प्रकाशित - 10 Apr 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
Varieties of Moong: गेहूं की कटाई के बाद खेत खाली हो जाएंगे। ऐसे में किसान खरीफ फसल की बुवाई से पहले अपने खाली खेत में मूंग की खेती (Cultivation of Mung Bean) करके काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मूंग की खेती की खास बात यह है कि यह फसल कम समय में तैयार हो जाती है और इसकी मार्केट में मांग होने से इसका भाव भी बेहतर मिल जाता है। मूंग की खेती से एक ओर किसान को अच्छा मुनाफा मिल सकता है तो दूसरी ओर मूंग जो दलहन फसल है, इसकी खेती से खेत को भी फायदा होता है, इसकी खेती से खेत में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है जिससे भूमि उपजाऊ बनी रहती है। इस तरह किसानों के लिए मूंग की खेती डबल फायदा देने वाली फसल है।
किसानों का मूंग की खेती की ओर बढ़ते रुझान को देखते हुए वैज्ञानिकों ने भी मूंग की कई नई किस्में विकसित की हैं। इनमें से मूंग की 2 ऐसी उन्नत किस्में भी शामिल हैं जो किसानों को अधिक पैदावार देने के साथ ही अच्छा मुनाफा भी दे सकती है। इस तरह मूंग की खेती किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित हो सकती है।
चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से मूंग की दो उन्नत किस्में एमएच 1762 और एमएच 1772 को विकसित किया गया है। बताया जा रहा है कि इन किस्मों की खेती करने से किसानों को 10 से 15 प्रतिशत अधिक पैदावार प्राप्त हो सकती है। इसी के साथ यह किस्में पीला मौजेक जैसे रोगों के प्रति काफी हद तक प्रतिरोधी हैं।
चौधरी चरणसिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से मूंग की इन किस्मों के बीज अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए राजस्थान की एक बीज कंपनी “स्टार एग्रो सीड्स” के साथ समझौता किया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर काम्बोज के मुताबिक विश्वविद्यालय द्वारा विकसित उन्नत किस्में अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचे, इसके लिए विभिन्न राज्यों की कंपनियों के साथ समझौते किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में विश्वविद्यालय की ओर से विकसित मूंग की दो उन्नत किस्मों एमएच 1762 व एमएच 1772 का बीज तैयार कर किसानों तक पहुंचाएगी ताकि उन्हें इन किस्मों का विश्वसनीय बीज मिल सकें और उनकी पैदावार में बढ़ोतरी हो सके। विश्वविद्यालय की ओर से समझौता ज्ञापन पर अनुसंधान निदेशक राजबीर गर्ग ने तथा राजस्थान की स्टार एग्रो सीड्स कंपनी की ओर से डॉ. विक्रांत खरे ने हस्ताक्षर किए व उनके साथ आशीष सिंह मौजूद रहे। स्नातकोत्तर शिक्षा अधिष्ठाता डॉ. केडी शर्मा ने बताया कि समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद अब कंपनी विश्वविद्यालय को लाइसेंस फीस अदा करेगी। इसके तहत उसे बीच का उत्पादन व विक्रय करने का अधिकार प्राप्त होगा। इससे किसानों को उन्नत किस्म का बीज आसानी से मिल सकेगा।
किसानों को प्रमाणिक और अच्छी क्वालिटी का बीज मिलेगा। इन किस्मों के उपयोग से मूंग की पैदावार बढ़ेगी जिससे किसानों का मुनाफा बढ़ेगा।
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