अब किसानों को मिल सकेगी गेहूं, धान सहित कई फसलों के 17 बॉयोफोर्टीफाइड बीजों की वैरायटी

Share Product Published - 19 Oct 2020 by Tractor Junction

अब किसानों को मिल सकेगी गेहूं, धान सहित कई फसलों के 17 बॉयोफोर्टीफाइड बीजों की वैरायटी

कृषि वैज्ञानिकों ने विकसित की पोष्टिकता से भरपूर बॉयोफोर्टीफाइड नई किस्में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में फूड एंड एग्रीकल्चर ऑरेनाइजेशन एफपीओ की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई गेहूं, धान सहित कई फसलों के 17 बीजों की वैरायटी को देश को समर्पित किया है। बताया जा रहा है कि जारी किए गए बीजों की वैरायटी अन्य बीजों के मुकाबले पोष्टिता से भरपूर है और ये किसानों और आम नागरिकों के लिए फायदेमंद साबित होगी। मीडिया में प्रकाशित खबरों के अनुसार पीएम मोदी ने इन 17 बॉयोफोर्टीफाइड बीजों की वैरायटी को देश समर्पित करते हुए कहा कि अब कुपोषण से निपटने के लिए महत्वपूर्ण दिशा में काम हो रहे हैं। अब देश में ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें पोष्टिक पदार्थ- जैसे प्रोटीन, आयरन, जिंक आदि होते हैं। मोटे अनाज- जैसे रागी, ज्वार, बाजरा, कोडो, झांगोरा, बार्री, कोटकी इन जैसे अनाज की पैदावार बढ़े, लोग अपने भोजन में इन्हें शामिल करें। उन्होंने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय बाजरा दिवस घोषित करने के भारत के प्रस्ताव को पूरा समर्थन दिया है। उन्होंने कुपोषण खत्म करने की दिशा में काम के लिए किसान, कृषि वैज्ञानिकों सहित आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता को बधाई दी और कहा कि यह इस आंदोलन के आधार हैं।

 

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यह है कृषि वैज्ञानिकों द्वारा जारी की गई 17 बायोफोर्टीफाइड नई किस्में

गेहूं : एचआई-1633, एचडी-3298, डीबीडब्ल्यू-303 और एमएसीएस-4058, चावल- सीआरधान-315, मक्का- एलक्यूएमएच-1, एलक्यूएमएच-3, रागी- सीएफएमवी-1, सीएफएमवी-2, सावा– सीएलएवी-1, सरसों- पीएम-32, 

मूंगफली : गिरनार-4, गिरनार-5 किस्में. रतालू- डीए-340 एवं श्रीनीलिमा नई किस्में जारी की गई हैं।

 


क्या होती है बॉयोफोर्टिफाइड किस्में

बायोफोर्टिफिकेशन, पादप प्रजनन द्वारा फसलों की पोषक गुणवत्ता बढ़ाने की तकनीक है। बायोफोर्टिफिकेशन साधारण फोर्टिफिकेशन से अलग है, क्योंकि इसमें फसलों को अधिक पौष्टिक बनाया जाता है। बायोफोर्टिफाइड तकनीक द्वारा फसलों की पोषकता में बढ़ोतरी होती है। वैज्ञानिक इन फसलों के विकास के दौरान उनके बीज में पोषक तत्व और विटामिन, जड़ द्वारा अवशोषित कर बायोफोर्टिफाइड कर रहे हैं।


फसलों पर ऐसे किया जाता है बायोफोर्टिफिकेशन

बायोफोर्टिफिकेशन तकनीक में परंपरागत पादप प्रजजन तकनीक से उच्च सूक्ष्म तत्व वाली किस्म का पता लगाया जाता है। इन किस्मों को उच्च उत्पादन देने वाली किस्म से संकरण करवाया जाता है। इससे इन किस्मों में उच्च उत्पादक गुणों के साथ-साथ उच्च मात्रा में सूक्ष्म पोषक तत्व और जरूरी विटामिन उपलब्ध हो सके, जो कि किसानों के लिए फायदेमंद हो सके।


ऐसे होता है बायोफोर्टिफिकेशन

हाल ही में जारी की गई बॉयोफोर्टीफाइड बीज की किस्मों से पहले भी कई किस्में जारी की गई हैं। हम यहां उदाहरण के तौर पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा इन नई किस्मों से पहले जारी की गई बीजों की किस्मों के द्वारा बायोफोर्टिफिकेशन की प्रक्रिया को इस तरह से समझ सकते हैं-
धान : विटामिन ए, फोलिक एसिड, अधिक आयरन गोल्डन राइस पहली बायोफोर्टिफाइड फसल है। संकरण तकनीक से धान में बीटा केरोटीन जीन डाला गया है। यदि रोजाना 40 ग्राम सुनहरा चावला पकाकर खाए जो अंधापन नहीं होगा।
मक्का : विटामिन, आयरन, प्रो-विटामिन, विटामिन ई पोषक जरूरतों को पूरा करने के लिए क्यूपीएम मक्का अच्छा विकल्प है। क्योंकि इसमें 3.3 से 4 ग्राम प्रति 100 ग्राम लाइसिन प्रोटीन पाया जाता है, जो साधारण मक्का से दोगुना है।


बॉयोफोर्टीफाइड किस्मों की विशेषताएं / लाभ

गेहूं और धान सहित अनेक फसलों के 17 नए बीजों की वैरायटी, देश के किसानों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। हमारे यहां अक्सर हम देखते हैं कि कुछ फसलों की सामान्य वैरायटी में किसी न किसी पौष्टिक पदार्थ या माइक्रो-न्यूट्रिएंट की कमी रहती है। इन फसलों की अच्छी वैरायटी, बॉयोफोर्टीफाइड वैरायटी, इन कमियों को दूर कर देती है, अनाज की पौष्टिकता बढ़ाती है। बीते वर्षों में देश में ऐसी वैरायटीज, ऐसे बीजों की रिसर्च और डवलपमेंट में काम हुआ है। आज अलग-अलग फसलों की 70 बॉयोफोर्टीफाइड किस्में किसानों को उपलब्ध हैं। इन वैरायटियों के इस्तेमाल से जहां किसानों को बेहतर उत्पादन मिलता है वहीं लोगों को पोष्टिकता से भरपूर भोजन। इस तरह ये नई किस्में किसानों व आम लोगों दोनों के लिए काफी फायदेमंद साबित होंगी।

 

 

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