Published - 12 Oct 2020 by Tractor Junction
आज पर्यावरण और स्वास्थ्य को लेकर सरकारों पहले से अधिक सजग हो गईं है। इसलिए सरकार भी चाहती है कि भारत में जैविक खेती को बढ़ावा मिले ताकि किसानों की आमदनी बढऩे के साथ ही स्वस्थ फसल का उत्पादन होने के साथ ही उनको फायदा हो। यही कारण है कि सरकार जैविक खेती को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार व कई संस्थाएं मिलकर प्रयास कर रही है। जैविक खेती को प्रोत्साहित देने के लिए सरकार की ओर से किसानों को सहायता भी प्रदान की जाती है और समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर लगाकर जैविक खेती की महत्ता को समझाया जाता है। इसी के परिणामस्वरूप आज कई किसान जैविक खेती की ओर अग्रसर हो रहे है।
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हाल में हाल ही में कीटनाशक सूत्रीकरण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईपीएफटी) ने एक जैविक कीटनाशक तैयार किया है जिसकी मदद से बीज वाली मसाला फसलों में लगने वाले कीटों पर नियंत्रण किया जा सकता है। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के रसायन और पेट्रो-रसायन विभाग के अंतर्गत आने वाले कीटनाशक सूत्रीकरण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईपीएफटी) ने आईसीएआर—राजस्थान के अजमेर में स्थित राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र एनआरसीएसएस के साथ मिल कर एंटो-पैथोजेनिक फंगस वर्टिसिलियम लेकेनी पर आधारित जैव-कीटनाशक की नई ऐक्वीअस सस्पेन्शन निर्माण तकनीक सफलतापूर्वक विकसित की है।
आईपीएफटी के निदेशक जितेंद्र कुमार ने मीडिया को बताया कि यह जैव-कीटनाशक सूत्रीकरण बीज की फसलों मेथी, जीरा और धनिया में विभिन्न कीटों को नियंत्रित करने के लिए बहुत प्रभावी पाया गया है। यह सूत्रीकरण में लंबे समय तक जीवन है, उपयोगकर्ता और पर्यावरण के लिए सुरक्षित है और इसे विशेष रूप से बीज मसाला फसलों में विभिन्न कृषि कीटों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस सूत्रीकरण के लिए पेटेंट आवेदन दायर किया गया है। आईपीएफटी द्वारा जारी किए गए एक बयान के अनुसार, कई कीटों के कारण बीज वाले मसालें की फसलों को बड़ा नुकसान होता है।
कीटों को नियंत्रित करने के लिए, इन फसलों पर बड़ी मात्रा में सिंथेटिक रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है जिसके परिणामस्वरूप बीज मसालों में कीटनाशक अवशेषों का स्तर अधिक होता है इससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा होता है। कीटनाशक अवशेषों की समस्या को कम करने के लिए इस जैव-कीटनाशकों को रासायनिक कीटनाशक के सुरक्षित विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, इसे जैविक खेती और एकीकृत कीट प्रबंधन में कीटों से फसल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
जैव-कीटनाशक वे होते हैं जो व्यापक रासायनिक कीटनाशकों के बजाय विशिष्ट जैविक प्रभाव के माध्यम से कृषि कीटों का प्रबंधन करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। यह जैव नियंत्रण घटकों यानि प्राकृतिक जीवों या प्राकृतिक सामग्री जैसे कि जानवरों, पौधों, बैक्टीरिया या कुछ खनिजों से उत्पन्न पदार्थों को संदर्भित करता है, जिनमें उनके जीन या चयापचय पदार्थ शामिल हैं, जो कि कीटनाशकों को नियंत्रित करने के लिए उपयोग में लिए जाते हैं। एफएओ की परिभाषा के अनुसार, जैव कीटनाशकों में वो जैव नियंत्रण घटक शामिल होते हैं जो निष्क्रिय घटक हैं जो कि जैव नियंत्रण घटकों जैसे कि पैरासिटोइड, शिकारी और कीट रोगजनक निमेटोड की कई प्रजातियों के विपरित सक्रिय रूप से हानिकारक कीटों की तलाश करते हैं।
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