अब छोटे व सीमांत किसानों को बैंक से मिल सकेगा आसानी से लोन

Share Product Published - 08 Aug 2020 by Tractor Junction

अब छोटे व सीमांत किसानों को बैंक से मिल सकेगा आसानी से लोन

आरबीआई ने कृषि सहित अन्य सेक्टरों को किया प्रॉयोरिटी सेक्टर में शामिल

देश का शीर्षस्थ बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अब छोटे व सीमांत किसानों सहित कमजोर तबके को दिए जाने वाले कर्ज का लक्ष्य बढ़ाने का फैसला किया है। इससे छोटे व सीमांत किसानों को लाभ होगा। उन्हें आसानी से बैंक से सस्ता लोन मिल सकेगा। जानकारी के अनुसार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से प्रायॉरिटी सेक्टर में कृषि, एमएसएमई, शिक्षा, हाउसिंग, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर समेत कई सेक्टर को शामिल किया गया है।

इसके अंतर्गत स्टार्टअप को भी शामिल  किया गया है। इससे स्टार्टअप की नकदी संबंधी समस्या खत्म होगी और नया कारोबार प्रारंभ करने में सहायता मिलेगी। पहले ऐसा नहीं था स्टार्टअप्स को हमेशा एमएसएमई कैटेगरी में ही माना जाता था और उन्हें तीन साल का मुनाफा दिखाना होता था। लेकिन अब स्टार्टअप को प्रॉयोरिटी सेक्टर में शामिल किए जाने के बाद उन्हें बैंक से लोन लेने में आसानी होगी। 

 

 

रिजर्व बैंक के फैसले की खास बातें

  • नई गाइडलाइन में फ्रेंडली लेंडिंग पॉलिसी पर जोर दिया गया है। इसका मकदस लंबी अवधि के विकास लक्ष्यों को हासिल करना है।
  • आरबीआई के इस फैसले के बाद छोटे व सीमांत किसानों और समाज के कमजोर व वंचित तबके को बैंक से आसानी से लोन मिल सकेगा।
  • केंद्रीय बैंक ने विकास लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए स्टार्टअप्स को भी पीएसएल के दायरे में शामिल कर लिया गया है। इससे स्टार्टअप को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • अक्षय ऊर्जा सेक्टर के लिए कर्ज देने की सीमा बढ़ा दी है। इसमें सोलर पावर और कंप्रेस्ड बायो गैस प्लांट शामिल हैं।
  • बैंकों को छोटे व सीमांत किसानों को ज्यादा कर्ज देने का निर्देश भी दिया गया है। कमजोर तबके के लोगों को बैंक लोन दे ताकि उन्हें आर्थिक मदद मिल सके। 

 

स्टार्टअप को कारोबार चलाने में नहीं आएगी दिक्कत

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से प्रायॉरिटी सेक्टर में कृषि, एमएसएमई, शिक्षा, हाउसिंग, सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर समेत कई सेक्टर शामिल किए जाने से इस क्षेत्रों से जुड़े लोगों को फायदा होगा। वहीं कारोबारियों का मानना है कि इससे स्टार्टअप्स के सामने अब अपना कारोबार चलाने के लिए नकदी का संकट पैदा नहीं होगा।

आसानी से लोन मिल जाने से उनके पास पर्याप्त पूंजी उपलब्ध रहेगी जिससे वह नया कारोबार प्रारंभ कर सकेंगे। विश्लेषकों का कहना है कि स्टार्टअप्स को हमेशा एमएसएमई कैटेगरी में ही माना जाता था और उन्हें तीन साल का मुनाफा दिखाना होता था। लेकिन अब ये बाध्यता नहीं रहेगी, उन्हें कम दरों पर बैंकों से आसानी से कर्ज मिल सकेगा। इससे उनकी नकदी संबंधी समस्या का निदान हो सकेगा।
 

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