सहकार प्रज्ञा : किसानों की आय दुगुनी करने के प्रयास तेज

Share Product Published - 26 Nov 2020 by Tractor Junction

सहकार प्रज्ञा : किसानों की आय दुगुनी करने के प्रयास तेज

5 हजार किसानों को मिलेगा रोजगार, एफपीओ ले सकते हैं 2 करोड़ तक के लोन, ब्याज पर मिलेगी सब्सिडी


किसानों की आय दुगुनी करने को लेकर केंद्र सरकार के प्रयास जारी है। केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को कृषि संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ ही किसानों की आय में बढ़ोतरी करने का प्रसास कर रही है और इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। केंद्र सरकार ने किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजनाओं के माध्यम से किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपए की सहायता तीन किश्तों में उनके खाते में सीधे ट्रांसर्फर की जाती है जिससे देश के लाखों किसानों को फायदा पहुंचा है। इसके अलावा राज्य सरकारें भी मोदी सरकार के 2022 तक किसानों की आय दुगुनी करने के लक्ष्य पर काम कर रही हैं। कई राज्य सरकारों ने अपने स्तर पर किसानों के लिए योजनाएं चला रखी है। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के हितार्थ मुख्यमंत्री किसान कल्याण निधि योजना शुरू की है जिसमें किसानों को प्रतिवर्ष 4 हजार रुपए दो किश्तों में उनके खाते में सीधे ट्रांसर्फर किए जा रहे हैं। इसी प्रकार अन्य राज्यों में किसानों के लिए योजनाओं की शुरुआत की जा रही है। 

 

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क्या है सहकार प्रज्ञा / सहकार प्रज्ञा का अनावरण

हाल ही किसानों की आय को दुगुना करने के लक्ष्य को आगे बढ़ते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सहकार प्रज्ञा का अनावरण किया। इसके तहत किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा जिससे करीब 5 हजार किसानों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। मीडिया में प्रकाशित व प्रसारित जानकारी के अनुसार सहकार प्रज्ञा के तहत एनसीडीसी लिनाक के 18 क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्रों और प्राथमिक सहकारी समितियों के लिए 45 प्रशिक्षण मॉड्यूल सम्मिलित हैं। तोमर ने एनसीडीसी को समर्पित और नवीनतम प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से प्राथमिक सहकारी समितियों में किसानों को सशक्त बनाने की सलाह दी है। 

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एनसीडीसी सहकार प्रज्ञा द्वारा प्रशिक्षण के लिए समर्पित लक्ष्मणराव इनामदार राष्ट्रीय सहकारिता अनुसंधान एवं विकास अकादमी( लिनाक ), जो कि एनसीडीसी से संबद्ध एवं वित्त पोषित है, द्वारा देश भर में 18 (अठारह) क्षेत्रीय प्रशिक्षण केंद्रों के फैले अपने विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से एनसीडीसी की प्रशिक्षण क्षमता को 18 (अठारह) गुना तक बढ़ाने का संकल्प करती है। उन्होंने आगे कहा कि प्राथमिक सहकारी समितियों को तैयार करने के उद्देश्य से ज्ञान, कौशल एवं संगठनात्मक क्षमताओं को अंतरण करने हेतु सहकार प्रज्ञा में 45 (पैंतालीस) प्रशिक्षण मॉड्यूल सम्मिलित हैं जिससे प्रधानमंत्री के ‘आत्म निर्भर भारत’ संकल्पना में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। बता दें कि सहकार प्रज्ञा राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एन.सी.डी.सी.)वर्ष 1963 में संसद के एक अधिनियम के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा गठित एक शीर्ष स्तरीय सांविधिक स्वायत्त संस्था हैं।

 


5 हजार किसानों को प्रशिक्षित करने की है योजना

जानकारी के अनुसार लिनाक वर्ष 1985 से अब तक सहकारी समितियों के 30,000 से अधिक व्यक्तियों को प्रशिक्षित कर चुका है। एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार नायक ने कहा कि लिनाक ने एक वर्ष में सहकारी समितियों में लगभग 5000 किसानों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है। नायक द्वारा आगे कहा गया कि सहकारी समितियों को बाजार की अर्थव्यवस्था के पेशेवर व्यावसायिक शर्तों से संबधित मामलों से निपटने हेतु पैंतालीस समर्पित प्रशिक्षण मॉड्यूल से लैस करेंगे।


पीएम मोदी का लक्ष्य, ग्रामीण व कृषि क्षेत्र में हो अधिक से अधिक बजट का उपयोग

तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी का लक्ष्य रहा है कि ग्रामीण व कृषि क्षेत्र में अधिकाधिक काम हो व बजट का ज्यादा से ज्यादा पैसा इन क्षेत्रों में उपयोग हो, ताकि ग्रामीणों के जीवनस्तर में बदलाव आए एवं किसानों की आय दोगुनी हो सकें। कोविड संकट के दौरान जहां समूची अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई, वहीं हमारी ग्रामीण तथा कृषि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने देश को पूरी ताकत के साथ खड़ा रखा। भारत में कृषि क्षेत्र व गांव-गरीब, ये हमारे देश की रीढ़ है। कार्यक्रमों के माध्यम से इसे जितना सशक्त करने की कोशिश की जाएगी, उतना ही चुनौतियों का सामना करते हुए हम उन पर विजय प्राप्त कर पाएंगे।


किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के सरकार के प्रयास जारी

तोमर ने कहा कि देश में 2.53 लाख से अधिक ग्राम पंचायतें है, जिनके माध्यम से भारत सरकार ने गांवों में मौलिक सुविधाएं उपलब्ध कराने का काम किया है। हर घर में शौचालय, बिजली-पानी, रसोई गैस इत्यादि सुलभ हो, यह सुनिश्चित करने का काम सरकार द्वारा किया जा रहा है। कृषि क्षेत्र की गैप्स भरी जा रही है। देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान है, जो खुद खेती में निवेश नहीं कर सकते है, उनके लिए गांव-गांव तक कोल्ड स्टोरेज जैसी सुविधाएं विकसित करने पर सरकार ध्यान दे रही है, ताकि किसान अपनी उपज कम दाम पर बेचने को विवश नहीं हो। सहकारिता रूपी ब्रिज को माध्यम बनाकर किसान जीवन को सार्थक बना सकता है, अपना जीवन स्तर ऊंचा उठा सकता है। यह प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है।


6,850 करोड़ रुपए के फंड के साथ एफपीओ स्कीम भी शुरू, मिलेगा 2 करोड़ तक का लोन

उन्होंने कहा कि एनसीडीसी ने 1.58 लाख करोड़ रुपए सहकारिता के माध्यम से दिए हैं। केंद्र सरकार अनेक योजनाएं लाईं हैं, जिनमें 6,850 करोड़ रुपए के फंड के साथ एफपीओ स्कीम भी शुरू की गई है। इसमें एफपीओ 2 करोड़ रुपए तक का लोन ले सकते हैं, जिस पर उन्हें ब्याज सब्सिडी भी दी जाएगी। आत्मनिर्भर भारत अभियान में घोषित विभिन्न पैकेजों पर अमल प्रारंभ हो चुका है। 1 लाख करोड़ रुपए के कृषि इंफ्रा फंड सहित अन्य पैकेजों का पैसा नीचे तक पहुंचेगा, जिससे किसानों को काफी लाभ मिलेगा, वहीं नए कानूनों से भी किसानों को फायदा होगा। इन सबके साथ ही गांव-गरीब-किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में सहकारिता की इसट्रेनिंग का निश्चित रूप से बहुत योगदान रहेगा।


कौन-कौन हो सकेंगे नए ट्रेनिंग माड्यूल्स में शामिल

नए ट्रेनिंग मॉड्यूल्स में किसान प्रतिनिधियों, पंचायत स्तरीय अधिकारियों, सीबीबीओ कर्मचारियों, ब्लॉक व जिला स्तरीय अधिकारियों, युवाओं, महिलाओं, प्राथमिक सहकारी समितियों के कर्मचारियों आदि को प्रशिक्षित किया जाएगा। इन प्रशिक्षण मॉड्यूल्स के अंतर्गत इन क्षेत्रों को शामिल किया जाएगा। व्यवसाय / उद्यम के रूप में कृषि, युवाओं के लिए सहकारी समितियों के गठन संबंधी कार्यक्रम,सहकारी उद्यमों के लिए व्यावसायिक योजनाओं का गठन, प्राथमिक स्तरीय सहकारिता हेतु व्यवसाय विकास एवं संपत्ति प्रबंधन, लेखा तथा बही खाता, कृषि उत्पाद व्यवसाय तथा पेरिशबल बिजनेस का प्रसंस्करण, सहकारिता के उत्पादों का ई-विपणन, सहकारिताओं के लिए खाद्य सुरक्षा, भंडारण अवसंरचना संचालन, शीतगृह श्रंखला अवसंरचना संचालन, फ्रशवाटरएक्वाकल्चर बिजनेस, सजावटी मछली, समुद्री खरपतवार व बत्तख पालन व्यवसाय, मधुमक्खी प्रसंस्करण, मसाला प्रसंस्करण वनारियल प्रसंस्करण व्यवसाय, कस्टम हायरिंग सेंटर का प्रबंधन आदि।

 

 

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