Published - 11 Nov 2020
by Tractor Junction
दिल्ली-एनसीआर में इन दिनों आसमान में छाए प्रदूषण के लिए पराली को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। सरकारें तमाम प्रयासों से पराली से प्रदूषण को रोकने में जुटी हुई है। वहीं किसानों का कहना है कि पराली के अलावा अन्य कारणों से प्रदूषण फैल रहा है। प्रदूषण फैलाने में पराली की हिस्सेदारी आंकड़ों के अनुसार मात्र छह प्रतिशत है जबकि अन्य कारणों से प्रदूषण ज्यादा फैल रहा है। सरकार का ध्यान सिर्फ किसानों की पराली पर है अन्य कारणों पर नहीं। इस बीच देश के दो राज्यों से पराली से प्रदूषण रोकने के लिए महत्वपूर्ण खबर आई है। बिहार में पराली जलाने वाले किसान 3 साल तक सब्सिडी की योजनाओं से भविष्य में वंचित रह सकते हैं।
बिहार में प्रायोगिक तोर पर एक जिले में कृषि विभाग ने यह योजना शुरू की है। वहीं उत्तरप्रदेश में योगी सरकार ने दो ट्रॉली पराली सरकार को देने पर एक ट्रॉली गोबर खाद किसानों को देने का निर्णय किया है। प्रायोगिक तौर पर यह योजना दो जिलों में लागू की गई है और सरकार के निर्देश पर प्रशासन पराली खरीदकर किसानों को गोबर खाद दे चुका है। अब देखना यह है कि सबसे ज्यादा धान उत्पादक प्रदेशों में शामिल पंजाब और हरियाणा की सरकारें इन दो योजनाओं से सबक लेकर पराली जलाने को लेकर क्या नया निर्णय करती है।
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धान के प्रमुख उत्पादक राज्यों में बिहार भी शामिल है और बिहार में भी पराली से प्रदूषण की समस्या बढऩे लगी है। उत्तरप्रदेश, पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाया जा रहा है और पुलिस में मामले दर्ज किए जा रहे हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि किसानों को सजा देना व जुर्माना लगाना समस्या का समाधान नहीं है। सरकार को चाहिए कि वे पराली नहीं जलाने वाले किसानों से सब्सिडी दे। अब बिहार के पटना जिले में कृषि विभाग ने एक अहम निर्णय लिया है। प्रायोगिक तौरपर डुमरांव गांव में यह योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत फसल अवशेष या पराली जलाने पर किसानों को 3 साल तक सरकारी योजनाओं का अनुदान (सब्सिडी) नहीं दी जाएगी।
कृषि विभाग, बिहार का कहना है कि जो किसान खेतों में पराली जला रहे हैं, उनकी पहचान की जाएगी और उन किसानों को ऑनलाइन निबंधन को काली सूची में शामिल किया जाएगा। इससे उन्हें अनुदान का लाभ नहीं मिल पाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यहां किसानों को ऑनलाइन निबंधन से ही अनुदान का लाभ दिया जाता है, इसलिए पराली जलाने की सूचना पर संबंधित किसानों को योजनाओं से वंचित रखने में कोई परेशानी नहीं होगी। इस प्रकार पंचायत स्तर पर कृषि समन्वयक पराली जलाने वाले किसानों की सूची तैयार की जाएगी।
पराली जाने वाले किसानों को अनुदान से वंचित रखने के लिए जलाए गए फसल के रकबा का फोटो या दस्तावेज अपलोड करना होगा। इसके बाद ही किसान को अनुदान से वंचित किया जाएगा। इसके अलावा उसके पड़ौसी किसानों का नाम, मोबाइल नंबर भी देना होगा। कृषि समन्वयक को प्रमाणित करना होगा कि किसान ने अपने खेत में पराली जलाई है। इसके बाद कृषि पदाधिकारी द्वारा कृषि समन्वयक के रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया जाएगा और संबंधित किसान को तीन साल के लिए अनुदान (सब्सिडी) से वंचित रखने की प्रकिया पूरी होगी।
कृषि विभाग, बिहार द्वारा किसानों को डीजल, खाद, बीज, कृषि यांत्रिकीकरण समेत कृषि इनपुट अनुदान योजना, असमय वर्षा, आंधी या ओलाबृष्टि के कारण प्रभावित हुई फसलों के लिए अनुदान (सब्सिडी) प्रदान की जाती है। अब देखना यह है कि सरकार इस योजना पर कितनी तेजी से अन्य जिलों में अमल करती है।
पराली निस्तारण को लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों ने भी कुछ सार्थक प्रयास शुरू किए हैं। कई जगह किसानों ने सामूहिक रूप से निर्णय लेकर पराली को इस बार नहीं जलाया है। इस बीच यूपी के मुख्यमंत्र योगी आदित्यनाथ की ओर से एक सार्थक पहल शुरू की गई है। यूपी के कानपुर देहात और उन्नाव जिलों में सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन ने किसानों से लगभग 5 हजार क्विंटल पराली ली है। दो ट्रॉली पराली देने पर प्रशासन की ओर से एक ट्रॉली गोबर खाद नि:शुल्क दी जा रही है। इस पहल को काफी खास माना जा रहा है। यह पहल राष्ट्रीय स्तर पर नजीर बन सकती है। यूपी के इन 2 जिलों में प्रशासन ने किसानों से लगभग 5,000 क्विंटल पराली ली है। इनमें कानपुर देहात में किसानों से 3,000 क्विंटल और उन्नाव में 1675 क्विंटल से अधिक पराली ली गई है। इसके लिए किसानों को ग्रामीण स्तर पर जागरूक भी किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कानपुर देहात में लगभग 120 से अधिक गोशाला है और पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद भी उपलब्ध है।
हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा था कि ‘प्रिय किसान भाइयों, आपका प्रकृति एवं पर्यावरण से अभिन्न संबंध है। पराली का जलना पर्यावरण और हम सबके लिए बहुत हानिकारक है। आप अन्नदाता हैं, आपका कार्य जीवन को संबल देना है। आइए, पराली न जलाने व पर्यावरण के अनुकूल माध्यमों से उसके उत्पादक उपयोग का प्रण लें।’ इसके अलावा एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा था, कि ‘पराली जलाने से संबंधित कार्यवाही में किसान भाइयों के साथ कोई दुर्व्यवहार/उत्पीडऩ स्वीकार नहीं किया जाएग। इस ट्वीट के बाद पराली न जलाने का असर दिखना शुरू हो गया है।
दिल्ली-एनसीआर सहित देश के कई हिस्सों में पराली से प्रदूषण की बढ़ती समस्या के बाद सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने पराली जलाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है। ऐसे में कई प्रदेशों में सरकारों द्वारा संवेदनशीलता दिखाते हुए किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जा रही है। किसानों को पराली निस्तारण कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है, जिससे पराली को आसानी से निस्तारित किया जा सकता है। इन पर सरकार की तरफ से 50 से 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।
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