महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म का असर

Share Product Published - 07 Aug 2019 by Tractor Junction

महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म का असर

महाराष्ट्र के नानदेड और अकोला जिलों में कपास की फसल पर पिंक बॉलवर्म का असर देखा गया है। हालांकि यह अभी शुरूआती चरण में है तथा केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (सीआईसीआर) नागपुर के कृषि वैज्ञानिक राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ मिलकर इससे निपटने के लिए किसानों को जानकारी दे रहे हैं।

केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान के एक वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ने आउटलुक को बताया कि जिन किसानों ने जून में फसल की बुआई थी, वह 45 से 50 दिन की फसल हो गई जिसमें फूल आना शुरू हो गया है। इन दोनों जिलों में कुछेक जगहों पर कपास की फसल में पिंक बॉलवर्म का असर देखा गया है, लेकिन हम राज्य सरकार के अधिकारियों और कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) के कृषि अधिकारियों के साथ मिलकर लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।

वर्ष 2017 में कई राज्यों में कपास की फसल पर हुआ था पिंक बॉलवर्म का असर

सूत्रों के अनुसार राज्य के अकोला जिले में 8 से 10 एकड़ में पिंक बॉलवर्म का असर देखा गया। सीआईसीआर के अनुसार पिंक बॉलवर्म पहले फूल पर हमला करता है, उसके बाद यह गांठ के अंदर चला जाता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में मध्य भारत के साथ दक्षिण भारत के राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में पिंक बालवर्म के असर से कपास की फसल को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था, लेकिन वर्ष 2018 में इसका असर करीब 70 फीसदी कम रहा। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में करीब 40 लाख हेक्टेयर में कपास की बुआई होती है, तथा अगेती बुआई इस बार मात्र पांच फीसदी ही हुई है। 

महाराष्ट्र और गुजरात में बुआई ज्यादा

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 108.95 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 89.90 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। महाराष्ट्र में चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 40 लाख हेक्टेयर में और गुजरात में 22.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में कपास की बुआई क्रमश:33.10 और 17.47 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। तेलंगाना में चालू खरीफ में कपास की बुआई 15.87 और मध्य प्रदेश में 6 लाख हेक्टेयर में हुई है। 

चालू सीजन में भी उत्पादन में आई थी कमी

कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू सीजन में कपास का उत्पादन 312 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) का हुआ है, जबकि इसके पिछले साल 365 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। कपास की 80 फीसदी खेती मानसून पर निर्भर है,तथा पिछले साल कपास के कई प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र के कई जिलों में बारिश सामान्य से कम हुई थी, जिस कारण उत्पादन में कमी आई।

Source- Outlook Agriculture

Quick Links

Call Back Button
scroll to top
Close
Call Now Request Call Back