किसानों को 15 जून तक फ्री बांटे जाएंगे दलहन एवं तिलहन के बीज

Share Product Published - 04 Jun 2021 by Tractor Junction

किसानों को 15 जून तक फ्री बांटे जाएंगे दलहन एवं तिलहन के बीज

13.51 लाख मिनीकिट किए जाएंगे किसानों को वितरित, 300 करोड़ का है बजट

सरकार देश में दहलन और तिलहन को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है ताकि देश दोनों ही खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हो सके। इसके लिए केंद्र सरकार ने रोड मैप तैयार कर लिया है। दलहन और तिलहन की पैदावार बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने देश में दलहन तथा तिलहन का बुआई का रकबा बढ़ाने और प्रति हेक्टयर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके लिए देश के कई राज्यों में खरीफ फसलों के लिए दलहन तथा तिलहन फसलों का उच्च पैदावार वाले बीज नि:शुल्क वितरित किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार 13.51 लाख मिनीकिट किसानों को नि:शुल्क वितरित कर रही है। इस पर 300 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। बता दें कि इस समय देश के कई राज्यों में खरीफ फसल की बुवाई कार्य शुरू किया जा रहा है। ऐसे सरकार की मिनीकिट देने की योजना बेहद खास हो जाती है।

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15 जून तक किया जाएगा मिनीकिट का वितरण

केंद्र सरकार ने 15 जून तक किसानों को मिनीकिट वितरित किए जाने का लक्ष्य रखा है। इसको लेकर केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश के अलग-अलग किसानों से बात की जिन्हें मिनीकिट दिए गए है। इन किसानों  में ओमप्रकाश पटेल (वाराणासी, उत्तर प्रदेश), रेखा राम (बाडमेर, राजस्थान), रमेशभाई बालूभाई कोडलिया (अमरेली, गुजरात), चन्द्रकांत (हवेरी, कर्नाटक), मदन सिंह (मुरैना, मध्य प्रदेश) तथा उपेन्द्र सिंह (रीवा, मध्य प्रदेश) शामिल है। इन किसानों ने सरकार की इस पहल को सराहना की। बता दें कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत किसानों को दलहन के कुल 20,27,318 मिनी किट, सोयाबीन के आठ लाख से ज्यादा मिनी किट और मूंगफली के 74,000 मिनी किट निशुल्क दिए जाएंगे।


पिछले 15 वर्षों में कितनी मिनी किट्स की गईं वितरित

पिछले 15 वर्षों सरकार की ओर सेअरहर के एचवाईवीएस बीज की 13,51,710 मिनी किड्स पिछले दस वर्षों के दौरान वितरित की गई, जिनकी एक से अधिक के लिए उत्पादकता 15 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से कम नहीं है। वहीं मूंग की 4,73,295 मिनी किट्स, पिछले दस वर्षों के दौरान मूंग के एचवाईवीएस प्रमाणित बीजों की मात्रा जारी की गई है, लेकिन एक से अधिक फसल के लिए उनकी उत्पादकता 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से कम नहीं है। इसी प्रकार उड़द के प्रमाणित बीजों वाले उड़द के 1,08,508 मिनी किट्स पिछले 15 वर्षों के दौरान जारी की गई है और केवल एक फसल के लिए उनकी उत्पादकता 10 क्विंटल प्रति हैक्टेयर से कम नहीं है।


किस राज्य में कौन सी दलहन फसल को बोया जाएगा?

  • खरीफ सत्र 2021 में केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित एक से अधिक फसल के लिए और उड़द की एक मात्र फसल के लिए उपयोग की जाने वाली उपरोक्त मिनी किट्स 4.05 लाख हैक्टेयर क्षेत्र को कवर करेगी। इसके अतिरिक्त, राज्यों द्वारा एक से अधिक फसल और बुआई का रकबा बढ़ाने का सामान्य कार्यक्रम केंद्र और राज्य के बीच साझेदारी के आधार पर जारी रहेगा।
  • अरहर को एक से अधिक फसल के लिए 11 राज्यों और 187 जिलों में कवर किया जाएगा। ये राज्य हैं, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश।
  • मूंग इंटरक्रापिंग को 9 राज्यों और 85 जिलों में शामिल किया जाएगा। ये राज्य हैं, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश हैं।
  • 6 राज्यों और 60 जिलों में उड़द इंटरक्रापिंग को कवर किया जाएगा। ये राज्य हैं, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश हैं। उड़द को एकमात्र फसल के रूप में 6 राज्यों में शामिल किया जाएगा।


देश में दलहन फसलों के उत्पादन स्थिति

भारत विश्व में दलहनों का सबसे बड़ा उत्पादक (25 प्रतिश वैश्विक उत्पाद) उपभोक्ता (27 प्रतिशत वैश्विक उपभोग) और आयातक (19 प्रतिशत) है। भारत में कुल कृषि उत्पादन क्षेत्र के 20 प्रतिशत भाग पर तथा कुल उत्पादन में 7-10 प्रतिशत भागीदारी दलहनों की है। देश में इसकी घरेलू खपत अधिक होने से भारत इसका आयात अन्य देशों से भी करता है। देश में दालों की मांग को पूरा करने के लिए भारत अब भी 4 लाख टन अरहर, 0.6 लाख टन मूंग और लगभग 3 लाख टन उड़द का आयात कर रहा है। बीज वितरण के इस विशेष कार्यक्रम तीन दालों, अरहर, मूंग और उड़द का उत्पादन औसत उत्पादकता को काफी हद तक बढ़ा देगा और आयात के बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और भारत को दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगा। 


देश में तिलहन फसलों के उत्पादन की स्थिति

भारत दलहन तथा तिलहन का आयात करने वाला मुख्य देश है। भारत कुल कृषि उत्पाद का 42.6 प्रतिशत का तिलहन बीज और खाद्य तेल का आयात करता है। इसका मूल्य लगभग 75 हजार करोड़ रुपए का है। जबकि भारत में खरीफ तथा रबी फसल दोनों सीजन मिलाकर लगभग 34 मिलियन टन तिलहन बीज का उत्पादन करता है। देश में दलहन फसलों के उत्पादन की स्थिति  दलहन के मामले में भी भारत अभी आत्मनिर्भर नहीं बना है। वर्तमान समय में खरीफ तथा रबी दोनों सीजन मिलाकर 23.15 मिलियन टन दलहन बीज का उत्पादन किया जाता है जो विश्व में कुल उत्पादन का 62.15 प्रतिशत है। भारत दलहन उत्पादन के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है। जहां वर्ष 2014-15 में दलहन का कुल उत्पादन 17.15 मिलियन टन तथा 2019-20 के दौरान देश में कुल तिलहन उत्पादन रिकॉर्ड 33.50 मिलियन टन अनुमानित है जो 2018-19 के दौरान 31.52 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में 1.98 मिलियन टन अधिक है। इसके अलावा, 2019-20 के दौरान तिलहनों का उत्पादन औसत तिलहन उत्पादन की तुलना में 4.10 मिलियन टन अधिक है। वहीं वर्ष 2020-21 में 23.15 मिलियन टन हो गया है 7 पिछले 6 वर्षों में 6 मिलियन टन की बढ़ोतरी हुई है।


पिछले वर्ष खरीफ सीजन में तिलहन और दलहन की बुवाई

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की 11 अप्रैल 2020 को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में दलहन को लगभग 3.97 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया। यह क्षेत्र मुख्य रूप से तमिलनाडु (1.46 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश (0.73 लाख हेक्टेयर), पश्चिम बंगाल (0.59 लाख हेक्टेयर), गुजरात (0.51 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (0.24 लाख हेक्टेयर), बिहार (0.18 लाख हेक्टेयर), कर्नाटक (0.08 लाख हेक्टेयर), पंजाब (0.05 लाख हेक्टेयर), महाराष्ट्र (0.04 लाख हेक्टेयर), मध्यप्रदेश (0.03 लाख हेक्टेयर), झारखंड (0.03 लाख हेक्टेयर), तेलंगाना (0.02 लाख हेक्टेयर) और उत्तराखंड (उत्तराखंड) 0.01 लाख हेक्टेयर) पर दलहन की फसलों की बुवाई की गई थी। जबकि तिलहन की करीब 6.66 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की गई थी। यह क्षेत्र मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल (1.33 लाख हेक्टेयर), कर्नाटक (1.30 लाख हेक्टेयर), गुजरात (1.09 लाख हेक्टेयर), ओडिशा (0.62 लाख हेक्टेयर), महाराष्ट्र (0.58 लाख हेक्टेयर), तमिलनाडु (0.53 लाख हेक्टेयर), आंध्र प्रदेश (0.41 लाख हेक्टेयर), उत्तर प्रदेश (0.28 लाख हेक्टेयर), तेलंगाना (0.21 लाख हेक्टेयर), छत्तीसगढ़ (0.18 लाख हेक्टेयर), हरियाणा (0.06 लाख हेक्टेयर), पंजाब (0.04 लाख हेक्टेयर), बिहार (0.03 लाख हेक्टेयर) और मध्य प्रदेश (0.02 लाख हेक्टेयर) में दर्ज किया गया। 

 

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