Published - 14 Oct 2020 by Tractor Junction
हरियाणा राज्य ने किसानों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी पर उपज खरीद के लिए मंडियों की संख्या बढ़ा दी है। राज्य ने एमएसपी पर खरीद के लिए 198 मंडियां खोली है जिनमें राज्य और राज्य के बाहर के किसान अपनी उपज बेच सकते हैं। इसके लिए सरकारी स्तर पर व्यापक प्रबंध किए गए हैं जिससे यहां आने वाले किसानों को अपनी उपज बेचने में कोई असुविधा न हो। इसी के साथ इन मंडियों में धान, बाजारा, मक्का, मूंग की खरीद की जा रही है। अब चूंकी हरियाणा ने राज्य के बाहर के किसानों से भी उपज की खरीद शुरू कर दी है। इस वजह से इन दिनों यहां की मंडियों में उपज बेचने के लिए किसानों की अच्छी आवाजाही देखी जा रही है। इन दिनों यहां की मंडियों में धान की खरीद जोरो पर चल रही है।
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मीडिया में प्रकाशित आंकडों के अनुसार 13 अक्टूबर तक मंडियों में 18,14,405 मीट्रिक टन धान की आवक हुई, जिसमें से 18,13,805 मीट्रिक टन की खरीद कर ली गई। यही नहीं 12 अक्टूबर तक मंडियों से 12,48,108 मीट्रिक टन धान का उठान भी हो चुका है। सरकार की कोशिश है कि किसान से पूरा धान खरीदा जाए। इस संबंध में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने मीडिया को बताया कि हरियाणा की मंडियों में धान की आवक जल्द होने के कारण प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से धान की खरीद 25 सितंबर, 2020 से शुरू करने का अनुरोध किया था। केंद्र सरकार की अनुमति पर प्रदेश सरकार द्वारा 27 सितंबर, 2020 से अंबाला, करनाल, कैथल और कुरुक्षेत्र जिलों में तथा शेष जिलों में 29 सितंबर से खरीद शुरू कर दी गई थी। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद करने के लिए 198 मंडियां खोली गई हैं।
खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा 10,09,105 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है। वहीं हैफेड द्वारा 6,06,776 मीट्रिक टन धान खरीदा गया। इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम द्वारा 12,375 मीट्रिक टन और हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा 1,85,549 मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है। खरीद एजेंसियों द्वारा धान की खरीद सरकार द्वारा निर्धारित कॉमन किस्म के लिए 1868 रुपए प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए के लिए 1888 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है।
प्रदेश में एक अक्टूबर से बाजरे की खरीद शुरू कर दी गई थी। इसके तहत बाजरे की खरीद हैफेड और हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा 2150 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है। 12 अक्टूबर तक 70,060 मीट्रिक टन बाजरे की खरीद हुई है और 53,804 मीट्रिक टन का उठान हो चुका है। बाजरे की बढ़ती खरीद को देखते हुए बाजरा किसानों की रोजाना शेड्यूलिंग को 150 से बढ़ाकर 450 किसान प्रतिदिन कर दी गई है। 13 अकटूबर से पड़ोसी राज्यों के पंजीकृत धान किसानों की शेडयूलिंग भी शुरू हो गई है। इससे राज्य के बाहर के किसान भी यहां अपनी उपज बेच पा रहे हैं।
राज्य सरकार ने मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीद को बढ़ाने के लिए 19 मंडियां खोली हैं। यहां मक्का की खरीद 1850 रुपए प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रही है। इसके लिए हैफेड को नोडल एजेंसी बनाया गया है। 12 अक्टूबर तक इन मंडियों में 807.65 मीट्रिक टन मक्का की खरीद की गई है और मंडियों से 524.30 मीट्रिक टन का उठान हो चुका है।
प्रदेश में मूंग की खरीद 7196 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करने के लिए 23 मंडियां खोली गई हैं. हैफेड तथा हरियाणा स्टेट वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन द्वारा मूंग की खरीद की जा रही है. 12 अक्टूबर तक 480.02 मीट्रिक टन मूंग की खरीद हुई है. जबकि 381.55 मीट्रिक टन का उठान हो चुका है।
किसानों के रजिस्ट्रेशन के लिए के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल खुला हुआ है। इस पर रजिस्ट्रेशन के बाद ही किसान मंडियों में धान बेच सकते हैं। यहां मंडियों में इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि किसानों और उपज का पूरा ब्यौरा मंडियों के पास होना चाहिए ताकि भुगतान में कोई परेशानी नहीं आए। यहीं कारण है कि यहां की मंडियों में आने वाले किसान से मेरी फसल मेरा ब्यौरा पर रजिस्ट्रेशन को देखा जा रहा है और उसके बाद ही उनसे उपज की खरीद की जा रही है।
किसानों को समर्थन मूल्य पर अपनी उपज बेचने से काफी फायदा हो रहा है। उन्हें मंडी में उपज के बाजार की अपेक्षा अच्छे दाम मिल रहे हैं और सरकार द्वारा 72 घंटे में उपज का भुगतान सुनिश्चित करने से उन्हें समय पर पैसा भी मिल रहा है। इसके विपरीत बाजार में व्यापारियों द्वारा उपज का इतना पैसा नहीं मिल पा रहा था। बता दें कि समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं होने से पहले किसानों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के बिचौलियों को उपज बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा था, ऐसी खबरे मीडिया में खूब प्रकाशित भी हुई थीं। जिसे देखते हुए हरियाणा और पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार से अपने राज्य में समर्थन मूल्य पर खरीद को जल्द शुरू करने का आग्रह किया था। अब चूंकी सरकारी खरीद शुरू हो गई है जिससे किसानों को लाभ मिल रहा है और किसान समर्थन मूल्य पर उपज बेचने में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं।
हरियाणा राज्य सरकार का ये प्रयास है कि अधिक से अधिक किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीफ फसल को खरीद जाए जिससे किसानों को लाभ पहुंचे। वहीं दूसरी और सरकार यह कतई नहीं चाहती कि कृषि कानून को लेकर कांग्रेस या फिर कोई किसान संगठन उन्हें न घेर लें। इसके लिए सरकार किसान से इस बार पूरा धान खरीदने के मूड में हैं और यही कारण है कि हरियाणा में राज्य में मंडियों की संख्या को बढ़ाया गया है ताकि अधिक से अधिक उपज की खरीद कर किसान को यह विश्वास दिलाया जाए कि समर्थन मूल्य पर खरीद और मंडियां हमेशा बनी रहेगी।
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