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मानसून की मेहरबानी से आएगी खुशहाली, खरीफ फसल का रकबा बढ़ा

Share Product Published - 24 Sep 2020 by Tractor Junction

मानसून की मेहरबानी से आएगी खुशहाली, खरीफ फसल का रकबा बढ़ा

पिछले साल से 1.5 प्रतिशत ज्यादा है निर्धारित लक्ष्य, लक्ष्य प्राप्त होने पर निर्यात बढऩे की उम्मीद

इस साल बेहतर मानसून से अच्छी बारिश होने से खरीफ की बुवाई का रकबा बढ़ गया। इस दौरान किसानों ने पिछले साल की अपेक्षा अधिक क्षेत्रफल में खरीफ की बुवाई की और मानसून भी मेहरबान रहा जिससे खरीफ की फसल अच्छी होने की उम्मीद जताई जा रही है। इससे खरीफ फसल का उत्पादन बढ़ेगा और इससे निर्यात भी बढ़ेगा। फसल वर्ष 2020-21 के लिए 30.1 करोड़ टन के खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है जो पिछले साल की करीब 1.5 प्रतिशत ज्यादा है। इस तरह ये देश के लिए खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होने की दृष्टि से एक सुखद उम्मीद है। हाल ही में रबी अभियान 2020 के लिए आयोजित आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सम्मेलन में फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) के लिए यह लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह सम्मेलन खरीफ मौसम की बुवाई (गर्मी की बुवाई) की प्रगति की समीक्षा करने और रबी फसलों की योजना के लिए आयोजित किया गया था।

 

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किस फसल का कितना लक्ष्य किया निर्धारित

सम्मेलन में विभिन्न फसलों का लक्ष्य निर्धारित किया गया जो इस प्रकार है -

  • धान उत्पादन के लिए 11.96 करोड़ टन का लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले वर्ष 11 करोड़ 84 लाख टन था।
  • गेहूं उत्पादन के लिये 10 करोड़ 80 लाख टन का लक्ष्य तय किया गया है जो कि पिछले साल 10.76 करोड़ टन रहा था।
  • मोटे अनाज का उत्पादन लक्ष्य, पिछले वर्ष के 4 करोड़ 74 लाख 80 हजार टन के मुकाबले लगभग चार करोड़ 78 लाख टन रखा गया है।
  • दलहन उत्पादन का लक्ष्य वर्ष 2019-20 में दो करोड़ 31 लाख 50 हजार टन के उत्पादन के मुकाबले 2.56 करोड़ टन तय किया गया है।
  • तिलहन का उत्पादन पहले के तीन करोड़ 34 लाख टन के मुकाबले इस बार 3.70 करोड़ टन रखा गया है।

 


इस साल हुई 46 लाख हेक्टेयर ज्यादा बुवाई

सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि इस साल 11 सितंबर तक खरीफ फसलों की बुवाई 1,113 लाख हेक्टेयर में हुई है जो सामान्य रकबे से 46 लाख हेक्टेयर अधिक है। तोमर ने कहा कि सरकार कृषि के बुनियादी ढांचे और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए क्रांतिकारी कदम उठा रही है। हाल में, कृषि-उद्यमी, किसान संघ और स्थानीय सरकारी एजेंसियों द्वारा शीत भंडारगृहों, भंडारगृहों, पैकेजिंग, पकने और वैक्सिंग संयंत्रों की सुविधाएं खड़ी करने को चार साल के लिए एक लाख करोड़ रुपये की कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) योजना शुरू की गई है।


पांच वर्षों में 100 लाख हेक्टेयर को सूक्ष्म सिंचाई के दायरे में लाने का लक्ष्य

मंत्री तोमर ने बताया कि सरकार ने सूक्ष्म सिंचाई के तहत पांच वर्षों में 100 लाख हेक्टेयर को सिंचाई के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा है। नाबार्ड के साथ मिलकर सूक्ष्म सिंचाई के विस्तार के लिए 5,000 करोड़ रुपए का समर्पित सूक्ष्म सिंचाई कोष (एमआईएफ) बनाया गया है। वर्ष 2019-20 में, ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली को अपनाने से लगभग 11 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान देश में सूक्ष्म सिंचाई के तहत 47.92 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को लाया गया है, जिसमें वर्ष 2019-20 के लिए 11.72 लाख हेक्टेयर शामिल है जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

 

 

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