रिपोर्ट में हुआ खुलासा अल- नीनो नहीं अटलांटिक हवाएं हैं बड़ा कारण
भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी कृषि व इसकी सहायक गतिविधियों से आजीविका कमाती है। अगर देश में सही समय पर पर्याप्त मात्रा में बारिश नहीं हो तो देश की अर्थव्यवस्था तक प्रभावित होती है। देश में पिछले 100 साल के दौरान 23 बार सूखा पड़ा है। जिसकी अलग-अलग वजह बताई गई है। अभी तक यह माना जाता था कि अल-नीनो की वजह से मानसून की बारिश कम हो रही है और देश में सूखा पड़ रहा है। लेकिन अब एक रिपोर्ट में सूखा पडऩे का मुख्य कारण अटलांटिक हवाएं बताई गई है।
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रिपोर्ट में खुलासा : अटलांटिक क्षेत्र की वायुमंडलीय गड़बड़ी से बार-बार सूखा
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के पर्यावरणीय एवं समुद्री विज्ञान केंद्र द्वारा किए गए एक नए अध्ययन की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि अटलांटिक क्षेत्र की वायुमंडलीय गड़बड़ी से देश में बार-बार सूखा पड़ता है। यह रिपोर्ट ‘साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में पिछली सदी में मानसून सत्र के दौरान सूखा पडऩे की लगभग आधी घटनाएं संभवत: उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की पर्यावरणीय गड़बडिय़ों की वजह से हुईं।
सूखा पडऩे की 23 घटनाओं में से 10 तब हुईं जब ‘अल नीनो’ मौजूद नहीं था
नए अध्ययन में कहा गया है कि भारत में पिछली सदी में सूखा पडऩे की 23 घटनाओं में से 10 तब हुईं जब ‘अल नीनो’ मौजूद नहीं था। तब सूखा पडऩे की इन घटनाओं का कारण क्या हो सकता है? आईआईएससी के अध्ययन में कहा गया है कि सूखा पडऩे की ये घटनाएं अगस्त के अंत में बारिश में अचानक अत्यधिक कमी आने की वजह से हुईं। संस्थान ने कहा कि बारिश में कमी की ये घटनाएं उत्तरी अटलांटिक हिन्द महासागर के ऊपर मध्य अक्षांश पर पर्यावरणीय प्रवाह बनने से जुड़ी थीं, जो उपमहाद्वीप के ऊपर फैल गया और मानसून को पटरी से उतार दिया।
देश की एक अरब आबादी मानसून पर निर्भर
भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून पर एक अरब से अधिक आबादी निर्भर है जिसमें देश में जून से सितंबर के बीच अच्छी-खासी बारिश होती है। यह मानसून जब विफल होता है तो देश के अधिकांश हिस्सों में सूखा पड़ता है जिसकी सामान्य वजह बार-बार होने वाले जलवायु घटनाक्रम ‘अल नीनो’ को बताया जाता है। अल-नीनो की वजह से समुद्र के सतह पर जल का तापमान सामान्य से ज्यादा हो जाता है जिसकी वजह से नमी वाले बादल भारत से दूर चले जाते हैं। लिहाजा भारत में बारिश कम होती है और सूखा पड़ जाता है। 1980 की शुरुआत में लोगों ने यह सूखा महसूस करना शुरू किया था। हालांकि तब यही माना जाता था कि यह अलग-अलग तरह के अल-नीनो का असर है।
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