Posted On - 29 Jul 2020
चंबल के बीहड़ों का नाम सुनते ही हमारे जहन में चंबल के डाकूओं की तस्वीर उभर कर सामने आ जाती है। चंबल के बीहड़ पहले इसी के लिए मशहूर थे। यहां पर डाकूओं का बसैरा हुआ करता था। इन चंबल के बीहड़ों की पहुंच पहले डाकूओं तक ही थी और इस पर कई फिल्में भी बनी।
पर अब समय के साथ-साथ न तो डाकू रहे और न ही इन डाकूओं का अब यहां बसैरा है। अब यह इलाका पूरी तरह शांत है। इस इलाके की अधिकांश भूमि उबड़-खाबड़ है जो कृषि योज्य नहीं है लेकिन हाल ही में सरकार द्वारा दिए गए वक्तव्य में इस इलाके को कृषि योज्य बनाने की बात कही गई है जो निश्चय ही इन बीहड़ों को हराभरा करने की एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मीडिया में दिए अपने वक्तव्य में बताया कि मध्य प्रदेश के ग्लावियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ इलाकों में जल्द फसलें लहलहाएंगी। केन्द्र सरकार इस इलाके को खेती योग्य बनाने जा रही है। उन्होंने कहा कि इस बारे में शुरुआती रिपोर्ट एक महीने में तैयार हो जाएगी। उन्होंने कहा कि शुरुआती रिपोर्ट तैयार होने के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ बैठक होगी। इसके बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
इस परियोजना के लिए विश्व बैंक से मदद ली जाएगी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि विश्व बैंक के प्रतिनिधि आदर्श कुमार के साथ वर्चुअल बैठक में यह फैसला हो चुका है। कुमार ने कहा कि विश्व बैंक मध्य प्रदेश में काम करने का इच्छुक है। इससे इस परियोजना को पूरा करने में सहयोग लिया जाएगा।
तोमर ने इस आनलाइन बैठक में कहा कि अभी तीन लाख हेक्टेयर से अधिक उबड़-खाबड़ जमीन खेती योग्य नहीं है। यदि इस क्षेत्र में सुधार किया जाता है, तो इससे ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ों के एकीकृत विकास में मदद मिलेगी। तोमर ने कहा कि इस परियोजना से सिर्फ कृषि विकास और पर्यावरण सुधार में ही मदद नहीं मिलेगी, बल्कि इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे जिससे क्षेत्र का उल्लेखनीय विकास होगा। तोमर ने कहा कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के बीहड़ों में विकास की काफी गुंजाइश है।
इस इलाके में चंबल एक्सप्रेसवे का निर्माण होगा। कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि प्रस्तावित परियोजना पर काम शुरू करने से पहले प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे, पूंजी लागत और निवेश जैसे सभी पहलुओं पर गौर किया जाएगा। उसके बाद न्यूनतम बजट आवंटन के साथ परियोजना पर काम शुरू होगा। बैठक में भाग लेते हुए कृषि उत्पादन आयुक्त के के सिंह ने कहा कि पुरानी परियोजना का पुनरूद्धार किया गया है और इसे कृषि मंत्री के निर्देशन में आगे बढ़ाया जाएगा।
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