जनवरी में ओलावृष्टि के साथ बारिश की संभावना, किसान रहें सतर्क

Share Product Published - 01 Jan 2020 by Tractor Junction

जनवरी में ओलावृष्टि के साथ बारिश की संभावना, किसान रहें सतर्क

नया साल 2020 में ट्रैक्टर जंक्शन पर सभी किसान भाइयों का स्वागत है. देश में रबी फसलों की बुआई का अंतिम चरण चल रहा है। बुवाई का रकबा पिछले साल के आंकड़े से ऊपर पहुंच चुका है। इस सीजन की सबसे प्रमुख फसल गेहूं की बुआई इस साल रिकॉर्ड बनाने की राह पर है।  तिलहन को छोडक़र सभी फसलों की बुआई पिछले साल से बेहतर है। लेकिन कडक़ड़ाती ठंड और मौसम के बनते-बिगड़ते मिजाज के बीच किसानों को सावधान रहकर अपनी फसल की रक्षा के समय-समय पर उपाय करने होंगे।

गेहूं की 9.70 प्रतिशत ज्यादा बुवाई

इस साल अच्छी और देर तक बारिश होने के कारण खेतों में नमी होने का सबसे ज्यादा फायदा गेहूं की फसल को मिला है। गेहूं के रकबे में बढ़ोतरी की वजह मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बुआई पिछले साल से अधिक होना है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष की तुलना में रबी फसल का रकबा 6.62 प्रतिशत (3.549 मिलियन हेक्टेयर) बढ़ा है। रबी फसल का रकबा 57.184 मिलियन हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल की समान अवधि में 53.635 मिलियन हेक्टेयर था। गेहूं 29.702 मिलियन हेक्टेयर में बोया गया है, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 2.627 मिलियन हेक्टेयर (9.70 प्रतिशत) की वृद्धि है। हालांकि गेहूं उत्पादक प्रमुख राज्य पंजाब और हरियाणा में इस साल बुआई पिछले साल से कम है।

रोग नहीं लगे तो रिकॉर्ड उत्पादन

कृषि मंत्रालय के अधिकारियों और कृषि जानकारों का कहना है कि चालू रबी सीजन की बुआई पिछले साल के अपेक्षा बेहतर रहने वाली है। साथ ही उत्पादन भी बेहतर होगा क्योंकि खेतों में पर्याप्त नमी है और ठंड भी अच्छी पड़ रही है। बशर्ते फसलों में रोग नहीं लगे।  भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत करनाल के भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने आईएएनएस के अनुसार ‘यदि मौसम अनुकूल रहता है, तो हम अंतिम गेहूं के मुकाबले उच्च गेहूं की उम्मीद कर सकते हैं। सिंह के अनुसार ‘कोहरे का गेहूं पर कोई असर नहीं पड़ेगा। फसल की वृद्धि थोड़ा प्रभावित हो सकती है लेकिन बाद में ठीक हो जाएगी। हालांकि, अगर गेहूं की फसल पकने के समय मौसम की स्थिति प्रतिकूल रहती है, तो उपज प्रभावित होती है।’

ओलावृष्टि और बारिश की संभावना

उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड के बीच मौसम विभाग की ओर से दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और बिहार में रेड अलर्ट जारी किया गया है। इन राज्यों में शीत लहर का प्रकोप जारी रहने की संभावना है। वहीं किसानों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। मौसम विभाग ने आगे भी ठंड का कहर जारी रहने की संभावना जताई है। मौसम विभाग ने अगली 03 जनवरी तक पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश, पूर्वोत्तर राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि के साथ बारिश की संभावना जताई है।

मौसम विभाग की किसानों को सलाह

कृषि मौसम विज्ञान विभाग की ओर से शीत लहर, ओलावृष्टि और बारिश से अपनी फसलों को बचाने के लिए किसानों को सलाह जारी की गई है। कई राज्यों में शीत लहर, कोहरे और तापमान गिरने की वजह से रबी की फसलों पर प्रभाव पड़ सकता है। जैसे गेहूं की फसल बोए किसानों के क्षेत्र में 05 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान जाता है तो फसल का सामान्य विकास प्रभावित होता है और दाने छोटे रह जाने की संभावना है। अगर तापमान 02 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे जाता है तो फसल के पौधे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और पत्तियां टूट सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार ओलावृष्टि होने पर बड़े किसान तो अपनी फसल में हेल नेट का सहारा ले सकते हैं, मगर छोटे किसानों की फसलों पर प्रभाव पड़ सकता है। किसानों को सलाह है कि खेतों में इस समय हल्की सिंचाई ही करें ताकि फसल के तापमान में नमी बनी रहे। साथ ही गेहूं की फसल में सिंचाई के बाद 30 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर छिडक़ाव कर सकते हैं। 
 

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