Published - 30 Nov 2020 by Tractor Junction
सरकार अब देश में घरेलू उद्योग को बढ़ावा दे रही है। ऐसे व्यवसाय को शुरू करने के लिए सरकार मदद भी करती है। इन छोटे व्यवसाय की खास बात ये हैं कि ये कम पूंजी में शुरू किए जा सकते हैं और इनसे काफी अच्छी कमाई की जा सकती है। इन्हीं में एक कुल्लड़ व्यवसाय भी है जिसकी बाजार में काफी मांग है। हम जानते हैं कि सरकार खुद चाहती है कि लोग प्लास्टिक से बने गिलास, कप, प्लेट आदि सामान का इस्तेमाल करना बंद कर दे और उसके स्थान पर मिट्टी के बने सामानों का उपयोग करें। इससे दो लाभ हैं, एक तो प्लास्टिक कचरे से मुक्ति मिलेगी जो पर्यावरण के लिए खतरा बना है। वहीं लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेेगा।
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हाल ही में राजस्थान के अलवर में ढिगावड़ा रेलवे स्टेशन पर ढिगावड़ा - बांदीकुई रेलखंड पर विद्युतीकृत रेलमार्ग के लोकार्पण समारोह के अवसर पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आने वाले समय में देश के हर रेलवे स्टेशन पर प्लास्टिक मुक्त कुल्हड़ में ही चाय मिलेगी। गोयल ने कहा कि आज देश में लगभग 400 रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ में ही चाय मिलती है। आगे चलकर हमारी योजना है कि देश के हर रेलवे स्टेशन पर सिर्फ कुल्हड़ में चाय बिकेगी। भारतीय रेलवे प्लास्टिक से मुक्ति के लिए यात्रियों को कुल्हड़ में चाय उपलब्ध कराएंगी। इससे प्लास्टिक कचरे में मुक्ति मिलेगी, वहीं कुल्हड की मांग बढऩे से लोगों को रोजगार मिलेगा। भविष्य में कुल्लड़ व्यवसाय की संभावनाओं को देखते हुए हम आज आपको इस व्यवसाय को शुरू करने के बारे में बताएंगे कि आप किस तरह कम पूंजी लगाकर इस व्यवसाय को शुरू कर काफी अच्छी कमाई कर सकते हैं।
मिट्टी के कुल्हड़ बनाने के लिए आपको सबसे पहले एक अच्छी क्वालिटी की मिट्टी चाहिए होती है। जिसका प्रयोग आप कुल्हड़ बनाने में करते हैं। आप अच्छी क्वालिटी की मिट्टी को अपने नजदीकी नदी या फिर तलाब जैसे क्षेत्रों से प्राप्त कर सकते हैं। आपको कुछ कुल्हड़ बनाने के लिए साचें की भी जरूरत पड़ेगी। आप इसको मार्केट से आसानी से प्राप्त कर सकते हैं और यह ज्यादा महंगा भी नहीं मिलता है। आप अपने कुल्हड़ बनाने की क्वलिटी के हिसाब से इसे मार्केट से खरीद सकते हैं। इसके अतिरिक्त आपको कुल्हड़ को पकाने के लिए और फाइनल रूप देने के लिए एक बड़े आकार की भट्टी का भी निर्माण करना पड़ेगा।
कुल्हड़ का व्यवसाय शुरू करने के लिए आपको कम से कम 15 से लेकर 20 रुपए लगाने पड़ेंगे। इससे आप मशीनरी के अलावा कुछ रॉ मैटेरियल इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए खरीदेंगे जो बहुत कम कीमत पर आपको मिल जाएंगे। व्यवसाय शुरू होने के बाद आपको इसको संचालित करने के लिए बहुत ही कम निवेश करना होगा।
आप कुल्हड़ व्यवसाय एक अच्छे स्तर पर करना चाहते हैं, तो आपको आपके नजदीकी मार्केट में अनेक प्रकार की कुल्लड़ बनाने की मशीन भी बड़ी ही आसानी से और कम दामों पर मिल जाएगी। यदि आप मशीन खरीदते हैं, तो करीब आपको 5000 से लेकर 8000 रुपए के बीच में ये मशीन आसानी से बाजार में मिल जाएगी।
केंद्र सरकार ने सभी कुम्हारों के लिए कुंभार सशक्तिकरण योजना की शुरुआत की है। इस योजना के अंतर्गत सभी कुम्हार का काम करने वाले व्यक्तियों को इलेक्ट्रॉनिक चाक का वितरण किया जाता है। इसके अतिरिक्त भारत सरकार का दावा है, कि अनेकों प्रकार के मिट्टी के बने बर्तनों को अच्छे दाम पर कुम्हार से लोग खरीदेंगे।
जिस प्रकार से हमें किसी अन्य प्रकार के व्यवसाय को शुरू करने के लिए उससे संबंधित सरकार से लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक होता है, उसी प्रकार हमें इस व्यवसाय के अंदर एक ट्रेड लाइसेंस प्राप्त करना जरूरी है। इसके अलावा आपको अपने व्यवसाय को एमएसएमई के तहत भी रजिस्टर कर लेना चाहिए, इससे आपको व्यवसाय शुरू करने में फायदा मिल सकता है।
सबसे पहले अच्छी किस्म की मिट्टी को बारीक गेहूं के आटे के समान किसी मशीनी यंत्र की सहायता से उसे पीस लेना है। वे पूरी तरह से जब आपको आटे के समान लगने लगे तब आपको उसे छोड़ देना है। अब आपको कुल्लड़ बनाने के लिए एक मशीन और कुछ सांचे की आवश्यकता पड़ेगी। पानी और मिट्टी को एक साथ गूंथने के बाद में गूंथी हुई मिट्टी को सांचे में डालना है और फिर मशीन की सहायता से इसे एक अच्छा सा आकार दे देना है। आपके सांचे में से आसानी से कुल्लड़ बाहर निकल जाए इसके लिए आपको इसके अंदर तेल या फिर पाउडर का इस्तेमाल करना है, जिससे आपका कुल्लड़ सुरक्षित रूप से सांचे से बाहर आ जाएगा।
आप अपनी कुल्हड़ का साइज अपने सांचे के अनुसार ही रख सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप का सांचा 200 मिलीलीटर का है, तो आपका कुल्लड़ भी 200 मिलीलीटर का ही बनेगा। मार्केट में आपको अलग-अलग साइज के सांचे मिल जाएंगे। मिट्टी को कुल्लड़ का आकार देने के बाद इसे धूप में कम से कम जब तक यह सुख नहीं जाता है, तब तक इसे वैसे ही छोड़ देना है। कुल्हड़ को अंतिम रूप देने के लिए आपको एक भट्टी की आवश्यकता पड़ेगी। आप अपनी सुविधा के अनुसार भट्टी का निर्माण स्वयं ही कर सकते हैं। जब आपको लगने लगे, कि आपका कुल्लड़ धूप में पूरी तरह सूख कर तैयार हो चुका है, तब आपको इस भट्टी में अपने कुल्लड़ को डालकर पकाना होगा। भट्टी में कुल्लड़ को पकाने के लिए आपको भट्टी को जलाने के लिए कुछ बुरादा भी चाहिए होगा, आप आग जलाने के लिए किसी भी बुरादे का इस्तेमाल कर सकते हैं, और आपको यह सस्ते दामों पर लडक़ी के टाल या फर्नीचर का काम करने वाली दुकानों में उपलब्ध हो जाएगा। जब आपको लगने लगे, कि आपके कुल्हड़ का रंग धीरे-धीरे पूरी तरह से बदल गया है, तब आपको अपने कुल्लड़ को भट्टी के अंदर से निकाल लें। इसके बाद आपका कुल्लड़ बाजार में बिकने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
यदि आप कुल्लड़ को दूर-दूर तक बेचने के लिए सप्लाई करते हैं, तो आपको इसकी सुरक्षा के लिए अच्छी पैकेजिंग भी करनी आवश्यक है, जिससे आपका कुल्लड़ सही स्थान पर सुरक्षित रूप में पहुंच जाए। पैकेजिंग करके आप अपने कुल्लड़ को सुरक्षित रख सकते हैं और इसे एक अलग ब्रांडिंग की तरह बाजार में बेच सकते हैं। यदि आप अपने कुल्हड़ को दूर-दूर तक नहीं सप्लाई करते हैं और अपने नजदीक के ही मार्केट में इसे बेचते हैं. तो आपको किसी विशेष प्रकार के पैकेजिंग की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. आपका कुल्हड़ यदि अच्छा होगा, तो बिना पैकेजिंग के भी अच्छे दामों में बिक जाएगा।
आप अपने द्वारा बनाए हुए कुल्लड़ को नजदीकी रेस्टोरेंट, होटल या फिर चाय-कॉफी की दुकानों पर बेच सकते हैं। इसके अलावा शादी, पार्टी सहित मंदिरों में होने वाले आयोजनों के लिए भी आर्डर ले सकते हैं।
बात करें इस कुल्लड़ व्यवसाय से मुनाफे की तो एक अनुमान के मुताबिक चाय के कुल्लड़ सैकड़ों के हिसाब से 50 रुपए में बिकते हैं, और लस्सी के कुल्लड़ लगभग 100 रुपए सैकड़ा बिकते हैं और इसके अलावा दूध के कुल्हड़ करीब 150 रुपए सैकड़ा बिकते हैं। प्याली की बात करें तो यह 100 रुपए सैकड़ा बिक जाती है।
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