Posted On - 04 Nov 2020
राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानून के विरोध में नया कृषि बिल पारित कर दिया है। इससे पहले पंजाब व छत्तीसगढ़ ने अपने कृषि बिल बनाए हैं। हालांकि इसको अभी राष्ट्रपति की मंजूरी मिलना बाकी है। राष्ट्रपति की मंजूरी होने पर ही ये बिल राज्य में प्रभावित हो पाएंगे। बता दें कि केंद्रीय कृषि कानूनों को निष्प्रभावी बनाने एवं किसान हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा नए कृषि कानून बनाने के लिए विशेष सत्र का आहवान किया गया था। केंद्रीय अधिनियम 5 जून 2020 से लागू किए गए है लेकिन राजस्थान सरकार द्वारा बनाए गए राजस्थान ऐमनडेट्स के साथ उस तिथि को लागू किए जाएंगे जब भी सरकार द्वारा इसे नोटिफाई किया जाएगा।
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मीडिया में प्रकाशित समाचारों के अनुसार केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने केंद्र की ओर से लागू किए गए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ कांग्रेस शासित राज्य पंजाब और छत्तीसगढ़ के बाद अब राजस्थान सरकार द्वारा पारित बिल को किसान विरोधी और देश विरोधी बताया है। केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने और खेती किसानी को लाभ का सौदा बनाने के उद्देश्य से लाए कृषि सुधार कानूनों के क्रियान्वयन की राह में रोड़े पैदा करके कांग्रेस अपनी किसान विरोधी सोच को प्रदर्शित कर रही है। चौधरी ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अपने नए बिलों में मंडी के बाहर किसानों से उनकी मर्जी और मनपसंद रेट पर धान खरीदने वाली कोई कंपनी या कॉरपोरेट व्यापारी पर इतनी भारी सजा और जुर्माने का प्रावधान किया है कि कोई भी ऐसा करने की जोखिम नहीं उठाएगा। इससे किसान को अपनी मनपसंद जगह और रेट पर धान बेचने का एकमात्र विकल्प वापस एपीएमसी मंडी ही रह जाएगा। किसानों के इस सीमित विकल्प और मजबूरी का फायदा दलाल उठाएंगे।
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