Published - 17 Dec 2021 by Tractor Junction
पीएम मोदी ने किसानों से जैविक खेती की ओर अग्रसर होने का आह्वान किया है। हाल ही में गुजरात के आणंद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों को जैविक खेती के गुर बताए। बुरहानपुर जिले में 15 स्थानों पर प्रोजेक्टर के माध्यम से किसानों को क्रार्यक्रम दिखाया गया। बता दें कि गुजरात के आणंद में 14 से 16 दिसंबर तक जैविक खेती को लेकर एक देशव्यापी कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें किसानों को जैविक खेती से अवगत कराया गया। वैज्ञानिकों के माध्यम से भी जैविक खेती के उपाय, फायदे बताए गए। देशभर में भी इस कार्यक्रम का प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रसारण हुआ है। बुरहानपुर जिले में भी जिला मुख्यालय के अलावा ब्लाक स्तर पर कार्यक्रम देखा गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार गुजरात के आणंद जिले से संबोधित कर रहे पीएम मोदी ने किसानों को रासायनिक तत्वों के उपयोग से बढ़ती बीमारियों और आने वाली पीढ़ी को होने वाली परेशानी के बारे में जानकारी दी। साथ ही पैस्टिसाइड के उपयोग से कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती के फायदे बताए।
इसी दौरान विकास खंड चंडौस पर एक किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस किसान गोष्ठी को वर्चुअल संवाद के जरिये पीएम मोदी ने संबोधित किया। गोष्ठी में पीएम ने किसानों को बताया कि विश्वभर में जैविक खेती करने पर बल दिया जा रहा है। जैविक खेती से पैदा होने वाले खाद्यान्न की बाजार में मांग तेजी से बढ़ी है तो साथ ही इसकी कीमत भी ज्यादा मिल रही है। इसे अपनाकर किसान अपनी आय को दोगुना तक बढ़ा सकते हैं।
केंद्रीय सहकारिता और गृह मंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि केंद्र लगातार किसानों के फायदे के लिए काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि जमीनों की जांच और जैविक उत्पादों को प्रमाणित करने के लिए प्रयोगशालाएं बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि किसानों को उनके उत्पादों की ज्यादा से ज्यादा कीमत मिल सके। गुजरात में कृषि और खाद्य प्रोसेसिंग को लेकर आयोजित राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, गृह मंत्री अमित शाह ने कहा ‘हम देश में एक प्रयोगशाला स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। जो भूमि की जांच करने के साथ, जैविक उत्पादों को भी प्रमाणित करेगी। ताकि किसानों को अधिक मूल्य मिले। अमूल समेत कई अन्य इस योजना पर काम कर रही हैं, इससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।
जैविक खेती पर जोर देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि ‘2019 के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से जैविक खेती को अपनाने की अपील की। जिसमें रसायनिक खाद की जगह गाय के गोबर से बनी खाद के इस्तेमाल पर जोर दिया गया, ताकि जमीन की उर्वरता बनी रहे। प्राकृतिक और जीरो बजट फार्मिंग पर चल रहे शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश भर के किसानों और वैज्ञानिकों को भी संबोधित किया।
पीएम मोदी ने कहा कि खेती के बहुत से आयाम हो सकते हैं, जिसमें फूड प्रोसेसिंग, प्राकृतिक खेती 21वीं सदी में भारतीय कृषि का कायाकल्प करने में मददगार साबित हो सकते हैं। शिखर सम्मेलन के दौरान हजारों करोड़ के समझौते पर भी चर्चा की गई। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने देश की राज्य सरकारों से प्राकृतिक खेती को जनआंदोलन का रूप देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस अमृत महोत्सव में कम से कम हर पंचायत का एक गांव प्राकृतिक खेती से जरूर जुड़े, ये कोशिश हमें करनी चाहिए।
ऐसी खेती जिसमें दीर्घकालीन व स्थिर उपज प्राप्त करने के लिए कारखानों में निर्मित रसायनिक उर्वरकों, कीटनाशियों व खरपतवारनाशियों तथा वृद्धि नियंत्रक का प्रयोग न करते हुए जीवांशयुक्त खादों का प्रयोग किया जाता है तथा मृदा एवं पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सकता है। ऐसी खेती जैविक खेती या प्राकृतिक खेती कहलाती है। इसमें जैविक खाद बनाने में पशु-पक्षियों के गोबर, मलमूत्र, वनस्पतियों का कचरा, गोबर, केचुआं आदि का प्रयोग किया जाता है।
भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है। कृषि ही यहां के किसानों की आय का प्रमुख साधन है। हरित क्रांति के समय से बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए एवं आय की दृष्टि से उत्पादन बढ़ाना आवश्यक है अधिक उत्पादन के लिए खेती में अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशक का उपयोग करना पड़ता है जिससे सामान्य व छोटे किसान के पास कम जोत में अत्यधिक लागत लग रही है और जल, भूमि, वायु और वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है साथ ही खाद्य पदार्थ भी जहरीले हो रहे हैं। इसलिए इस प्रकार की सभी समस्याओं से निपटने के लिये गत वर्षों से निरंतर टिकाऊ खेती के सिद्धांत पर खेती करने की सिफारिश की गई। इसे जीरो बजट खेती के नाम से भी जाना जाता है। जीरो बजट फार्मिंग से तात्पर्य खेती की लागत में कम करके अधिक उत्पादन प्राप्त करना है। प्राकृतिक और जैविक खेती को लेकर कृषि विभाग की ओर से प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसान इस विशेष खेती को अपनाएं।
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