राष्ट्रीय गोकुल मिशन : देशी गोवंश के संरक्षण पर 10 साल में 1842 करोड़ रुपए खर्च

Share Product Published - 12 Apr 2021 by Tractor Junction

राष्ट्रीय गोकुल मिशन : देशी गोवंश के संरक्षण पर 10 साल में 1842 करोड़ रुपए खर्च

जानें, क्या है राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना और इसके उद्देश्य?

देश में स्वदेशी नस्ल को बढ़ावा देने और उनका संरक्षण करने के उद्देश्य से शुरू की गई राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत अब तक सरकार ने 1841.75 करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इस योजना के माध्यम से पशुपालकों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। हाल ही में इस योजना की प्रगति पर संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कृषि एवं पशुपालन मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया की राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना को देश के सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों में चलाया जा रहा है। इस योजना के तहत वर्ष 2014-15 से दिसंबर 2020 तक 1841.75 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं।

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राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत अब तक राज्यों को मिली कुल राशि

राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत अब तक जिन राज्यों को राशि का आवंटन किया गया उनमें आंध्रप्रदेश को 7233.3 लाख रुपए, आंध्रप्रदेश को 1439.56 लाख रुपए, असम 5383.25 लाख रुपए, बिहार 18722.81 लाख रुपए, छत्तीसगढ़ को 4941.45 लाख रुपए, गोवा को 100.56 लाख रुपए, गुजरात को 4007.45 लाख रुपए, हरियाणा को 5003.59 लाख रुपए, 3527.13 लाख रुपए, जम्मू और कश्मीर को 2989.71 लाख रुपए, झारखंड 5538.8 लाख रुपए, कर्नाटक को 3139.1 लाख रुपए, केरल को 5912.82 लाख रुपए, मध्यप्रदेश को 13748.65 लाख रुपए, महाराष्ट्र को 6896.78 लाख रुपए, मणिपुर को 3012.86 लाख रुपए, मेघालय को 2045.82 लाख रुपए, मिजोरम 793.19 लाख रुपए, नागालैंड के लिए 2597.1 लाख रुपए, ओडिशा को 6272.02 लाख रुपए, पंजाब को 5665.64 लाख रुपए, राजस्थान को 4491.22 लाख रुपए, सिक्किम को 2171.75 लाख रुपए, तमिलनाडु को 9744.63 लाख रुपए, तेलंगाना को 6655.48 लाख रुपए, त्रिपुरा को 2762.41 लाख रुपए, उत्तरप्रदेश को 10850.0 लाख रुपए, उत्तराखंड को 8433.24 लाख रुपए, पश्चिम बंगाल को 4009.05 लाख रुपए, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को 309.0 लाख रुपए, चंड़ीगढ़ को 3.18 लाख रुपए, दादर और नगर हवेली को 1.38 लाख रुपए, दमन और दीव को 0.12 लाख रुपए, दिल्ली को 0 लाख, लद्दाख को 10.5 लाख रुपए, लक्ष्यद्वीप को 1.02 लाख रुपए, पुददुचेरी को 0 लाख रुपए, एनडीडीबी को 18155.71 लाख रुपए, आईसीएआर-एनबीएजीआर को 2808.15 लाख रुपए, सीएफएसपी और टीआई को 3105 लाख रुपए, डॉ. आरपी सीएयू बिहार को 1352 लाख रुपए, अन्य को 16.29 लाख रुपए आवंटित किया गया है।


क्या है राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना?

देश में स्वदेशीय गोवंश के विकास और संरक्षण के लिए एवं पशुपालकों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से भारत सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना की शुरुआत 2010 में की गई थी। योजना के तहत गौवंशीय पशुओं में नस्ल सुधार, संरक्षण तथा दूध के उत्पादन की गुणवत्ता को बढ़ाना आदि लक्ष्य निर्धारित किए गए थे। योजना का क्रियान्वयन देश के सभी राज्यों में किया जा रहा है। इस योजना में दो घटक शामिल हैं, नामत: राष्ट्रीय बोवाइन प्रजनन कार्यक्रम (एनपीबीबी) और राष्ट्रीय बोवाइन उत्पादकता मिशन (एनएमबीपी) है।


राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजन के लिए कितना बजट

यह योजना 2500 करोड़ रुपए के साथ शुरुआत की गई थी। बजट 2021 में राष्ट्रीय गोकुल मिशन के लिए 750 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। अब तक इस योजना के तहत 1841.75 करोड़ रुपए की राशि खर्च की जा चुकी है।


राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के उद्देश्य

  • स्वदेशी नस्लों का विकास और संरक्षण करना।
  • स्वदेशी नस्लों के लिए नस्ल सुधार कार्यक्रम ताकि आनुवंशिक संरचना में सुधार हो और स्टॉक में वृद्धि हो।
  • रोग मुक्त उच्च आनुवांशिक गुण वाली मादा आबादी को बढ़ाकर और रोगों के प्रसार को नियंत्रित करके बोवाइन आबादी के दुग्ध उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करना।
  • गिर, साहीवाल, राठी, देओनी, थारपरकर, लाल सिंधी जैसी उत्कृष्ट स्वदेशी नस्लों का उपयोग करके नॉन-डिस्क्रिप्ट गोपशुओं का उन्नयन करना।
  • प्राकृतिक सेवा के लिए रोग मुक्त उच्च आनुवंशिक गुणता वाले बैलों का वितरण कराना।
  • उच्च आनुवांशिक गुणता वाले जर्म प्लाज़्म का उपयोग करके एआई या प्राकृतिक सेवा के जरिए सभी प्रजनन योग्य मादाओं को संगठित प्रजनन के तहत लाना।
  • किसानों के घर पर गुणवत्तापूर्ण कृत्रिम गर्भाधान (एआई) सेवाओं की व्यवस्था करना।
  • प्रजनकों और किसानों को जोडऩे के लिए बोवाइन जर्मप्लाज्म के लिए ई-मार्केट पोर्टल बनाना।
  • सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) मुद्दों को पूरा करके पशुधन और पशुधन उत्पादों के व्यापार में वृद्धि करना।
  • जीनोमिक्स का प्रयोग करके कम उम्र के उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले प्रजनन बैलों का चयन करना।

 

गोकुल मिशन योजना के तहत इन कामों के लिए होता है धन का आवंटन

  • गोकुल मिशन के तहत एकीकृत स्वदेशी पशु केंद्र जैसे गोकुल ग्राम बनाना।
  • उच्च आनुवांशिक क्षमता वाले स्वदेशी नस्ल के संरक्षण के लिए बुल मदर फार्म्स को मजबूत करना।
  • प्रजनन तंत्र में क्षेत्र प्रदर्शन रिकॉर्डिंग (एफपीआर यानि एफपीआर) की स्थापना।
  • जर्मप्लाज्म संरक्षण संस्थानों/ संगठनों को मदद देना।
  • बड़ी आबादी के साथ स्वदेशी नस्ल के लिए वंशावरी चुनाव कार्यक्रम।
  • ब्रीडर्स सोसायटी: गोपालन संघ बनाना।
  • स्वदेशी नस्ल के कुलीन पशुओं को रखने वाले किसानों को मदद।
  • बछिया पालन कार्यक्रम, किसानों को पुरस्कार (गोपाल रत्न) और ब्रीडर्स सोसायटी (कामधेनु) बनाना।
  • स्वदेशी नस्ल के लिए समय-समय दुग्ध उत्पादन प्रतियोगिता करना।
  • स्वदेशी पशु विकास कार्यक्रम संचालित करने वाले संस्थानों में काम करने वाले तकनीकी और गैर-तकनीकी लोगों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम।


राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत यूपी में चल रही है मैत्री योजना

उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों व पशुपालकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मैत्री योजना चल रही है। इसके तहत गौसेवकों को चार माह का कृत्रिम गर्भाधान का प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसमें एक माह का सैद्धांतिक प्रशिक्षण कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थानों में एवं 3 माह का प्रायोगिक प्रशिक्षण जिलों के कृत्रिम गर्भाधान केन्द्रों/पशु चिकित्सालयों में दिया जाता है। प्रशिक्षण उपरांत उन्हें कृत्रिम गर्भाधान किट प्रदान की जाती है ताकि वह क्षेत्र में जाकर कृत्रिम गर्भाधान कार्य एवं अन्य कार्य प्रारंभ कर सकें।

 

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