Published - 16 Aug 2021 by Tractor Junction
भारत के किसान कृषि के साथ पशुपालन करते हैं। पशुपालन उनकी आजीविका का मुख्य आधार है। किसान दुधारू पशुपालन से देश के लोगों को शुद्ध दूध उपलब्ध कराते हैं। कई बार किसानों के दुधारू पशुओं की प्राकृतिक आपदा जैसे बीमारी, बाढ़, बिजली गिरने आदि कारणों से मौत हो जाती है और उसे बड़ा नुकसान हो जाता है। लेकिन अब किसानों को दुधारू पशुओं की मौत पर घबराने की जरुरत नहीं है। सरकार की नीतियों से पशुपालक किसानों को दुधारू पशुओं की मौत पर मुआवजा मिलेगा। सरकार की ओर से गाय और भैंस की मौत पर 30 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाता है। इस राशि से किसान नया पशु खरीद सकते हैं। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में किसान भाइयों को दुधारू पशुओं की मौत पर मुआवजे के बारे में संपूर्ण जानकारी दी जाएगी।
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आपको बता दें कि देश की 20वीं पशुधन गणना रिपोर्ट के अनुसार गायों और भैंसों में कुल दुधारू पशुओं की संख्या 125.34 मिलियन है, जो समय के साथ लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में बिहार में मानसून सीजन में बाढ़ आई हुई है। कई जिलों में किसानों के दुधारू पशुओं की बाढ़ में डूबने से मौत के समाचार है। बिहार में किसानों को राहत देने के लिए बिहार पशु एवं मत्स्य पालन विभाग की ओर से योजना संचालित है। योजना के तहत दुधारू पशुओं की मौत पर किसानों को मुआवजा राशि प्रदान की जाएगी। योजना के अनुसार दुधारू पशुओं की संक्रामक रोग और अप्राकृतिक कारणों से मौत पर किसानों और पशुपालकों को मुआवजा दिया जाता है। इस योजना से बिहार के किसानों को बहुत फायदा मिलता है।
बिहार में पशुओं की मौत पर अनुदान योजना के तहत मुआवजा राशि तय है। यह मुआवजा राशि अलग-अलग पशुओं के लिए अलग-अलग है। बिहार सरकार के पशुपालन विभाग के अनुसार दुधारू पशु की मौत पर 30 हजार की सहायता राशि दी जाएगी। यह राशि अधिकतम तीन पशुओं की मौत पर प्रदान की जाती है। दुधारू पशुओं की श्रेणी में गाय और भैंस शामिल है।
बिहार में सरकार की ओर से भार वाहक पशुओं की मौत पर 25 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाता है। भार वाहन पशुओं मेें भार ढोने वाले पशुओं जैसे ऊंट, घोड़ा और बैल शामिल है। इसके अलावा योजना के तहत गधा, बछड़ा, खच्चर और टट्टू की मौत होने पर 16 हजार रुपए का मुआवजा पशुपालकों को दिया जाता है। यह राशि अधिकतम छह पशुओं पर मिलती है। योजना के अंतर्गत मांस उत्पादक पशुओं की मौत होने पर भी मुआवजा मिलता है। यह मुआवजा दो श्रेणी व्यस्क और अव्यस्क में मिलता है। व्यस्क श्रेणी में बकरी, भेड़, और सूकर की मौत पर प्रति पशु तीन हजार रुपए, जबकि नौ महीने से कम उम्र के अव्यस्क भेड़, बकरी और सूकर की मौत पर एक हजार रुपए के मुआवजे का प्रावधान है। योजना का लाभ एक परिवार अधिकतम 30 बड़े पशुओं पर उठा सकता है।
बिहार में दुधारू पशुओं की मौत अगर निर्धारित कारणों से होती है तो किसानों और पशुपालकों को नियमानुसार सहायता उपलब्ध कराई जाती है। पशुओं की मौत प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ या वज्रपात, अन्य कारण जैसे कुत्ता के काटने, सांप काटने, जगंली जानवरों के काटने या फिर सडक़ दुर्घटना में होती है तो सरकार की ओर से मुआवजा राशि उपलब्ध कराई जाती है।
योजना के तहत दुधारु पशुओं की मौत के बाद मौत के कारणों की पुष्टि की जाती है। पुष्टि होने के बाद किसानों व पशुपालकों को मुआवजा राशि का लाभ दिया जाता है। इसके लिए किसान और पशुपालक को एक फार्म भरना होगा जो संबंधित खंड के बीडीओ अथवा वहां के सरकारी पशु डॉक्टर द्वारा लिया जाएगा। इस प्रक्रिया के बाद पशु की मौत की पुष्टि होगी। मौत से संबंधित कारण की पुष्टि होने पर पशुपालक को मुआवजा राशि का भुगतान DBT/RTGS/NEFT के माध्यम से किया जाता है।
बिहार में सरकार दुधारू पशुओं की मौत के बाद किसान व पशुपालक को मुआवजा राशि देकर नया पशु खरीदने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। किसान व पशुपालक संबंधित पशु चिकित्सालय , जिला पशुपालन कार्यालय या पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्था, बिहार, पटना से संपर्क कर सकते हैं। साथ ही संस्थान के फोन नंबर 0612-2226049 पर अधिक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
बिहार में बाढ़ में डूबकर मवेशियों की मौत पर पशुपालन विभाग की ओर से मुआवजा दिया जाएगा। बिहार के पशुपालन व मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश् सहनी की मीडिया में प्रकाशित रिपोट्र्स के अनुसार मुआवजे के लिए पशुपालकों को विभाग की साइट पर आवेदन करना होगा। ऑनलाइन आवेदन व पशु की तस्वीर सहित अन्य जरूरी कागजात जमा कराने के बाद पशुपालकों को आपदा के तहत सरकार से नियमानुसार मदद मिलेगी। साथ ही बाढ़ में मवेशियों की मौत के अलावा बाढ़ में मछुआरों के जाल फटने और नाव टूटने पर भी सरकारी मदद मिलेगी।
पशुओं की मौत के बाद पशुपालकों को मुआवजे के संबंध में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की ओर से आदेश जारी किए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि संक्रामक रोग के प्रकोप से अधिक संख्या में पशुओं की अप्राकृतिक मौत होती है। इससे पशुपालकों को भारी आर्थिक क्षति पहुंचती है। इस योजना का उद्देश्य पशुपालकों को ऐसी स्थिति में होने वाले नुकसान की भरपाई करना है। किसान भाइयों को जानकारी के लिए बता दें कि प्राकृतिक आपदा से होने वाली मौत पर आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से किसानों व पशुपालकों को मुआवजा देने का प्रावधान है। इसके तहत डीएम के माध्यम से जांच के बाद भारत सरकार की ओर से निर्धारित दर पर नियमानुसार मुआवजा उपलब्ध कराया जाता है। अब प्राकृतिक आपदा के अलावा अन्य कारणों से पशुओं की अधिक संख्या में मौत पर भी मुआवजा मिल सकेगा।
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