प्रकाशित - 22 May 2025
ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
केंद्र सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। इससे किसानों को एक नई ताकत मिलेगी। हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पाकिस्तान को सिंधु का पानी रोकने के बाद अब इस पानी का उपयोग हमारे खेतों में सिंचाई के लिए किया जाएगा, जिसका सीधा फायदा किसानों को मिलेगा। इससे किसानों को बेहतर सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी, जिससे देश का उत्पादन और बढ़ेगा। इसके अलावा, इसे बिजली बनाने में भी इस्तेमाल किया जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री दिल्ली के पूसा परिसर स्थित शिंदे ऑडिटोरियम में सिंधु जल संधि को समाप्त करने के निर्णय पर देशभर के किसान संगठनों के साथ एक अहम बैठक में बोल रहे थे।
सिंधु जल संधि वर्ष 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी। इसे भारत की ओर से तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान की ओर से राष्ट्रपति अयूब खान ने विश्व बैंक की मध्यस्थता में किया था। इसमें यह तय हुआ था कि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी मिलेगा, जबकि भारत को पूर्वी नदियों सतलुज, ब्यास और रावी का अधिकार दिया जाएगा। पाकिस्तान ने समय-समय पर इस जल संधि का उल्लंघन किया। ऐसे में भारत ने अब इस संधि को समाप्त कर दिया है। इसके बाद सिंधु नदी के पानी का उपयोग हमारे देश के खेतों में सिंचाई के लिए किया जा सकेगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस संधि को राष्ट्र के साथ अन्याय बताते हुए इसकी तीव्र आलोचना की। उन्होंने कहा कि जब यह संधि हुई थी, तब प्रधानमंत्री नेहरू ने भारत का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को सौंप दिया था, और साथ ही 83 करोड़ रुपये (जो आज के हिसाब से करीब 5,500 करोड़ रुपये होते हैं) भी दिए गए थे। उन्होंने कहा, "जल विशेषज्ञों के विरोध के बावजूद यह संधि थोप दी गई थी। हम अपने किसानों का पानी ऐसे देश को दे रहे थे, जो आतंकवाद को पोषित करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त किया है। अब यह पानी हमारे किसानों और देश की सेवा में लगेगा।"
किसानों से संवाद करते हुए चौहान ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों को इस पानी का हक मिलेगा। कृषि मंत्री ने दोहराया, “मैं कृषि मंत्री के रूप में आपका सेवक हूं। मेरे दरवाजे और दिल किसानों के लिए हमेशा खुले हैं।” इस अवसर पर पंजाब के किसान सरदार गोमा सिंह को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपने घर खाली कर भारतीय जवानों का सहयोग किया था।
किसान संगठनों ने मोदी सरकार के इस फैसले का एकमत से समर्थन किया और सिंधु जल संधि को पूरी तरह से रद्द करने की मांग की। उनका कहना था कि पाकिस्तान ने 1960 से ही इस संधि के प्रावधानों का लगातार उल्लंघन किया है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि अब सिंधु नदी के जल का उपयोग भारत के राज्यों के हित में किया जाना चाहिए। किसान नेताओं ने कहा कि भारतीय किसान साहसी हैं और अन्याय कभी सहन नहीं करते। यह फैसला ऐतिहासिक है। भले ही इसके क्रियान्वयन में समय लगे, लेकिन हम सरकार के साथ हैं।
बिंदु | विवरण |
वर्ष | 1960 |
समझौते की मध्यस्थ | विश्व बैंक |
भारत को मिली नदियां | सतलुज, ब्यास, रावी |
पाकिस्तान को मिली नदियां | सिंधु, झेलम, चिनाब |
अब क्या बदला? | भारत सिंधु का पानी खुद इस्तेमाल करेगा |
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