Published - 29 Sep 2021 by Tractor Junction
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विशेष गुणों वाली फसलों की 35 किस्में राष्ट्र को समर्पित कीं हैं। इसी के साथ प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, रायपुर का नवनिर्मित परिसर भी राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालयों को ग्रीन कैंपस अवार्ड भी वितरित किए। उन्होंने उन किसानों के साथ बातचीत की, जो नवोन्मेषी तरीकों का उपयोग करते हैं तथा सभा को भी संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले छह-सात वर्षों में कृषि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, हमारा सबसे ज्यादा ध्यान अधिक पौष्टिक बीजों पर है, जो खासकर बदलते मौसम में, नई परिस्थितियों के अनुकूल हैं।
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प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राज्य और केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों में विकसित 35 नई फसल किस्में जारी की है। इनमें चना की सूखा-सहिष्णु किस्म, विल्ट और बांझपन मोज़ेक प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में और गेहूं की जैव-फोर्टिफाइड किस्में, बाजरा, मक्का और चना सहित दलहनी फसलोंं की बीन और फैबा बीन किस्में जारी की गईं हैं। इन किस्मों का उद्देश्य जलवायु-लचीला प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए जन जागरूकता पैदा करना है।
धान की 3 बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी किस्में – पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1847 और पूसा बासमती 1885 विमोचित की गई | गेहूं 6 किस्में जैसे डीबीडब्ल्यू 332, डीबीडब्ल्यू 327, HI 1636, HUW 838, MP (JW) 1358 और HI 8123 प्रोटीन, आयरन और जिंक से भरपूर सहित मक्का की सी.एफ.एम.वी-1, सी.एफ.एम.वी-2, 4 फसलों की 11 बायोफोर्टिफाइड किस्में विकसित की गईं हैं। 2 कम अवधि की रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मटर और अरहर की दो किस्में आईपीएच 15-3 और आईपीएच 09-5 और कम अवधि की सोयाबीन किस्म एनआरसी 138 यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त भी जारी की गई | सूखा सहिष्णु उच्च उपज रोग प्रतिरोध पूसा चना 4005, बाजरा संकर एचएचबी 67 किस्में ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ की अवधारणा पर विकसित की गई है।
इस दौरान पीएम मोदी ने केंद्र सरकार की ओर से किसानों के हित में गए कार्यों और उपलब्धियों के बारें में भी बताया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के बीच पिछले साल विभिन्न राज्यों में बड़े पैमाने पर हुए टिड्डियों के हमले को याद किया। उन्होंने कहा कि भारत ने इस हमले से निपटने के लिए काफी प्रयास किए और किसानों को बहुत अधिक नुकसान होने से बचाया। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जब भी किसानों और कृषि को सुरक्षा कवच मिलता है तो उनका विकास तेजी से होता है।
पीएम मोदी बताया कि भूमि के संरक्षण के लिए 11 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने सरकार की किसान-हितैषी पहलों के बारे में बताया, जैसे - किसानों को जल सुरक्षा प्रदान करने के लिए लगभग 100 लंबित सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए अभियान, फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराना और इस प्रकार अधिक उपज प्राप्त करना।
पीएम मोदी कहा कि एमएसपी बढ़ाने के साथ-साथ खरीद प्रक्रिया में भी सुधार किया गया ताकि अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिल सके। रबी सीजन में 430 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं की खरीद की गई है और किसानों को 85 हजार करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया गया है। महामारी के दौरान गेहूं खरीद केंद्रों की संख्या को तीन गुना से अधिक बढ़ाया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों को तकनीक से जोडक़र हमने उनके लिए बैंकों से मदद लेना आसान बना दिया है। आज किसानों को मौसम की जानकारी बेहतर तरीके से मिल रही है। हाल ही में 2 करोड़ से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण जो नए प्रकार के कीट, नई बीमारियां, महामारियां आ रही हैं, इससे इंसान और पशुधन के स्वास्थ्य पर भी बहुत बड़ा संकट आ रहा है और फसलें भी प्रभावित हो रही है। इन पहलुओं पर गहन रिसर्च निरंतर जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब साइंस, सरकार और सोसायटी मिलकर काम करेंगे तो उसके नतीजे और बेहतर आएंगे। किसानों और वैज्ञानिकों का ऐसा गठजोड़, नई चुनौतियों से निपटने में देश की ताकत बढ़ाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसान को सिर्फ फसल आधारित इनकम सिस्टम से बाहर निकालकर, उन्हें वैल्यू एडिशन और खेती के अन्य विकल्पों के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि साइंस और रिसर्च के समाधानों से अब मोटे अनाजों सहित अन्य अनाजों को और विकसित करना ज़रूरी है। उन्होंने कहा इसका मकसद ये कि देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग जरूरतों के हिसाब से इन्हें उगाया जा सके।
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