सोयाबीन उत्पादक किसान इन 7 बातों का रखें ध्यान, बेहतर होगा उत्पादन.

Share Product Published - 17 Jun 2021 by Tractor Junction

सोयाबीन उत्पादक किसान इन 7 बातों का रखें ध्यान, बेहतर होगा उत्पादन.

खेतीबाड़ी सलाह : जानें,  सोयाबीन का कैसे पाएं बेहतर उत्पादन और क्या रखें सावधानी

सोयाबीन अनुसंधान संस्थान की ओर से सोयाबीन उत्पादक किसानों को सलाह दी गई है कि सोयाबीन की जे.एस. 95-60 किस्म को नहीं लगाएं, इसके स्थान पर सोयाबीन की अन्य किस्मों का चुनाव करें। इस सलाह के पीछे तर्क यह है कि जे.एस. 95-60 की गुणवत्ता में कमी आने के कारण किसानों को इसका बेहतर उत्पादन नहीं मिल पाएगा। इस संबंध में उपसंचालक कृषि, जिला इंदौर के सहयोग से गत दिनों भारतीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान द्वारा सोयाबीन की शीघ्र, मध्यम एवं अधिक समयावधि वाली किस्में तथा उनकी बीज उपलब्धता विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया गया। इसमें भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान की निदेशक डॉ. नीता खांडेकर ने कहा कि विगत दो वर्षो से खऱाब मौसम के कारण सोयाबीन के बीजोत्पादन लक्ष्यों की पूर्ति में कमी देखी गई है। उन्होंने प्रदेश के किसानों को अपने पास उपलब्ध सोयाबीन किस्म जे.एस. 95-60 की गुणवत्ता में कमी आने के कारण सोयाबीन की अन्य वैकल्पिक किस्मों की खेती करने की सलाह दी। 

Buy Used Tractor

सबसे पहले सरकार की सभी योजनाओ की जानकारी के लिए डाउनलोड करे, ट्रेक्टर जंक्शन मोबाइल ऍप - http://bit.ly/TJN50K1 


किसान अधिक मात्रा में नहीं करें सोयाबीन के बीजों का इस्तेमाल

कार्यक्रम में उपसंचालक कृषि, एस.एस. राजपूत ने कहा कि किसान हमेशा सोयाबीन बीज अधिक मात्रा में उपयोग करते है। जबकि आई.आई.एस.आर की अनुशंसा के अनुसार किसान भाइयों को सोयाबीन के बीज का न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण के आधार पर 60-80 किलोग्राम/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए, जिससे बीज की कमी की समस्या का भी कुछ हद तक निराकरण किया जा सके।


बीज अंकुरण परीक्षण का सरल उपाय बताया

वेबिनार में सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान के डॉ. मृणाल कुचलन ने किसानों को रेत से भरी ट्रे का उपयोग करते हुए सोयाबीन के बीज का अंकुरण परीक्षण करने का सरल उपाय बताया। साथ ही डॉ अमरनाथ शर्मा, सेवा निवृत प्रधान वैज्ञानिक (कीट विज्ञान) एवं अध्यक्ष पौध संरक्षण विभाग द्वारा सोयाबीन की फसल में पीले मोज़ेक बीमारी, सफ़ेद मक्खी एवं अन्य कीटों  के नियंत्रण करने का वैज्ञानिक तरीका बताया। उन्होंने सोयाबीन की फसल में उचित कीट प्रबंधन हेतु समेकित कीट प्रबंधन के अन्य तरीके जैसे पीली चिपचिपी पट्टी फेरोमोन ट्रैप, प्रकाश प्रपंच आदि तरीकों को अपनाने की सलाह दी।


सोयाबीन के अच्छे उत्पादन के लिए इन बातों का रखें ध्यान

कार्यक्रम के दौरान डॉ. बी.यू. दुपारे (प्रधान वैज्ञानिक,कृषि विस्तार) द्वारा सोयाबीन कृषकों को सात बिंदुओं  में सम-सामायिक सलाह दी गई। जो इस प्रकार से हैं-

  1. एक ही किस्म पर निर्भर रहने की बजाए अलग अलग समयावधि में पकने वाली  (शीघ्र, मध्यम व अधिक समयावधि वाली ) कम से कम 2-3 किस्मों की खेती करने की साथ ही सोयाबीन प्रजाति जे.एस. 95-60 में आ रही समस्याओं को देखते हुए विकल्प के रूप में शीघ्र समयावधि में पकने वाली अन्य किस्म जे.एस. 20-34 की खेती करने की सलाह दी।
  2. फलियां पकने के समय अधिक समय तक/अत्यधिक वर्षा के कारण सोयाबीन की फसल में हो रहे नुकसान को देखते हुए सोयाबीन किस्मों की विविधता बढ़ाने हेतु जे.एस. 20-29, जे.एस. 20-69, जे.एस.20-98 जैसी किस्मों का क्षेत्र बढ़ाकर जे.एस. 95-60 का क्षेत्रफल कम करें। 
  3. सोयाबीन की बोवनी से पूर्व उपलब्ध अच्छी गुणवत्ता वाले बीज का अंकुरण परीक्षण कर न्यूनतम 70 प्रतिशत अंकुरण, एवं बीज  के आकार के आधार पर 60-80 किग्रा/हेक्टेयर बीज दर का प्रयोग कर बोवनी के समय फफूंदनाशक, कीटनाशक एवं जैविक कल्चर से बीजोपचार अवश्य करें। बोवनी  से पहले सोयाबीन बीज को अनुशंसित  पूर्वमिश्रित फफूंदनाशक पेनफ्लूफेऩ़ +ट्रायफ्लोक्सिस्ट्रोबीन 38 एफ.एस. (1 मि.ली./कि.ग्रा. बीज) या कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत+थाइरम 37.5 प्रतिशत (3ग्राम/कि.ग्रा. बीज) या थाइरम (2 ग्राम) एवं कार्बेन्डाजिम (1 ग्राम) प्रति कि.ग्रा. बीज अथवा जैविकफफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा विरिडी (8-10 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज) से उपचारित करें। 
  4. पीला मोजाइक बीमारी एवं तना मक्खी का प्रकोप को रोकने की लिए फफूंदनाशक से बीजोपचार के बाद कीटनाशक थायामिथोक्सम 30 एफ.एस. (10 मि.ली. प्रति कि.गा. बीज) या इमिडाक्लोप्रिड (1.25 मि.ली./कि.ग्रा. बीज) से बीज उपचार करें। 
  5. कवकनाशियों द्वारा उपचारित बीज को छाया में सूखाने के बाद जैविक खाद ब्रेडीराइजोबियम कल्चर तथा पीएसबी कल्चर दोनों (5 ग्राम/कि.ग्रा बीज) से टीकाकरण कर तुरन्त बोवनी हेतु उपयोग करें। 
  6. फफूंदनाशक, कीटनाशक से बीजोपचार के बाद ही जैविक कल्चर/खाद द्वारा टीकाकरण करें। 
  7. कल्चर व कवकनाशियों को एक साथ मिलाकर कभी भी उपयोग में नहीं लाना चाहिए।
     

अगर आप किफायती कीमत पर नया ट्रैक्टर खरीदना चाहते हैं तो महिंद्रा, स्वराज, टैफे, सोनालिका, जॉन डियर आदि कंपनियों में से उचित ट्रैक्टर का चयन कर सकते हैं। साथ ही हम आपको ट्रैक्टर लोन (Tractor Loan) की सुविधा भी प्रदान करते हैं।

अगर आप नए जैसे पुराने ट्रैक्टर व कृषि उपकरण बेचने या खरीदने के इच्छुक हैं और चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा खरीददार और विक्रेता आपसे संपर्क करें और आपको अपने ट्रैक्टर या कृषि उपकरण का अधिकतम मूल्य मिले तो अपने बिकाऊ ट्रैक्टर / कृषि उपकरण को ट्रैक्टर जंक्शन के साथ शेयर करें।

Quick Links

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back