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धान की खरीद : किसानों का पैसा रोकना पड़ा भारी

Share Product Published - 26 Jun 2021 by Tractor Junction

धान की खरीद : किसानों का पैसा रोकना पड़ा भारी

धान किसान परेशान : सरकार ने कंपनियों के खिलाफ दर्ज कराया मामला

देश में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान सहित अन्य फसलों की खरीद की जाती है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से कंपनियों को फसल खरीद के लिए अधिकृत किया जाता है। इसी तरह यूपी सरकार की ओर से भी किसानों से धान की खरीद के लिए कंपनियों को अधिकृत किया गया। इन कंपनियों ने धान किसानों से अक्टूबर 2020 से 15 जनवरी 2021 तक भारी मात्रा में धान की खरीद की और पंजीकृत कंपनियों ने धीरे-धीरे किसानों को धान खरीदी भुगतान किया। लेकिन इन कंपनियों पर अभी भी किसानों के 1 करोड़ 17 लाख रुपए बकाया हैं। इसको लेकर यूपी सरकार ने तीन कंपनियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार पंजीकृत तीनों कंपनियों पर आरोप है कि इन्होंने धान खरीद का पैसा अभी तक किसानों को नहीं दिया है। बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार सरकारी एजेंसियों के अलावा अलग-अलग विभागों से धान और गेहूं की खरीद करवाती है। इन तीन कंपनियों को भी उत्तर प्रदेश सरकार ने धान खरीद का जिम्मा दिया था।

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कहां का है ये मामला

यह मामला प्रदेश के बरेली जिले का है। समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक, खाद्य विभाग के रीजनल मार्केटिंग ऑफिसर ज्ञानचंद वर्मा ने प्राथमिकी दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि बरेली जिले में करीब 15 कंपनियों को धान खरीद के लिए पंजीकृत किया गया था। नवाबगंज की आदर्श एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी, बरेली की शुभ कीर्ति प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड और जहानाबाद की पीलीभीत फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी को जिलाधिकारी ने पिछले साल 6 नवंबर को धान खरीदने की अनुमति दी थी।


किसानों की धान खरीदी बंद, लगा रहे कंपनी के चक्कर, नहीं मिल रहा पैसा

धान किसानों का इन तीन कंपनियों पर करीब 1 करोड़ 17 लाख रुपए रुपए बकाया चल रहा है जिसको लेकर किसान चक्कर लगा रहे हैं लेकिन इन्हें अभी तक पूरा भुगतान कंपनियों की ओर से नहीं किया जा रहा है। मामले के अनुसार अक्टूबर 2020 से 15 जनवरी 2021 तक बहुत अधिक मात्रा में धान की खरीद की गई और पंजीकृत कंपनियों ने धीरे-धीरे किसानों को भुगतान किया। लेकिन कुछ कंपनियों ने किसानों को अब तक भुगतान नहीं किया है। वर्मा ने मीडिया को बताया कि इन तीन कंपनियों के पास पिछले पांच महीने से किसानों के 1 करोड़ 17 लाख रुपए बकाया हैं।


इनके खिलाफ दर्ज कराई प्राथमिकी

वर्मा ने मीडिया को बताया कि किसानों ने भुगतान न मिलने की शिकायत प्रशासन से की थी और खाद्य विभाग की विपणन शाखा ने भी इस पर संज्ञान लिया। इसके बाद नवाबगंज थाने में आदर्श एग्रो प्रोड्यूसर, शुभ कीर्ति प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड और पीलीभीत फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी के सचिवों, जगदीश सरन गंगवार, हरीश गंगवार और प्रेम कुमार के खिलाफ आईपीसी की धारा 406 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।


कंपनियों को कई बार जारी किया गया नोटिस, पर नहीं हुई सुनवाई

नवाबगंज के रीजनल मार्केटिंग ऑफिसर के अनुसार इन कंपनियों को लिखित चेतावनी देने के साथ ही कई बार नोटिस जारी कर भुगतान करने को कहा गया लेकिन पांच महीने बाद भी इन तीनों कंपनियों द्वारा किसानों को भुगतान नहीं किया। आखिकार किसानों को बकाया भुगतान दिलाने को लेकर तीन कंपनियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। 


109 किसानों का पैसा है अटका

समर्थन मूल्य पर धान खरीद करने वाली बरेली आदर्श एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी नवाबगंज, शुभ कीर्ति प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड श्यामगंज और पीलीभीत फामर्स प्रोड्यूसर कंपनी पर इन तीनों पर 109 किसानों का 117 लाख रुपए का भुगतान बकाया है। कई बार नोटिस के बावजूद किसानों को भुगतान नहीं किया गया। डिप्टी आरएमओ सुनील भारती ने बताया जिन किसानों का भुगतान बकाया है, वह दिलाने के प्रयास किये जा रहे हैं। 


यूपी के बसखारी के दो केंद्रों पर भी ऐसा ही मामला

यूपी के बसखारी में खाद्य विभाग द्वारा नामित एजेंसी के दो क्रय केंद्र द्वारा किसानों के धान की खरीद करने के बाद भुगतान न करने का एक ऐसा ही पिछले दिनों मामला सामने आया। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार खाद्य विभाग के अधीन एफपीओ ने विकास खंड बसखारी अंतर्गत शेखपुर क्रय केंद्र पर गंगोत्री फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के निदेशक रवि चौधरी व मसड़ा मोहनपुर क्रय केंद्र पर मां भारती किसान एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के निदेशक विनोद कुमार पटेल को क्षेत्रीय किसानों के धान की उपज को निर्धारित समर्थन मूल्य की दर से खरीदने के लिए नामित किया था। बाकायदा दोनों एजेंसियों ने अपने-अपने केंद्र पर खरीदारी शुरू की। गंगोत्री फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के क्रय केन्द्र ने 5670 कुंतल तथा मां भारती ने 7038 क्विंटटल धान की खरीद की। धान खरीद के बाद गंगोत्री फार्मर ने 89 लाख 64 हजार 905 रुपए का भुगतान किया, लेकिन 16 लाख 26 हजार 654 रुपये का भुगतान नहीं किया। वही मां भारती ने 1 करोड़ 14 लाख 91 हजार 189 रुपए का भुगतान किया, और 19 लाख 65 हजार 136 रुपए बकाया कर दिया। इस पर भुगतान के लिए कई बार संबंधित क्रय केंद्र के निदेशक को नोटिस जारी किया गया। भुगतान न होने पर अब क्षेत्रीय विपणन अधिकारी ने बसखारी थाने पर दोनों क्रय एजेंसी के निदेशक के खिलाफ अमानत में खयानत के आरोप में मुकदमा पंजीकृत करवाया है। दोनों क्रय एजेंसी के ऊपर करीब 36 लाख रुपए बकाया है। पुलिस ने पूरे मामले में छानबीन शुरू कर दी है। 


72 घंटे में किसानों को खरीद का भुगतान का है सरकारी निर्देश

वित्तीय वर्ष 2020-21 में शासन ने किसानों के धान की उपज खरीदकर 72 घंटे में किसानों के खाते में पीएफएमएस प्रणाली के तहत निर्धारित समर्थन मूल्य के हिसाब से भुगतान करने के लिए निर्देश जारी किया था। इसके अनुसार यदि कोई कंपनी/एजेंसी किसान से फसल खरीदी के 72 घंटे के अंदर भुगतान नहीं करती है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 

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