Published - 06 Nov 2020 by Tractor Junction
सरसों के रिकॉर्ड तोड़ भावों ने इस बार किसानों में जोरदार कमाई की उम्मीद जगाई है। किसानों की उम्मीदों को सरकार की नीतियों का सहयोग भी मिलता दिख रहा है। देश-दुनिया का मौसम भी सरसों की कीमतों में तेजी का कारण बन सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया भर में मौसम की मार और पाम तेल उत्पादक देशों में श्रमिकों की कमी और अन्य व्यवधानों से खाद्य तेल की कीमतों में तेजी अभी बनी रहेगी। देश में पिछले कुछ महीनों के दौरान खाद्य तेल की कीमतों में करीब 40 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई है। नए साल से पहले खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट की उम्मीद नहीं है।
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खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी की सबसे बड़ी वजह खाद्य तेल की कम सप्लाई है। तेल उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार कई देशों में कोरोना महामारी के दौरान सरकार ने लिक्विडिटी बढ़ाने के उपाय किए हैं। इससे काफी पैसा कमोडिटी में गया है, जिससे कीमतों में तेजी आई है। देश में सरसों की भारी कमी है और पिछले कुछ महीनों के दौरान कीमतों में 40-50 फीसदी तक की वृद्धि देखी गई है। एनसीईडीएक्स वायदा व्यापार में भी सरसों के भाव 6300 रुपए प्रति क्विंटल चल रहे हैं और भविष्य में भी तेजी बताई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि भारत खाद्य तेलों की अपनी घरेलू आवश्यकता का लगभग 70 प्रतिशत आयात करता है। उद्योग और सरकार दोनों अब सरसों की तेजी के बाद उम्मीद कर रहे हैं कि किसान गेहूं की जगह सरसों की खेती ज्यादा करेंगे। हालांकि, केंद्र सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर और आयात की सुविधा देकर महंगाई के रुझानों पर लगाम की कोशिश की है। लेकिन खाद्य तेलों के मामले में वह ज्यादा सावधानी बरत रही है।
साल 2020 में सरसों के भाव 8 साल में सबसे अधिक बने हुए हैं। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने मस्टर्ड ऑयल में किसी भी प्रकार की मिलावट को प्रतिबंधित किया हुआ है। जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को 100 फीसदी शुद्ध सरसों का तेल उपलब्ध कराना है। सरसों के तेल में आम तौर पर पॉम ऑयल की मिलावट की जाती है, जिसका 90 फीसदी हिस्सा आयात होता है। शुद्ध सरसों के तेल की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए एफएसएसएआई द्वारा जारी आदेश ने सरसों की मांग में बढ़ोतरी की है जिसकी वजह से भी सरसों की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। इसके अलावा त्यौहारी सीजन के कारण भी सरसों के तेल की मांग बढ़ी है। सरसों के तेल में एक खास औषधीय गुण होता है कि यह बेहतर इम्यूनिटी बूस्टर है। इस वजह से भी कोविड 19 के दौर में इसकी मांग तेजी से बढ़ी है। ठंड में भी सरसों का तेल जमता नहीं है, इसलिए भी सर्दियां आने के पहले इसकी मांग बढ़ी है।
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