Published - 09 Sep 2021 by Tractor Junction
किसानों के लिए एक खुशखबर आई है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए रबी की 6 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि एमएसपी तय कर दिया है। जानकारी के अनुसार गेहूं पर 40 रुपए और सरसों पर 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। इसके अलावा सरसों के समान ही मसूर पर के एमएसपी पर भी 400 रुपए की बढ़ोतरी की गई हैं। सबसे अधिक बढ़ोतरी सरसों और मसूर में की गई है। सरकार का मानना है कि बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों को काफी फायदा होगा।
भारत सरकार के प्रेस इनफोमेशन ब्यूरो की ओर से जारी किए प्रेस नोट के अनुसार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने रबी विपणन सीजन (आरएमएस) 2022-23 के लिए सभी रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी करने को मंजूरी दे दी है। सरकार ने आरएमएस 2022-23 के लिए रबी फसलों की एमएसपी में इजाफा कर दिया है, ताकि किसानों को उनके उत्पादों की लाभकारी कीमत मिल सके। पिछले वर्ष के एमएसपी में मसूर की दाल और कैनोला (रेपसीड) तथा सरसों में उच्चतम संपूर्ण बढ़ोतरी (प्रत्येक के लिए 400 रुपए प्रति क्विंटल) करने की सिफारिश की गई है। इसके बाद चने (130 रुपये प्रति क्विंटल) को रखा गया है। पिछले वर्ष की तुलना में कुसुम के फूल का मूल्य 114 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है। कीमतों में यह अंतर इसलिए रखा गया है, ताकि भिन्न-भिन्न फसलें बोने के लिए प्रोत्साहन मिले।
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केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2022-23 के लिए रबी की 6 फसलों का एमएसपी तय किया गया है। इन फसलों के एमएसपी पर सरकार की ओर से जो बढ़ोतरी की गई है, वे इस प्रकार से हैं-
फसल | बढ़ोतरी | भाव/क्विंटल |
गेहूं | 40 रुपए | 2,015 रुपए |
जौ | 35 रुपए | 1,635 रुपए |
चना | 130 रुपए | 5,230 रुपए |
मसूर | 400 रुपए | 5,500 रुपए |
सरसों | 400 रुपए | 5,050 रुपए |
सूरजमुखी | 114 रुपए | 5,441 रुपए |
नए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से किसानों को कितना लाभ
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए जारी किए गए समर्थन मूल्य से किसानों को रबी की छह फसलों पर लागत पर 50 से लेकर 100 फीसदी तक फायदा होगा। इसे नीचे दी गई लिस्ट में देखा जा सकता है-
फसल | कुल लागत/क्विंटल* | लागत पर लाभ |
गेहूं | 1,008 रुपए | 100 फीसदी |
सरसों | 2,500 रुपए | 100 फीसदी |
मसूर | 3,100 रुपए | 79 फीसदी |
चना | 3,050 रुपए | 74 फीसदी |
जौ | 1,050 रुपए | 60 फीसदी |
सूरजमुखी | 3,600 रुपए | 50 फीसदी |
वर्ष 2021-22 और 22-23 का तुलनात्मक अध्ययन करें तो पता चलता है कि सरकार की ओर से घोषित किए एमएसपी में गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सबसे कम 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई हैं। वहीं सरसों पर 8.6 प्रतिशत बढ़ोतरी की गई है।
फसल | एमएसपी वर्ष 2021-22 | एमएसपी वर्ष 2022-23 |
गेहूं | 1975 रुपए प्रति क्विंटल | 2015 रुपए प्रति क्विंटल |
जौ | 1600 रुपए प्रति क्विंटल | 1635 रुपए प्रति क्विंटल |
चना | 5100 रुपए प्रति क्विंटल | 5230 रुपए प्रति क्विंटल |
मसूर | 5100 रुपए प्रति क्विंटल | 5500 रुपए प्रति क्विंटल |
सरसों- रेपसीड | 4650 रुपए प्रति क्विंटल | 5050 रुपए प्रति क्विंटल |
सूरजमुखी | 5327 रुपए प्रति क्विंटल | 5441 रुपए प्रति क्विंटल |
कैसे तय किया गया है नया एमएसपी
* उपरोक्त लिस्ट में जहां कुल लागत का उल्लेख किया गया है, जिसमें चुकाई जाने वाली कीमत शामिल है, यानी मजदूरों की मजदूरी, बैल या मशीन द्वारा जुताई और अन्य काम, पट्टे पर ली जाने वाली जमीन का किराया, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई शुल्क, उपकरणों और खेत निर्माण में लगने वाला खर्च, गतिशील पूंजी पर ब्याज, पम्प सेटों इत्यादि चलाने पर डीजल/बिजली का खर्च इसमें शामिल है। इसके अलावा अन्य खर्च तथा परिवार द्वारा किए जाने वाले श्रम के मूल्य को भी इसमें रखा गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की गई बढ़ोतरी को लेकर कहा गया है कि आरएमएस 2022-23 के लिए रबी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी केंद्रीय बजट 2018-19 में की गई घोषणा के अनुरूप है, जिसमें कहा गया कि देशभर के औसत उत्पादन को मद्देनजर रखते हुए एमएसपी में कम से कम डेढ़ गुना इजाफा किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को तर्कसंगत और उचित कीमत मिल सके। किसान खेती में जितना खर्च करता है, उसके आधार पर होने वाले लाभ का अधिकतम अनुमान किया गया है। इस संदर्भ में गेहूं, कैनोला व सरसों (प्रत्येक में 100 प्रतिशत) लाभ होने का अनुमान है। इसके अलावा दाल (79 प्रतिशत), चना (74 प्रतिशत), जौ (60 प्रतिशत), कुसुम के फूल (50 प्रतिशत) के उत्पादन में लाभ होने का अनुमान है।
पिछले कुछ वर्षों से तिलहन, दलहन, मोटे अनाज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में एकरूपता लाने के लिये संयुक्त रूप से प्रयास किए जाते रहे हैं, ताकि किसान इन फसलों की खेती अधिक रकबे में करने के लिए प्रोत्साहित हों। इसके लिए वे बेहतर प्रौद्योगिकी और खेती के तौर-तरीकों को अपनायें, ताकि मांग और आपूर्ति में संतुलन पैदा हो। इसके साथ ही केंद्र द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय खाद्य तेल-पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) योजना को भी सरकार ने हाल में घोषित किया है। इस योजना से खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन बढ़ेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी। इस योजना के लिये 11,040 करोड़ रुपए रखे गए हैं, जिससे न सिर्फ रकबा और इस सेक्टर की उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि आय बढऩे से किसानों को लाभ मिलेगा तथा अतिरिक्त रोजगार पैदा होंगे।
किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी के लिए कई योजनायें चलाई जा रही है। इन योजनाओं तहत देश भर के किसानों से विभिन्न फसलों की खरीद सरकार की ओर से की जाती है। जैसे- ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (पीएम-एएएसएचए) नामक ‘अम्ब्रेला स्कीम’ की घोषणा सरकार ने 2018 में की थी। इस योजना से किसानों को अपने उत्पाद के लिए लाभकारी कीमत मिलेगी। इस अम्ब्रेला स्कीम में तीन उप-योजनाएं शामिल हैं, जैसे मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (पीडीपीएस) और निजी खरीद व स्टॉकिस्ट योजना (पीपीएसएस) को प्रायोगिक आधार पर शामिल किया गया है।
मीडिया में प्रकाशित जानकारी के आधार पर पीएम मोदी ने नए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि किसान भाइयों और बहनों के हित में सरकार ने आज एक और बड़ा निर्णय लेते हुए सभी रबी फसलों की एमएसपी में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। इससे जहां अन्नदाताओं के लिए अधिकतम लाभकारी मूल्य सुनिश्चित होंगे, वहीं कई प्रकार की फसलों की बुआई के लिए भी उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा।
इधर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आज गेहूं समेत रबी की कई फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 40 रुपए से लेकर 400 रुपए तक की वृद्धि की गई है। यह निर्णय प्रमाण है कि एमएसपी की व्यवस्था पर कोई आंच नहीं आने वाली बल्कि उसमें वृद्धि भी जारी रहेगी।
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