Published - 02 Jul 2020 by Tractor Junction
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अपने-अपने गांव लौटे प्रवासी मजदूरों ने अपने खेतों में परिवार के साथ खेती के काम में हाथ बंटाना शुरू किया। इसका परिणाम यह हुआ कि अच्छे मानसून और श्रम की उपलब्धता के कारण इस साल खरीफ फसलों की बुवाई की रफ्तार में तेजी आई है। इस साल खरीफ फसलों की बुआई पिछले साल के मुकाबले दुगुनी गति से हो रही है।
इस साल 25 जून तक 316 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई की जा चुकी है। अच्छे मानसून और गांवों में श्रमिकों की उपलब्धता को इसकी मुख्य वजह बताई जा रही है। कोविड-19 संकट की वजह से शहर छोडक़र गांव गए ज्यादातर लोग खेती के कार्य में जुटे हुए हैं। ऊपर से डीजल की महंगाई के बीच हुई अच्छी बारिश ने बुआई में और तेजी ला दी। केंद्रीय कृषि सचिव संजय अग्रवाल के मुताबिक पिछले वर्ष अब तक 154 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी, जबकि इस साल 316 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।
इसमें ग्रीष्मकालीन चावल का बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष अब तक करीब 37.71 लाख हेक्टेयर है। वहीं दलहन का बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष अब तक करीब 19.40 लाख हेक्टेयर, मोटे अनाज का 47.96 लाख हक्टेयर, तिलहन का 83.31 लाख हेक्टेयर, गन्ने का 49.69 लाख हेक्टेयर तथा कपास का बुवाई कवरेज क्षेत्र इस वर्ष अब तक करीब 71.69 लाख हेक्टेयर है। यह गणना 25 जून तक तक की है। इस तरह सभी खरीफ फसलों की बुवाई का कवरेज क्षेत्र इस बार पिछले साल की तुलना में काफी बढ़ा है।
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