Posted On - 14 Sep 2020
मशरूम उत्पादन को लेकर युवाओं के बढ़ते रूझान को देखते हुए मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में संत गहिरागुरू विश्वविद्यालय में इसी सत्र से मशरूम का डिप्लोमा कोर्स शुरू होने वाला है। इसमें युवाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा संभाग में स्थित सरगुजा विश्वविद्यालय प्रदेश का ऐसा पहला विश्वविद्यालय होने जा रहा है जो मशरुम उत्पादन में डिप्लोमा कोर्स का संचालन करेगा। बता दें कि सरगुजा संभाग में अधिकांश युवा मशरूम उत्पादन कर अपनी आजिविका चला रहे हैं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। यहां के मशरूम की मांग कई शहरों में है। इससे यहां के युवाओं में मशरूम उत्पादन को लेकर खास क्रेज देखने को मिल रहा है और यही कारण है कि यहां विश्वविद्यालय ने मशरूम की का डिप्लोमा कोर्स शुरू करने का निर्णय लिया है। यहां के स्थानीय राजीव गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय में इसी सत्र से मशरूम कल्टीवेशन डिप्लोमा कोर्स शुरू हो जाएगा। इसमें मशरूम उत्पादन के लिए आइकॉन बने लोग ही डिप्लोमा कोर्स करने वालों को तकनीकी जानकारी देंगे। यह कोर्स छह माह का होगा।
सरगुजा संभाग के राजीव गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य व अपर संचालक उच्च शिक्षा डॉ एसके त्रिपाठी के अनुसार सरगुजा इलाके में युवाओं को मशरूम के प्रति रुझान को देखते हुए उन्होंने यह प्रस्ताव बनाकर विश्वविद्यालय को दिया जिसे उच्च शिक्षा विभाग ने स्वीकार कर लिया है। आजकल शहर के सभी बड़े होटलों में स्थानीय स्तर पर उत्पादित मशरूम की खपत है और लोग इसका उपयोग भी खूब करते हैं। जितने लोग मशरूम उत्पादन से जुड़े हैं अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। ऐसे में इस रोजगार मूलक डिप्लोमा कोर्स के शुरू होने से युवाओं को इसका बहुत लाभ मिलेगा। यह रोजगार मूलक कोर्स इसी सत्र से शुरू किया जाएगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर ही बेहतर मशरूम उत्पादन कर रहे हैं लोगों से युवाओं को प्रशिक्षण दिलावाया जाएगा। इसके अलावा महाविद्यालय के प्रोफेसर भी पढ़ाएंगे।
बायोटेक लैब के प्रभारी डॉ प्रशांत शर्मा ने मीडिया को बताया कि मशरुम की खेती के लिए आवश्यक तापमान 26 से 30 सेंटीग्रेड और आद्रता 80 से 90 फीसद होती है। सरगुजा संभाग जंगलों से घिरे होने के कारण यह वातावरण कमोबेश साल भर बनी रहती है, यही कारण है कि सरगुजा में साल भर मशरूम की खेती होती है। उन्होंने बताया कि मशरुम की खेती मिट्टी खपरैल से निर्मित घरों में अच्छा होता है क्योंकि ऐसे घरों में मशरुम खेती के लिए आवश्यक तापमान और आद्रता का नियंत्रण गर्मी के दिनों में भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि कम समय, कम लागत, कम मेहनत ,कम जगह में मशरूम उत्पादन किया जा सकता है। अब यह इसका डिप्लोमा कोर्स होने जा रहा है यह बड़ी बात है। अब काफी संख्या में युवा डिप्लोमा कोर्स कर घर बैठे लाभ कमाएंगे। सरगुजा कलेक्टर संजीव कुमार झा मशरूम उत्पादन को लेकर काफी उत्साहित हैं। कलेक्टर ने जिले के बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को मशरूम उत्पादन से जोडऩे को कहा है।
सरगुजा संभाग में कई किसान सफलतापूर्वक मशरूम उत्पादन कर इससे अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं इसमें गजाला परवीन धौरपुर, सरगुजा, सुमति देवी अंबिकापुर, निशा लकड़ा , विद्या शाण्डिल्य अंबिकापुर, प्रकाश यादव चरचा बैकुंठपुर, रीना सिंग, तिलसिवा सूरजपुर, मदन मिश्रा सूरजपुर, रामजी सिंह, आरागाही बलरामपुर, धरम सिंह राजपुर, संतोष नाग प्रतापपुर, बबिता अगरिहा लुंड्रा, देवरजो यादव करौली लुंड्रा, शांता भगत लुडेग जशपुर, नंदकेस्वर दास,अंबिकापुर, जगदंबिका गुप्ता, सीतापुर, विनोद सिन्हा, अंबिकापुर आदि शामिल हैं।
संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा के प्रभारी कुलपति व सरगुजा संभाग के कमिश्नर डॉ संजय अलंग के अनुसार निश्चित रूप से कृषि से जुड़े इस पाठ्यक्रम के शुरू हो जाने से युवाओं को लाभ मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले युवा वैसे भी खेती किसानी से जुड़े हैं। अब युवा इस डिप्लोमा कोर्स को करेंगे और इससे बेहतर लाभ भी प्राप्त करेंगे।
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