Posted On - 13 Mar 2021
उत्तर प्रदेश में 1 अप्रैल 2021 से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद शुरू की जानी है। इसे लेकर राज्य सरकार ने मंडियों में इंतजाम किए हैं। इन इंतजामों में किसानों को कोई असुविधा न हो इस बात का ध्यान रखा गया है। इसके लिए मुख्यमंत्री द्वारा पहले ही अधिकारियों को निर्देश दिए जा चुके हैं। बता दें कि यूपी में एक अप्रैल से 15 जून तक गेहूं की खरीद की जाएगी। इस वर्ष खाद्य विभाग व अन्य क्रय एजेंसियों समेत कुल 6,000 क्रय केन्द्र प्रस्तावित हैं, जहां किसानों से गेहूं की खरीद की जाएगी। यह खरीद केन्द्र प्रात: नौ बजे से सायं छह बजे तक खुलेंगे। इस रबी सीजन के दौरान प्रदेश में 55.00 लाख मीट्रिक टन गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद होने का अनुमान है।
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देश भर में केंद्र सरकार के द्वारा 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है, इस भाव पर ही राज्य सरकारों के द्वारा खरीदी की जाती है। केंद्र तथा राज्य की एजेंसियां इस रेट पर खरीदी करती है। राज्य में गेहूं की खरीदी केंद्र सरकार के द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपए प्रति क्विंटल है।
उत्तर प्रदेश के खाद्य आयुक्त मनीष चौहान ने मीडिया को बताया कि गेहूं की बिक्री के लिए किसानों को खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट पर पंजीकरण कराना जरूरी है, जिसकी शुरुआत कर दी गई है। किसान स्वयं अथवा साइबर कैफे व जन-सुविधा केन्द्र के माध्यम से पंजीकरण करा सकते हैं।
खाद्य आयुक्त ने मीडिया को बताया कि किसानों की सुविधा के लिए इस वर्ष ऑनलाइन टोकन की व्यवस्था की गई है। इसके तहत किसान अपनी सुविधा के अनुसार क्रय केंद्र पर गेहूं की बिक्री हेतु स्वयं टोकन प्राप्त कर सकेगें। उन्होंने बताया कि क्रय केन्द्रों की रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर के माध्यम से जियो टैगिंग की जा रही है। इससे किसानों को क्रय केंद्र की लोकेशन व पते की जानकारी प्राप्त करने में आसानी रहेगी। चौहान ने मीडिया को बताया कि पारदर्शी खरीद के उद्देश्य से इस वर्ष गेहूं की खरीद इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ परचेज के माध्यम से की जाएगी। इसके तहत किसानों का अंगूठा लगाकर आधार प्रमाणीकरण करते हुए खरीद की जाएगी।
उन्होंने मीडिया को बताया कि किसानों की सुविधा के लिए इस वर्ष नामिती की भी व्यवस्था की भी गई है। यदि कोई किसान क्रय केंद्र पर स्वयं आने में असमर्थ है तो वह अपने परिवार के सदस्य को नामित कर सकता है। नामित सदस्य का उल्लेख पंजीकरण प्रपत्र में करना होगा। इस नामित सदस्य का भी आधार प्रमाणीकरण कराया जाएगा।
खाद्य आयुक्त ने बताया कि 100 क्विंटल तक गेहूं विक्रय करने पर किसानों को सत्यापन कराना जरूरी नहीं होगा। लेकिन 100 क्विंटल से अधिक गेहूं की मात्रा होने पर, चकबंदी अंतर्गत गांव तथा बटाईदारों का सत्यापन उप-जिलाधिकारी द्वारा किया जाएगा। यदि किसान द्वारा सीलिंग एक्ट द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक भूमि पर गेहूं की उपज की बिक्री हेतु पंजीकरण किया जाता है तो इसका सत्यापन जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी।
उन्होंने बताया कि किसान का गेहूं यदि केंद्र प्रभारी द्वारा अस्वीकृत कर दिया जाता है तो तहसील स्तर पर कार्यरत क्षेत्रीय विपणन अधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति के समक्ष किसान अपील कर सकता है।
रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक दस्तावेज
किसानों को गेहूं फसल विक्रय करने के लिए पंजीकरण करना जरूरी होगा। इसके लिए किसान के पास खसरा-खतौनी व आधार कार्ड की फोटो कॉपी, अपने खेत का राजस्व अभिलेख से संबंधित जानकारी से संबंधित प्रपत्र, बैंक अकाउंट पासबुक, मोबाइल नंबर और अपना पासपोर्ट साइज फोटो चाहिए होगा।
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