य में गन्ना उत्पादन का क्षेत्रफल और उसकी उत्पादकता दोनों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। साल 2016-17 में गन्ना का क्षेत्रफल 20.54 लाख हेक्टेयर था, जो 2024-25 में बढ़कर 29.51 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसी अवधि में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 72.38 टन से बढ़कर 84.10 टन हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गन्ना उत्पादन और उत्पादकता को दोगुना करने की पूरी संभावनाएं हैं, यदि नियोजित और तकनीक-आधारित रणनीतियों को अमल में लाया जाए तो इसे पूरा किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने गन्ना किसानों की पैदावार और आय बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), गन्ना समितियों और चीनी मिलों को संयुक्त रूप से कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसानों को उन्नत किस्म के बीजों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए मिल प्रतिनिधियों, समितियों के पदाधिकारियों और कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों को किसानों के खेतों में जाकर फसल का निरीक्षण करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने किसान गोष्ठियों के आयोजन और उनमें मंत्रियों की भागीदारी की भी बात कही, जिससे किसानों को सरकार की योजनाओं की जानकारी समय पर मिले सके और वे नवाचारों को अपनाने के लिए प्रेरित हों। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार गन्ना किसानों की भलाई के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता, समयबद्धता और तकनीक आधारित नवाचार सरकार की नीति के मूल तत्व हैं। अब आवश्यकता है कि सभी हितधारक सरकारी विभाग, चीनी मिलें, समितियां और किसान एकजुट होकर काम करें ताकि उत्तर प्रदेश गन्ना उत्पादन और उससे जुड़ी अर्थव्यवस्था में देश में अग्रणी बना रहे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में संचालित कोऑपरेटिव और फेडरेशन मिलों की कार्यप्रणाली की समीक्षा के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि वर्तमान पेराई सत्र के 142 कार्य दिवसों को बढ़ाकर 155 दिन किया जाए, ताकि अधिक गन्ने की पेराई हो सके और किसानों का अधिक से अधिक लाभ सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही, इन मिलों की उत्पादन क्षमता और उनमें कार्यरत कर्मचारियों की दक्षता का मूल्यांकन भी किया जाएगा।
बैठक में यह भी बताया गया कि राज्य की चीनी मिलें और संबंधित इकाइयां प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वर्तमान में प्रदेश के 45 जिलों में 122 चीनी मिलें, 236 खांडसारी इकाइयां, 8,707 कोल्हू इकाइयां, 65 कोजेन प्लांट और 44 डिस्टिलरी इकाइयां कार्यरत हैं। इन इकाइयों की कुल क्रशिंग क्षमता 7,856 केएलपीडी है और इनसे प्रत्यक्ष रूप से 9.81 लाख लोगों को रोजगार मिला है।
एथेनॉल उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश तेजी से आगे बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य की 102 सक्रिय डिस्टिलरियों से 150.39 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन हुआ। साथ ही, निजी निवेश से 6,771.87 करोड़ रुपए की लागत से अतिरिक्त 105.65 करोड़ लीटर उत्पादन क्षमता का निर्माण किया जा रहा है।
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