Posted On - 07 Apr 2021
मध्य प्रदेश में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी प्रारंभ हो गई है। कोरोना संक्रमण की स्थितियों को देखते हुए किसी भी केंद्र पर 20 से ज्यादा किसानों की एक समय में मौजूदगी पर रोक लगाई गई है। वहीं, भुगतान में किसी प्रकार की समस्या न हो, इसलिए खरीद सप्ताह में पांच दिन होगी। दो दिन हिसाब-किताब होगा और परिवहन की व्यवस्था की जाएगी। गर्मी को देखते हुए उपार्जन केंद्रों में किसानों के बैठने के लिए छांव और पानी का इंतजाम रखने के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों से कहा है कि किसानों को किसी भी प्रकार की समस्या न आए। प्रदेश में समर्थन मूल्य 1,975 रुपए प्रति क्विंटल पर गेहूं बेचने के लिए 24 लाख से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया है। इंदौर और उज्जैन संभाग में खरीद प्रारंभ हो गई है। नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक श्री अभिजीत अग्रवाल ने बताया कि किसानों से उपज बेचने के लिए तीन तारीखें ली गई हैं।
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इस बार 4200 से अधिक खरीद केन्द्र रखे गए हैं। इसमें से 1108 गोदामों के पास हैं। मंडी में 244, सायलो के पास 143 और प्राथमिक साख सहकारी समिति में 2616 खरीद केन्द्र बनाए गए हैं। अभी तक सात हजार किसानों की गेहूं खरीदी के एसएमएस जारी किए जा चुके हैं।
किसानों को फसल बेचने से लेकर भुगतान तक में कोई समस्या न हो, इसका इंतजाम सरकार ने किया। इसके बाद भी यदि कोई समस्या आती है तो किसान टोल फ्री सीएम हेल्प लाइन नंबर 181 पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। वहीं, उपार्जन के काम से जुड़ी समस्या के समाधान के लिए राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसका नंबर 0755-2551471 है।
मीडिया से मिली जानकारी के हवाले से इस वर्ष समर्थन मूल्य पर गेहूं की सरकारी खरीद में सरकार को गेहूं का भंडारण करने की समस्या आ सकती है। बता दें कि कई गोदामों में गत वर्ष के गेहूं का उठाव अभी तक नहीं हुआ है। मालवा-निमाड़ अंचलों के गोदामों में वर्ष 2019-20 के सरप्लस गेहूं का उठाव अब तक नहीं हुआ है। साठ लाख टन पुराना गेहूं जो अभी भी गोदामों में रखा हुआ है। राज्य सरकार के प्रयासों के बाद भी केन्द्र सरकार ने पुराने या सरप्लस 2019-20 का गेहूं का उठाव नहीं किया। ऐसे हालात में नया गेहूं फिर खुले स्थान पर कैंप में रखना पड़ सकता है। हालांकि विभाग दावा कर रहा है कि उसने तैयारी कर ली है। ज्यादा से ज्यादा निजी गोदामों को अनुबंधित किया गया है। इस बीच जो पुराना गेहूं गोदामों में रखा है, उसकी कीमत ही 13 हजार करोड़ के करीब है। यह राशि तब तक उलझी रहेगी, जब तक केन्द्र सरकार उसे नहीं लेती। क्योंकि सरप्लस गेहूं को लेने के बाद ही म.प्र. को केन्द्र से गोदामों में रखे गेहूं का क्लेम मिलेगा।
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यदि किसानों को समर्थन मूल्य से अधिक कीमत मिले तो ही वे अपना उत्पाद बाजार में बेचें। वे मध्यप्रदेश सरकार का एक वर्ष पूर्ण होने पर मिंटों हाल में आयोजित राज्य स्तरीय मिशन अर्थ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने साथ ही कहा कि कोरोना की कठिन परिस्थितियों में किसान की कर्मठता ही अर्थव्यवस्था का आधार बनी है। प्रदेश में पिछले साल हुए अनाज के भरपूर उत्पादन ने प्रदेश ही नहीं देश को मजबूती प्रदान की। राज्य सरकार किसान की आय को दोगुनी करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। खेती-पशुपालन- उद्यानिकी- मछली पालन- सहकारिता को समग्रता में लेकर फसलों के विविधीकरण, फूड प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और सही मार्केटिंग से हमारे प्रदेश के उत्पाद देश ही नहीं दुनिया में धूम मचाएंगे।
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