प्याज की कीमतें रूकने का नाम ही नहीं ले रही है। प्याज की कीमत आसमान छू रही है। बढ़ती प्याज की कीमतों ने एक आमजन के घर का बजट तो बिगाड़ा ही है, साथ ही सरकार के लिए भी एक बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न कर दी है।
इतिहास गवाह है प्याज की कीमत का विषय एक बड़ा ही राजनैतिक मुद्दा है, जिसने कई सरकारे बनाई है व कई सरकारे गिराई है। खुदरा बाजार में यह 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक बिक रहा है। शादी के सीजन में डिमांड बढ़ने से रेट बढ़ती ही जा रहा है।
प्याजः- यह कंद वाली फसल है जिसके बिना सब्जी फीकी सी लगती है। प्याज का वैज्ञानिक नाम Allium cepa है। इसका जन्म स्थान मध्य एशिया माना जाना जाता है। प्याज की खेती रबी व खरीफ दोनों वक्त की जाती है। रबी की फसल की अवधि (मार्च से जून) खरीफ (अक्टूबर से दिसंबर) और पछेती खरीफ की खेती (जनवरी से मार्च) में होती है।
प्याज की कीमतों के बढ़ने के कारणः-
- 2019.20 के दौरान मानसून के देर से आने के कारण खरीफ प्याज के बोए गए क्षेत्र में गिरावट के साथ- साथ बुवाई में 3.4 सप्ताह की देरी हुई। इसके अलावा आदि राज्यों में
- कर्नाटक, मध्य प्रदेश, नासिक और गुजरात में सितंबर-अक्टूबर की अवधि के दौरान हुई बारिश ने इन उत्पादक क्षेत्रों में खड़ी प्याज की फसलों को नुकसान हुआ।
- दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्याज की आवक अलवर से हो रही है। केवल दो-तीन राज्यों से प्याज की सप्लाई होने के कारण डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है।
- बाजार में खरीफ प्याज की सीमित उपलब्धता हुई और इसकी कीमतों पर दबाव पड़ा है।
सरकार द्वारा प्याज की बढ़ती कीमतों की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमः-
- केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री ने कहा कि इस साल बारिश और बाढ़ के चलते प्याज की पैदावार में 26 फीसदी तक गिरावट आई है. उन्होंने यह भी कहा कि 65,000 टन प्याज का बफर स्टॉक था, जिसमें 50 फीसदी प्याज सड़ गया है. जुलाई से अक्टूबर के दौरान बाजार में आपूर्ति रबी सीजन से संग्रहीत प्याज से होती है।
- कीमत को काबू में करने के लिए कैबिनेट ने 1.2 लाख टन प्याज के आयात को मंजूरी दी है।
- राज्यों को प्याज की स्टाक लिमिट घटाने का निर्देश- घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और कीमतों की जांच करने के लिए स्टॉक सीमा लगा दी है। केंद्र सरकार ने राज्यों को प्याज की स्टॉक लिमिट घटाने का निर्देश दिया है। राज्य अब अपनी जरूरत और मर्जी के अनुसार स्टॉक लिमिट घटा सकते हैं. साथ ही, व्यापारियों पर संग्रहण करने पर सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। मौजूदा समय में रिटेल व्यापारी 100 किलो तक प्याज रख सकता है. वहीं, होलसेल व्यापारी 500 किलो तक प्याज अपने स्टॉक में रख सकता हैं.
- आपको बता दें कि देश के बड़े महानगरों, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई में प्याज के दाम 100 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गए है। कारोबारियों का कहना है कि अगर मंडियों में प्याज की सप्लाई नहीं बढ़ती है तो कीमतें और बढ़ सकती हैं.
- प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने 1.2 लाख टन प्याज का आयात करने का निर्णय लिया है, जिससे घरेलू आपूर्ति कर कीमतों पर नियंत्रण किया जा सके।
- केन्द्र सरकार की ओर से सार्वजनिक क्षेत्र की ट्रेडिंग फर्म MMTC ने प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने हेतु मिस्र से 6090 टन प्याज का आयात करने का अनुबंध किया है। आयतित प्याज को राज्य सरकारों को 50.60 रु प्रति किलोग्राम की मूल्य सीमा में प्याज की आपूर्ति की जाएगी। आयतित प्याज का राज्यों को वितरण दिसंबर के आरम्भ से ही हो जाएगा। नैफेड के द्वारा भी आयतीत प्याज का वितरण किया जाएगा । एमएमटीसी प्याज की पहली खेप के आयात का आर्डर दे चुकी है।
- सरकार ने प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया हैं
- प्याज की कीमतों पर नियंत्रण रखने हेतु गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में पांच केंद्रीय मंत्रियों की एक टीम द्वारा स्थिति की बारीकी से निगरानी की जा रही है। वित्त मंत्री, कृषि मंत्री और सड़क परिवहन मंत्री भी मंत्रियों के समूह के सदस्य हैं।
भविष्यः-
- दिसम्बर के मध्य तक खरीफ की फसल का प्याज आना प्रारम्भ हो जाएगा।
- तुर्की, हालैण्ड से प्याज अपेक्षाकृत अधिक समय तक संग्रहित किया जा सकता है। अतः उक्त देशों से प्याज के आयात हेतु अनुबंध किया जाना चाहिए। जिससे लंबे समय तक संग्रहित प्याज का वितरण किया जा सके और प्याज खराब या सढ़े ना।
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